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    Delhi Meerut Rapid Rail: रैपिड रेल के लिए लगाए जा रहे सिग्नल उपकरण, टेस्टिंग के बाद शुरू हो जाएगा ट्रायल

    By Prem Dutt BhattEdited By:
    Updated: Tue, 21 Jun 2022 03:05 PM (IST)

    Delhi Meerut Rapid Rail रैपिड रेल के लिए सिग्नल उपकरणों को लगाने की प्रक्रिया तेजी के साथ से चल रही है। 2023 में साहिबाबाद-दुहाई के बीच रैपिड को चलाए जाने की तैयारियां हैं। इसके लिए तकनीक लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) रेडियो पर आधारित होगी।

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    RRTS Corridore मेरठ में रैपिड रेल को लेकर काम तेजी के साथ चल रहा है।

    मेरठ, जागरण संवाददाता। RRTS Corridore देश के पहले आरआरटीएस के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कोरिडोर पर पहले चरण में साहिबाबाद-दुहाई के बीच रैपिड रेल का संचालन मार्च 2023 से होगा, इसकी तैयारी के अंतर्गत सिग्नल उपकरणों को लगाने की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। RRTS आरआरटीएस ट्रेनों के आगामी संचालन के लिए एनसीआरटीसी भारत में पहली बार कई अत्याधुनिक प्रणालियों का उपयोग कर रहा है। यह उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली उनमें से एक है।

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    दुनिया का पहला नेटवर्क

    आरआरटीएस एलटीई नेटवर्क पर आधुनिक यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम के हाइब्रिड लेवल- 3 तकनीक का उपयोग करने वाला दुनिया का पहला नेटवर्क बन जाएगा जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। पहले चरण में ईटीसीएस लेवल 2 लागू किया जाएगा। आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए, एनसीआरटीसी यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम की हाइब्रिड लेवल 3 तकनीक को लागू कर रहा है, जो दुनिया के सबसे उन्नत सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोल सिस्टम में से एक है। ऐसा दुनिया में पहली बार होगा कि लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) रेडियो पर नवीनतम ईटीसीएस मानक, नवीनतम डिजिटल इंटरलॉकिंग और स्वचालित ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) का संयोजन प्रयोग किया जाएगा। यह ट्रेनों की हाई फ्रीक्वेंसी, बेहचर हेडवे और थ्रूपुट को बढ़ाने में सक्षम बनाएगा।

    इंटरकनेक्टिविटी भी

    आरआरटीएस की संकल्पना एनसीआर के लोगों को आवागमन में सुगमता प्रदान करने, उन्हें सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने और वाहनों और पर्यावरणीय बोझ को कम करने के लिए की गई थी। सार्वजनिक परिवहन के विभिन्न साधनों के साथ-साथ आरआरटीएस के विभिन्न कॉरिडोर्स के बीच इंटरकनेक्टिविटी इसमें निर्णायक कारक हो सकती है। ईटीसीएस लेवल 2 सिस्टम इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा क्योंकि यह विभिन्न आरआरटीएस कॉरिडोर के बीच इंटर-ऑपरेबिलिटी की सुविधा प्रदान करेगा, जो देश में पहली बार देखने को मिलेगा।

    उपयुक्त बदलाव भी संभव

    यह एक रेडियो टेक्नोलॉजी आधारित सिग्नलिंग प्रणाली है जिसमें निरंतर नियंत्रण और पर्यवेक्षण के माध्यम से न केवल ट्रेन की गति का अनुमान लगाया जा सकता है बल्कि यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार उसमें उपयुक्त बदलाव भी किए जा सकते हैं। यह ईटीसीएस-2 सिग्नलिंग हाई-फ़्रीक्वेंसी आरआरटीएस ट्रेन संचालन में यात्रियों की सुरक्षित और सभी मौसमों में निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, प्रस्तावित सिग्नलिंग सिस्टम को प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स के साथ भी सिंक किया जाएगा, जो कॉरिडोर के सभी आरआरटीएस स्टेशनों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। पीएसडी के साथ ईटीसीएस लेवल 2 को दुनिया में पहली बार लागू किया जाएगा।

    यात्रियों की सुरक्षा प्राथमिकता पर

    आरआरटीएस के कार्यान्वयन में यात्रियों की सुरक्षा एनसीआरटीसी की प्राथमिकताओं में से एक है। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रेन का दरवाजा और प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स, दोनों बंद होने के बाद ही ट्रेन को चलाया जाएगा। यह यात्रियों को किसी भी अप्रत्याशित दुर्घटना से सुरक्षित रखेगा। यह प्रणाली रेल लाइन क्षमता को अनुकूलित करने और ट्रेनों के बेहतर संचालन को सुनिश्चित करने में भी सक्षम होगी। यह रखरखाव, लागत और ऊर्जा बचत, सुरक्षा, विश्वसनीयता, समय की पाबंदी और यातायात दक्षता से संबंधित महत्वपूर्ण लाभों के साथ दुनिया की सबसे उन्नत ट्रेन नियंत्रण प्रणालियों में से एक होगी। यह सिग्नलिंग सिस्टम ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) फंक्शनैलिटी से लैस होगा, जो ट्रेनों के ट्रैक्शन सिस्टम, एक्सेलेरेशन और ब्रेकिंग सिस्टम को नियंत्रित करता है और कुशल और विश्वसनीय आरआरटीएस सेवा की सुविधा प्रदान करेगा।

    सिस्टम टेस्टिंग का काम

    आरआरटीएस स्टेशनों पर सिग्नलिंग और टेलिकॉम के लिए इनडोर इंस्टॉलेशन, आउटडोर इंस्टॉलेशन, केबल बिछाने और सिस्टम टेस्टिंग चल रहा है। इस प्रक्रिया में, सभी सिग्नलिंग उपकरणों के इंस्टॉलेशन और उनके गहन परीक्षण के बाद ट्रेनों का ट्रायल रन शुरू होता है। इनडोर इंस्टॉलेशन में, ट्रेनों के संचालन के लिए प्रयोग होने वाले उपकरण जो ट्रेनों को रुकने और शुरू करने के लिए सिग्नल प्राप्त करने में मदद करते हैं, स्टेशनों पर बने तकनीकी कमरों में स्थापित किए जाते हैं। ये उपकरण ट्रेनों के संचालन से संबंधित सभी सूचनाओं को एकत्र और मॉनिटर करते हैं। इस प्रक्रिया में केबल बिछाने का कार्य भी बहुत महत्वपूर्ण है जो वर्तमान में आरआरटीएस कॉरिडोर के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर किया जा रहा है।

    सभी उपकरण शामिल

    आउटडोर इंस्टॉलेशन में तकनीकी कमरों के बाहर लगाए जाने वाले सभी उपकरण शामिल हैं। इसमें प्वाइंट मशीन (ट्रैक चेंजिंग डिवाइस), सिग्नल (ट्रेनों की आवाजाही के लिए लाल और हरी बत्ती का सिग्नल) और एक्सल सेंटर (ट्रेनों की लोकेशन दिखाने वाला उपकरण) जैसे उपकरण शामिल हैं। इसके साथ ही एलटीई और टेलीकॉम उपकरण भी लगाए जा रहे हैं। इन सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद सिस्टम टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू होती है जिसमें सभी प्रकार के उपकरणों की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया में वांछिंत प्रदर्शन सुनिश्चित करने के बाद सभी उपकरणों को ट्रेनों के ट्रायल रन के लिए तैयार किया जाता है।

    प्रायोरिटी में हैं ये पांच स्‍टेशन

    प्रायोरिटी कॉरिडोर में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो, पांच स्टेशन हैं, जिनका निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। सिग्नलिंग उपकरण के इंस्टॉलेशन के बाद यह सेक्शन आरआरटीएस ट्रेनों के ट्रायल रन के लिए तैयार हो जाएगा, जिसके इस साल के अंत तक शुरू होने की संभावना है। सावली, गुजरात स्थित मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट से आरआरटीएस ट्रेनों की डिलिवरी शुरु हो चुकी है और पहली आरआरटीएस ट्रेनसेट दुहाई डिपो पहुँच चुकी है।