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    कोरोनाकाल में भी इंग्लैंड में मेरठ के डा. ऋषि सिंघल ने की रिकार्ड बैरियाटिक सर्जरी

    By Himanshu DwivediEdited By:
    Updated: Sun, 29 Aug 2021 10:06 AM (IST)

    चिकित्सा के क्षेत्र में मेरठ की प्रतिभाओं ने विदेशों में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। मेरठ निवासी और इंग्लैंड के बर्मिघम बैरियाटिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख के डा. ऋषि सिंघल अब मेरठ में इस सर्जरी को नया आयाम देंगे।

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    मेरठ के डा. ऋषि सिंघल की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, मेरठ। चिकित्सा के क्षेत्र में मेरठ की प्रतिभाओं ने विदेशों में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। मेरठ निवासी और इंग्लैंड के बर्मिघम बैरियाटिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख के डा. ऋषि सिंघल अब मेरठ में इस सर्जरी को नया आयाम देंगे। उन्होंने कोरोनाकाल में बैरियाटिक सर्जरी पर शोध किया, जो प्रतिष्ठित साइंस जर्नल लैंसेंट में छापी गई। अब तक दो हजार से ज्यादा लोगों की सर्जरी कर चुके हैं।

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    नई दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के 2000 बैच के एमबीबीएस डा.ऋषि सिंघल ने 2002 में इंग्लैंड में सर्जिकल प्रशिक्षण शुरू किया। 2004 में रायल कालेज आफ सर्जन्स की सदस्यता हासिल की। डा. सिंघल ने खाने की नली के कैंसर में एमडी डिग्री ली। 2013 में यूनिवर्सिटी अस्पताल बर्मिघम में मोटापा एवं डाइबिटीज के सर्जन के रूप में नियुक्त किया गया। उनके अब तक 90 से ज्यादा जर्नलों में शोध छप चुके हैं।

    इंग्लैंड में वजन घटाने वाली निजी संस्था के चिकित्सा निदेशक भी हैं। डा. सिंघल ले बताया कि हाल में कोरोना के दौरान उन्होंेने सर्जरी पर शोध किया।

    पाया कि सर्जरी से सात दिन पहले और सात दिन बाद तक मरीज को आइसोलेट रखने से कोरोना संक्रमण की गुंजाइश न्यूनतम रह जाती है। उन्होंने आठ हजार मरीजों पर रिसर्च पूरी की, जिसे कई प्रतिष्ठित जर्नल में छापा गया। बता दें कि डा. ऋषि सिविल लाइंस निवासी वरिष्ठ चिकित्सक डा. बीपी सिंघल के पुत्र हैं।

    सावधान रहें देशवासी

    डा. ऋषि ने बताया कि 15 साल पहले भारत में एक फीसद आबादी में मोटापा था, जो अब करीब 20 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इंग्लैंड में 25 फीसद आबादी में मोटापा है। बताया कि अगर बीमार व्यक्ति की बीएमआई 32.5 से ज्यादा है तो बैरियाटिक जरूरी है। 27.5 के साथ अगर शुगर की गंभीर बीमारी है तो भी सर्जरी फायदेमंद रहेगी। बताया कि दस से 12 लाख की सर्जरी अब दो-तीन लाख में संभव होगी। आगाह किया कि भारतीयों में कम बीएमआइ पर भी स्वास्थ्य पर विदेशियों से ज्यादा रिस्क देखा गया है।