Meerut Cantonment Board: भले ही मेरठ से वापस गए निदेशक, लेकिन छावनी परिषद में कार्रवाई का डर कायम
Meerut Cantonment Board मेरठ कैंट बोर्ड में दो दिन तक जांच करने के बाद वापस गए रक्षा संपदा के निदेशक। सील भवन में बार खुलने कूड़ा उठान टेंडर में अनियमितता को माना गंभीर। निदेशक के जाने के बाद अब सता रहा कार्रवाई का डर।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut Cantonment Board मेरठ छावनी परिषद में दो दिन से अनियमितताओं की जांच कर रहे रक्षा संपदा, मध्य कमान लखनऊ के निदेशक डा. डीएन यादव वापस भले ही चले गए हैं लेकिन गाज करने का डर यहां के अधिकारियों-कर्मचारियों में कायम है। क्योंकि उनके जांच के दौरान ही पांच नोटिस जारी हुए और अब डीएन यादव 15 दिन बाद फिर लौट कर आने वाले हैं। दहशत इसलिए भी है क्योंकि यहां की गड़बड़ी का मामला विजिलेंस को सौंपने के संकेत मिल रहे हैं।
सील के बावजूद ट्रेड लाइसेंस जारी किया
जांच के दौरान सबसे बड़ी गड़बड़ी 22बी और मछेरान की मिली। बाउंड्री रोड 22बी में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सील लगी होनी चाहिए लेकिन यहां पर भवन को आलीशान आकार देकर बीयर बार चलाया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि सील लगने का आदेश होने के बावजूद इसका ट्रेड लाइसेंस भी जारी कर दिया गया। मछेरान में अवैध निर्माण हो गया है उसे रोका नहीं गया।
मछेरान में बुलडोजर
गौरतलब है कि जब डीएन यादव यहां पर सीईओ थे तब उन्होंने मछेरान में बुलडोजर चलाकर अवैध निर्माण ध्वस्त करा दिए थे। डोर-टू-डोर कूड़ा उठान के लिए चयनित की गई कंपनी को पुरानी तिथि में समझौता पत्र जारी करने, वेतन कटौती करके देने, मेहरबानी दिखाकर अधिक धनराशि जारी करने जैसे मामले हैं। इन मामलों को निदेशक ने गंभीर माना है।
एक दिन में मांगा गया जवाब
पहला मामला डोर- टू-डोर कूड़ा उठान को लेकर चयनित की गई कंपनी को लेकर है। आरोप है कि कंपनी को अधिक धनराशि दी गई और कर्मचारियों को कम वेतन दिया जाता है। इस मामले की निदेशक जांच कर रहे हैं, वहीं इसी मामले को लेकर सीईओ की ओर से सफाई अधीक्षक वीके त्यागी, योगेश यादव और सफाई निरीक्षक अभिषेक गंगवार को नोटिस देकर एक दिन में जवाब मांगा है। इन पर आरोप है कि मार्च में कंपनी के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर के बजाय पांच महीने पुराना पत्र जारी करके हस्ताक्षर कर दिया।
575 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं
गौरतलब है कि मंगलवार को निदेशक ने इससे संबंधित दो कंप्यूटर सीज कर दिए थे। दूसरा प्रकरण अवैध निर्माणों से जुड़ा है। छावनी के 575 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। इस पर भी निदेशक जांच कर रहे हैं, उधर इन्हीं से जुड़ी शिकायतों को लेकर सीईओ की ओर से सफाई अधीक्षक वीके त्यागी और सफाई निरीक्षक अभिषेक गंगवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस पर तीन दिन में जवाब मांगा गया है। इसमें पूछा गया है कि बंगला नंबर 22बी बाउंड्री रोड को ट्रेड लाइसेंस कैसे जारी कर दिया गया जबकि उस पर उच्च न्यायालय के आदेश पर सील लगी होनी चाहिए। गौरतलब है कि इस पर लंबे समय से सील लगी हुई है। इसका प्रकरण सात बार उच्च न्यायालय में गया और हर बार उच्च न्यायालय ने सील लगी रहने का आदेश जारी किया।