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    सेहत पर नया संकट: विटामिन बी-12 कम था...दर्जनभर बीमारियां दे गया, ऐसे करें बचाव

    By Parveen VashishtaEdited By:
    Updated: Wed, 06 Jul 2022 08:02 AM (IST)

    मेरठ मेडिकल कालेज में रोजाना लगभग ढाई हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्म रोगी हैं। इसकी बड़ी वजह बी-12 की कमी मानी जाती है। चिंता घबराहट एनीमिया नर्वस सिस्टम एवं अवसाद के मरीज बढ़ रहे हैं। शाकाहारियों इसकी कमी ज्यादा है।

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    विटामिन बी-12 कम था...दर्जनभर बीमारियां दे गया

    मेरठ, संतोष शुक्ल। पश्चिम उप्र में खानपान की समृद्ध परंपरा के बावजूद सेहत पर नया संकट खड़ा है। मेडिकल कालेज की अध्ययन रिपोर्ट में पता चला है कि 50 से 60 प्रतिशत लोगों में विटामिन-बी 12 की मात्रा मानक से कम मिली। इस वजह से खून में खराब गुणवत्ता का हीमोग्लोबिन पहुंचने से एनीमिया बढ़ रहा है। प्रतिरोधक क्षमता घटने से अन्य घातक बीमारियां घेर रही हैं। मेटोबालिक डिस्टर्बेंस के साथ ही दिमागी बीमारियां भी जकड़ रही हैं।

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    हाई रिस्क जोन में शाकाहारी

    मेडिकल कालेज के सीनियर फिजिशियन डा. अरविंद ने बताया कि कई मरीजों की हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट बेहद कम थी। जांच में पता चला कि बोनमैरो में पर्याप्त हीमोग्लोबिन बना, लेकिन बी-12 की कमी से वो खून में नहीं पहुंचा। शाकाहारी लोगों में संकट ज्यादा है। दूध, दही एवं पनीर के सेवन में कमी आई, वहीं चाय, काफी, शराब एवं फास्टफूड ने भी इस विटामिन का रास्ता रोका। मेगालोब्लास्टिक एनीमिया और पैंसीटोपेनिया जैसी जानलेवा बीमारियां उभरीं, जिसमें लाल एवं सफेद रक्त कणिकाएं न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाती हैं।

    ये हो सकते हैं घातक लक्षण

    बी-12 लाल रक्त कणिकाएं बनाता है। इसकी कमी से एनीमिया, सांस फूलने, थकान एवं चक्कर आता है। नर्व में दिक्कत से दृष्टि धुंधली हुई। मुंह में छाले, वजन में कमी, दिमागी रोग, हल्का पीलिया, याददाश्त में कमी भी उभरी। हार्मोनल बीमारियां होती हैं।

    ये खाएं तो मिलेगा बी-12

    यह विटामिन घुलनशील होता है, इसीलिए रोज शरीर से बाहर भी निकल जाता है। प्रतिदिन 2.5 माइक्रोग्राम मात्रा शरीर में पहुंचनी चाहिए। हालांकि आंत के बैक्टीरिया इस विटामिन को बनाते हैं, लेकिन फिर भी कमी मिल रही। अंकुरित अनाज, दूध, दही, पनीर, सोया में भरपूर मात्रा मिलती है। हरी सब्जियों एवं फलों में भी थोड़ी मात्रा होती है।

    इन्‍होंने कहा

    मेडिकल कालेज में रोजाना करीब ढाई हजार मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं, जिसमे सर्वाधिक चर्म रोगी हैं। इसकी बड़ी वजह बी-12 की कमी मानी गई है। एनीमिया, नर्वस सिस्टम, चिंता, घबराहट एवं अवसाद के मरीज बढ़ रहे हैं। शुगर की दवा एवं एंटासिड का ज्यादा प्रयोग भी बी-12 की मात्रा घटा सकता है।

    डा. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज

    शाकाहारी लोगों में विटामिन-बी 12 की कमी ज्यादा है, जो सांस फूलने, थकान समेत कई बीमारियों की वजह बन रहा है। एनीमिया से प्रतिरोधक क्षमता घट रही। यह डीएनए बनाने में भी मदद करता है जो लाल रक्त कणिकाओं को सही तरीके से बांटता है। पिंक मिशन में आयरन की जांच की तर्ज पर बी-12 की भी जांच एवं उपचार की व्यवस्था की जानी चाहिए।

    डा. तनुराज सिरोही, फिजिशयन

    लो प्लेटलेट एवं हीमोग्लोबिन के मरीजों की ब्लड पिक्चर जांचने पर पता चला कि विटामिन बी-12 की कमी से बोनमैरो से हीमोग्लोबिन बाहर रिलीज नहीं हो पा रहा। बी-12 का इंजेक्शन देकर बीमारी ठीक की गई। इसे बढ़ाने के प्राकृतिक स्रोत अपनाने होंगे।

    डा. मोनिका गर्ग, पैथोलोजिस्ट।

     

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