श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं का वर्णन सुनकर श्रद्धालु हुए भाव-विभोर
मवाना की आकांक्षा कुंज कालोनी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन कथा वाचक गोपाल महाराज ने कृष्ण लीला का वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।

मेरठ, जेएनएन। मवाना की आकांक्षा कुंज कालोनी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन कथा वाचक गोपाल महाराज ने कृष्ण लीला का वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
वृन्दावन से पधारे कथा वाचक गोपाल महाराज बताया निराकार ब्रह्म ने धर्म की रक्षा के लिए कृष्ण अवतार धारण करके प्रेम का व बाल लीला करके संसार को संदेश दिया कि भगवान अजन्मा है और मानव की भांति मां के गर्व से जन्म नही लेता, बल्कि मां के ह्रदय में आकर निज इच्छा से ईश्वर चिन्मय शरीर धारण करता है। भगवान निराकार होकर भी पापियों का विनाश करने व धर्म की रक्षा करने के लिए संसार में साकार रूप लेकर विभिन्न प्रकार की लीलाएं करते हैं। मथुरा कंस के कारागार में पिता वाशुदेव मां देवकी से अजन्मा ने जन्म लिया। कंस के भय से वासु देव ने अपने आठवे पुत्र श्रीकृष्ण को गोकुल गांव में अपने मित्र नंद बाबा एवं यशोदा मैया के पास यमुना पार करके नन्द महल में पहुंचाया और मां यशोदा से कन्या रूप में योगमाया ने जन्म लिया। कन्या को लेकर वाशुदेव रात्रि में गोकुल से मथुरा आ गए। बाबा नन्द के यहां लल्ला हुआ है। नन्द बाबा अति प्रसन्न हुए और अपने लाला के जन्मोत्सव में ब्राह्मण और अतिथियों को स्वर्ण दान व अन्न दान दिया। ब्रजवासी एवं ब्रजगोपियो में नंदमहल में जाकर बधाई गीत गाए और धूम धाम से श्रीकृष्ण जन्म उत्सव मनाया। समस्त ब्रजमंडल आनंद से झूम उठा। यह प्रसंग सुनते ही कथा पंडाल नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी दिए, घोड़ा दिए औऱ दिए पालकी के जयघोष से पंडाल गूंज उठा। कथा में वासुदेव जी भगवान वाल कृष्ण की झांकी निकाली गई और भक्तों को माखन मिश्री का प्रसाद वितरण किया गया। बड़ी धूमधाम से भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया।
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