कर्म-निवृत्ति व आत्म-शुद्धि को तप-मार्गी हुए दिगंबर जैन
दिगंबर जैन मंदिरों में सुबह और शाम के समय श्रावक-श्राविकाएं नियम-संयम और अनुशा
मेरठ,जेएनएन। दिगंबर जैन मंदिरों में सुबह और शाम के समय श्रावक-श्राविकाएं नियम-संयम और अनुशासन के साथ पूजा-अर्चना के लिए जुट रहे हैं। मंगलवार को दशलक्षण पर्व का पांचवां दिन था। भक्तों के चेहरों पर तप का ओज और व्यक्तित्व में संतत्व का पुट साफ दिखाई दे रहा है। दस दिन तक चलने वाले वर्ष के सबसे बड़े महापर्व पर दिगंबर जैन समाज के हजारों परिवारों की दिनचर्या पूरी तरह से बदली-बदली सी है। अमूमन त्योहारों पर होने वाले तड़क-भड़क शोर-शराबे के विपरीत नियमित रूप से मंदिर जाना और नियम-संयम का पालन कर महापर्व मनाया जा रहा है। परिवार के छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गो में धार्मिक क्रियाकलापों को लेकर एक अलग तरह का उत्साह नजर आ रहा है। आइए जानते हैं किस तरह की दिनचर्या का पालन कर रहे हैं दिगंबर जैन समाज से जुड़े परिवार।
प्रीति जैन और प्रदीप जैन अपने पुत्र अमित और बहू कृतिका के साथ सदर दुर्गाबाड़ी में रहते हैं। साथ में पौत्र आर्जव नौ वर्ष और पौत्री दीक्षा सात वर्ष भी हैं। प्रीति जैन की तप-चर्या रक्षाबंधन के दिन से चल रही है। नौ सितंबर के पूर्व तक वे 24 घंटे में केवल एक बार भोजन करती रहीं हैं, जबकि अगले 24 घंटे में केवल बार जल ग्रहण कर रहीं थीं। दशलक्षण पर्व आरंभ होने के बाद से वे दिन में सिर्फ काली मिर्च के मिश्रण का पानी दिन में केवल एक बार ग्रहण करतीं हैं। बहू कृतिका जैन ऋषभ एकेडमी में शिक्षिका हैं। नौकरी व घर जिम्मेदारियां निभाने के बाद भी भक्ति और तप के मार्ग पर सास का अनुसरण कर रहीं हैं। बताया कि पहले और अंतिम दशलक्षण पर्व पर वे निर्जला व्रत रखतीं हैं। कृतिका ने बताया कि वे पिछले छह वर्ष से और उनकी सास 15 वर्ष से उक्त प्रकार नियम पालन कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि इससे कर्मो की निवृत्ति होती है और आत्मा की शुद्धि होती है।
परिवार के सदस्य सुबह और शाम जाते हैं मंदिर
प्रदीप जैन अपने पुत्र अमित और पोते आर्जव के साथ सुबह के समय मंदिर जाकर श्रीजी का प्रक्षालन करते हैं। इसके बाद सुबह 10 बजे प्रदीप अपनी ज्वैलरी की दुकान और अमित फैक्ट्री का काम देखते हैं। रात में सभी ने भोजन का त्याग कर रखा है। शाम को आरती और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। भादो के आरंभ से बच्चों का बाहर का खाना बंद
21 अगस्त से भादो माह आरंभ हुआ है। तभी से प्रीती और कृतिका के घर में बाहर का कोई सामान नहीं खाया-पीया जा रहा है। बर्गर, पिज्जा से बच्चे दूरी बनाए हुए हैं। क्लास के साथ बच्चे दादी के साथ भक्तांबर का पाठ करते हैं। प्रीति और उनकी बहू कृतिका ने बताया कि कठिन व्रत के दौरान नाश्ता, भोजन और अन्य कार्य नियमित रूप से करते हैं।
छठा दिन : उत्तम संयम धर्म
संयम कहने-सुनने का विषय नहीं है। यह पालन का विषय है। इंद्रियों में जो अशुभ प्रवृति है, उसकी निवृति का नाम संयम है। पांच इंद्रियां छठा मन इन पर नियंत्रण रखना ही इंद्रिय संयम है। शास्त्रों का ज्ञान अनंत है, श्रद्धा का विषय अनंत है। दोनों मिल भी जाएं, लेकिन जीवन में अगर संयम नहीं है, तो सब व्यर्थ है। - पद्म पुराण
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