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मेरठ आए भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ नरिंदर ध्रुव बत्रा ने पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़‍ियों के ल‍िए कही ये बात

भारतीय वुशू संघ के कार्यक्रम में सम्मान समारोह में शामिल होने मेरठ आए डॉ बत्रा ने बताया की खेलो इंडिया के अंतर्गत तमाम खेलों को निचले स्तर से बढ़ाने के साथ ही हॉकी को भी बढ़ाया जा रहा है। इसके अंतर्गत करीब 60 एकेडमी देश भर में खोली गई हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 07:27 PM (IST)
मेरठ आए भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ  नरिंदर ध्रुव बत्रा ने पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़‍ियों के ल‍िए कही ये बात
भारतीय ओलंपिक संघ के प्रेसिडेंट एवं भारतीय हॉकी संघ के अध्यक्ष डॉ नरिंदर ध्रुव बत्रा मेरठ आए।

मेरठ, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष, भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष हैं और इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी के सदस्य डॉ नरिंदर ध्रुव बत्रा ने कहा कि पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक से ज्यादा पदक लेकर आएंगे। उन्होंने कहा कि आमतौर पर हर ओलंपिक के बाद खिलाड़ियों को एक दो महीने का आराम दिया जाता है लेकिन इस बार टोक्यो ओलंपिक के तुरंत बाद पेरिस ओलंपिक की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और खिलाड़ियों को अगले मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीमों से 12 पदक की उम्मीद थी जिसमें चार पांच पदक की कमी रह गई। इसे अगले ओलंपिक में पूरा किया जाएगा। भारतीय टीमों ने 18 खेलों में हिस्सा लिया था जिसे पेरिस ओलंपिक में बढ़ाकर 20-21 खेल तक करने की कोशिश होगी। उन्होंने कहा कि देशों का कोटा होता है इसलिए वह टीम भेजने के पक्ष में नहीं है बल्कि देशभर के खेल संगठनों को साथ लेकर हर खेल के खिलाड़ी ओलंपिक के लिए तैयार कर टीमों को भेजने की योजना पर काम कर रहे हैं।

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भारतीय वुशू संघ के कार्यक्रम में सम्मान समारोह में शामिल होने मेरठ आए डॉ बत्रा ने बताया की खेलो इंडिया के अंतर्गत तमाम खेलों को निचले स्तर से बढ़ाने के साथ ही हॉकी को भी बढ़ाया जा रहा है। इसके अंतर्गत करीब 60 एकेडमी देश भर में खोली गई हैं। इनके अलावा छह से सात एलिट अकादमी सरकार के साथ मिलकर खोली जा रही हैं। इनमें से एक एलिट एकेडमी हॉकी की लखनऊ में होगी। इन एलिट अकादमी में देश के बेहतरीन 100-100 खिलाड़ियों को चयनित कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिससे 600 से 700 खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर के रहेंगे। उन्हीं में से टीमें बनाकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और ओलंपिक में टीम भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि अब हॉकी प्रो लीग भी शुरू हो चुकी है, जिसमें दुनिया की बेहतरीन टीमें हिस्सा लेंगी। भारत की भी महिला व पुरुषों की 16-16 खिलाड़ियों की टीम उसमें हिस्सा ले रही है।

साइंटिफिक हो चुका है खेल प्रशिक्षण

डॉ बत्रा ने कहा कि खेल प्रशिक्षण अब बेहद साइंटिफिक हो चला है। कुछ लोग विदेशी कोच को प्रशिक्षण में लेने पर विरोध जताते हैं जबकि सच यह है कि एक समय दुनिया को हॉकी सिखाने वाले भारतीय अब दुनिया से हॉकी सीख रहे हैं। इसमें हमें कोई शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए। जहां से अच्छी सीख मिले, अच्छा प्रशिक्षण मिले उसे लेना चाहिए। जो भी कोच अच्छा होगा, वह चाहे देश का हो या विदेश का हो, उन्हें ही प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इसी तरह खेलो इंडिया के ट्रेनिंग सेंटरों में भी प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। खेल संगठन, पदाधिकारियों व खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए डॉ बत्रा ने कहा कि एक समय था जब मेरठ के खिलाड़ी अधिक संख्या में राष्ट्रीय हॉकी टीम में रहा करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह क्रम टूट गया। अब यहां एस्ट्रो टर्फ बन रहा है तो उम्मीद है कि हॉकी फिर से अपने रंग में लौटेगी।

पेरिस ओलंपिक में बराबर होंगे महिला पुरुष के पदक

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ नरिंदर ध्रूव बत्रा ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक में पुरुष महिला के पदक अनुपात 52:48 प्रतिशत थे। वही पेरिस ओलंपिक में यह बराबरी पर यानी 50:50 फीसद रहेंगे। जल्द ही यह निर्णय भी लिया जा सकता है जिसमें स्पोर्ट्स कॉलेजों में कम से कम 30 फीसद सीटें महिला खिलाड़ियों के लिए होंगी। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में खेलों में जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देने की दिशा में काम चल रहा है और जल्द ही इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है। खेलों के प्रति रोल लोगों का रुझान भी काफी बढ़ रहा है। रियो ओलंपिक में 206 देशों में से 86 देशों ने पदक जीता था। वही टोक्यो ओलंपिक में 92 देशों ने पदक जीते हैं। टोक्यो ओलंपिक में यह भी देखने को मिला कि सबसे कम आयु की खिलाड़ी 13 वर्ष की और सबसे अधिक आयु के खिलाड़ी 67 वर्ष के रहे। इससे यह भी देखने को मिला कि ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए आयु कोई बाधा नहीं है।

अन्य खेलों की ओर बढ़ रहा है रुझान

डॉ बत्रा ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक वियुवरशिप आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में सबसे ज्यादा भारतीय लोगों ने ओलंपिक के प्रसारण को देखा। महज हॉकी के मैच करीब 50 करोड़ लोगों ने देखा, जो शेष दुनिया भर के दर्शकों से कहीं ज्यादा है। इसके साथ ही अब बिजनेस घरानों व सरकारों का क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों की ओर भी रुझान बढ़ा है। जिस तरह उड़ीसा में हॉकी, शूटिंग, रग्बी सहित चार खेल को अडॉप्ट किया है उसी तरह ओलंपिक संघ की ओर से अलग अलग राज्य को विभिन्न खेलों को अडॉप्ट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में कुश्ती के अलावा एथलेटिक्स के कुछ इवेंट्स को अडॉप्ट करने की तैयारी की है। वहीं मध्यप्रदेश में और झारखंड में तीरंदाजी, उत्तर पूर्व में तीरंदाजी, जम्मू कश्मीर में फुटबॉल के प्रति रुचि देखने को मिल रहा है। अलग-अलग खेलों के रुझान का ही नतीजा है कि ओलंपिक में इस साल स्केटबोर्ड शामिल हुआ तो अगली बार ब्रेक डांस को भी शामिल किया जा रहा है। यह निर्णय ओलंपिक कमेटी की ओर से 15 से 35 साल के लोगों की व्यूवरशिप में पसंद ना पसंद को देखते हुए किया जा रहा है।

हमें टैलेंट दिखाइए हम सारी सुविधाएं मुहैया कराएंगे

डॉ नरिंदर बत्रा ने कहा कि देश भर के खेल संगठनों को लक्ष्य निर्धारित कर ट्रेनिंग कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हर किसी को लक्ष्य के तौर पर ओलंपिक के स्तर को ध्यान में रखने को कहा जा रहा है जिससे हम बेहतरीन खिलाड़ी तैयार कर सकें। देश में व्याप्त सीमित संसाधनों को देखते हुए जिला या प्रदेश स्तर पर हर तरह की सुविधा नहीं मिल पाती है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के लिए वैज्ञानिक पद्धति के प्रशिक्षण, डायट व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। देश के किसी भी कोने में हमें टैलेंट दिखेगा तो हम उन्हें आगे बढ़ाने का काम करेंगे।

उपलब्धि के बाद खिलाड़ियों का फोकस बनाए रखने पर करना होगा काम : सांसद

इस मौके पर उपस्थित सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि मेरठ खेल की उर्वर भूमि है और देश भर में खिलाड़ियों का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है। उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में हमारा प्रदर्शन बेहतर रहा लेकिन यह और भी बेहतर होना चाहिए, जो आशा है भविष्य में होगा भी। राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि खिलाड़ियों को सफल होने के बाद हर तरह की सुविधाएं व सहायता मुहैया कराई जाती हैं, लेकिन जरूरत है उन्हें उनकी तैयारी में मदद करने की। तैयारी में मदद के बाद वह सफल होंगे और सफलता के बाद जो फोकस खेल में बना रहना चाहिए उसे बनाए रखने की दिशा में भी काम करना चाहिए ।सांसद ने ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार का उदाहरण देते हुए इस बात का अफसोस जाहिर किया कि सफलता के बाद खिलाड़ी किसी भी तरह से अपने खेल से अलग नहीं होने चाहिए जिससे वह अपराधिक घटनाओं में शामिल हो सके। इस मौके पर भारतीय वुशू संघ के प्रेसिडेंट भूपेंद्र सिंह बाजवा, महासचिव जितेंद्र सिंह बाजवा ने डॉ नरिंदर कुमार बत्रा का स्वागत व अभिनंदन किया। डॉ बत्रा ने भी वुशू संघ के पदाधिकारियों के अलावा अन्य खेलों के पदाधिकारियों को भी सम्मानित किया और भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से प्रतीक चिन्ह भेंट किया। मेरठ के हॉकी कोच प्रदीप सिनोटी को भी उन्होंने सम्मानित किया और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अंपायर शिवानी को भी शुभकामनाएं दी। वुशू संघ के सचिव सुहेल अहमद सहित खेल से जुड़े अन्य लोगों को भी सम्मानित किया और खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए प्रेरित भी किया। 


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