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Durga Puja 2022: बीस वर्षों से मां दुर्गा की मूर्तियां बनाकर आस्था का अलख जगा रही मेरठ की अर्चना

Durga Puja 2022 मेरठ के मवाना की अर्चना बीस वर्षों से मां दुर्गा की मूर्तियां बना रही हैं। दूरदराज तक निश्शुल्क वितरित कर रही मूर्तियां। छात्रा और महिलाओं को भी किया प्रशिक्षित। अर्चना की बनाई मूर्तियों की डिमांड दूर-दूर से आती है। यह आस्‍था की बात है।

By Pankaj TyagiEdited By: PREM DUTT BHATTPublished: Thu, 29 Sep 2022 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 08:00 AM (IST)
Durga Puja 2022: बीस वर्षों से मां दुर्गा की मूर्तियां बनाकर आस्था का अलख जगा रही मेरठ की अर्चना
Durga Puja In Meerut मेरठ में मां दुर्गा की पूजा की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं।

पंकज त्यागी, मेरठ। Durga Puja दुर्गा मां में आस्था के चलते यहां मेरठ के मवाना तहसील के गांव अमरोली उर्फ बड़ागांव निवासी अर्चना सैनी लगभग बीस वर्षों से लोगों में आस्था का अलग जगा रही हैं। प्रतिवर्ष नवरात्र शुरू होने से पहले ही मिट्टी को मथकर दुर्गा मां, सरस्वती समेत अन्य की मूर्ति बनाने में जुट जाती है। फिर उसमें आस्था के तरह-तरह के रंग भरकर निश्शुल्क वितरित करती हैं।

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दूर-दूर से आती है डिमांड

कलाकारी ऐसी की तैयार होने के बाद जीवंत लगती है। इसमें पढ़ी लिखी बेटियां भी मां का साथ देती। गांव के साथ दूरदराज से मूर्ति बनाने की मांग आती है तो और वह खुशी-खुशी इसे पूरा करने के लिए रात दिन एक कर देती है। कई मौके आए जब लोग पैसे देते हैं लेकिन वह इसके लिए मना कर देती है। कहती है मूर्ति बनाना और वितरित करने में मानसिक सकून मिलता है। अबतक हजारों की संख्या में मूर्तियां वितरित की जा चुकी हैं।

शामली मायके में सीखा हुनर, ससुराल में किया समृद्ध

अर्चना बताती हैं कि वह शामली में सामान्‍य परिवार की बेटी थी और बहनों के साथ उसने दुर्गा मां की मुर्तियां बनानी सीखी। मां में आस्था होने से मृर्तियों का व्यापार नहीं किया। दसवीं तक पढ़ी लिखी और पति सुभाष सेफ अलमारी के कारीगर हैं। ससुराल आने के शंका भी लेकिन उसने जो हुनर सीखा था उसे दबाया नहीं बल्कि मृर्ति बनाना शुरू कर दिया। आर्थिक स्थिति भी इतनी मजबूत नहीं लेकिन पहले दो-चार से शुरू की और फिर संख्या बढ़ती गई। गांव की छात्रा और युवतियों को मूर्ति के लिए प्रशिक्षित किया।

तीन बेटिया और बेटा किए शिक्षित

अर्चना ने बताया कि उसके तीन बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी दीक्षा एमकाम, बीएड, साक्षी बीकाम, बीएड और तीसरी बेटी मीनाक्षी बीएड कर रही है। जबकि दोनों बड़ी बेटियों की शादी हो चुकी है। बेटा बीए कर रहा है। वह बताते है यह सब सरस्वती और दुर्गा मां की कृपा से संभव हो पाया।

अब जयहिंद समूह...

ब्लाक मवाना स्तर पर शुरू हुए महिला समूहों में अर्चन भी जुड़ गई। जयहिंद स्वयं सहायता महिला समूह की दस सदस्यों की अध्यक्ष है। करीब एक वर्ष पहले जुड़ी तो दुर्गा मां के साथ भारत माता, गणेशजी, लक्ष्मी देवी समेत अन्य देवी देवताओं की मूर्ति बनानी शुरू कर दी। इसके साथ मां दुर्गा के वस्त्र भी तैयार करने लगी। तहसील, जिला व प्रदेश स्तर पर प्रदर्शनी लगी तो हुनर का साक्षात्कार साफ दिखेगा।

छह इंच से तीन फुट तक मूर्तियों का आकार

अर्चना के आंगन में छह इंच से तीन फुट तक मृर्तियों का आकर है। वह बताती हैं कि इसके लिए तालाब से चिकनी मिट्टी एकत्र करती हैं। नवरात्र शुरू होने से एक माह पहले वह मूर्तियां बनानी शुरू कर देती है। पहले मिट्टी को मथकर फिर मूर्तियों का आकार देती है। पहले बेटियों के साथ बनाती थी। समूह की महिलाएं हाथ बंटाती है।

इनका कहना है

मेरे स्वजन पर मां दुर्गा की असीम कृपा है। जिसके चलते पर्याप्त व्यवस्था और संसाधनों के अभाव में भी बच्चे शिक्षित हुए हैं। मुझे व मेरे स्वजन को मुर्ति बनाकर वितरित करने में सकून मिलता है।

- अर्चना सैनी,अध्यक्ष, जयहिंद स्वयं सहायता महिला समूह अमरोली उर्फ बड़ा गांव, ब्लाक मवाना। 


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