दीपक शर्मा को मिले दो राष्ट्रीय पुरस्कार
स्कूली बच्चों को विज्ञान शिक्षण से जोड़ने प्रयोग को प्रेरित करने और विज्ञान का प्रचार-प्रसार करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने पर मेरठ के विज्ञान शिक्षक दीपक शर्मा को दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
मेरठ, जेएनएन। : स्कूली बच्चों को विज्ञान शिक्षण से जोड़ने, प्रयोग को प्रेरित करने और विज्ञान का प्रचार-प्रसार करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने पर मेरठ के विज्ञान शिक्षक दीपक शर्मा को दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दीपक शर्मा को 'बच्चों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लोकप्रियकरण के उत्कृष्ट प्रयास के लिए' के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। दीपक शर्मा को 'साइंस मीडिया एवं जर्नलिज्म में उत्कृष्ट कार्य' के लिए भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डा. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया।
विज्ञान ने किया आकर्षित
अंग्रेजी शिक्षक पिता कालीचरण शर्मा और गृहणी माता उर्मिला शर्मा से मिली प्रेरणा ने छोटी उम्र में ही दीपक शर्मा को विज्ञान से जोड़ दिया। कक्षा 11वीं में ही विज्ञान प्रगति के संवाददाता बने और प्रगति विज्ञान संस्था की स्थापना की। वर्ष 2009 में इस संस्था का भौतिक शास्त्री प्रो. एसपी खरे के संरक्षण में पंजीकरण हुआ। दीपक शर्मा वर्ष 1991 में एनएएस इंटर कॉलेज में विज्ञान शिक्षक के तौर पर नियुक्त हुए। जिला विज्ञान क्लब मेरठ के जिला समन्वयक बनें और अब राज्य शैक्षिक समन्वयक की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
विज्ञान को पढ़ना नहीं, करना सिखाया
दीपक शर्मा ने विज्ञान को पढ़ने-पढ़ाने की बजाय करने-कराने पर जोर दिया। विज्ञान की पढ़ाई क्लासरूम से निकाल कर बाहर लाए और आठ जून 2004 को शुक्र पारगमन के दौरान प्रो. एसपी खरे और तमिलनाडु के वैज्ञानिक टी. रामलिंगम के साथ प्रथ्वी से सूरज की दूरी मापी और बच्चों को भी सिखाया। शासन के सहयोग से बिजली बंबा बाईपास पर जिला विज्ञान केंद्र बनाया। वर्ष 2010 में फ्रांस में आयोजित यूरोपियन साइंस मीट में भी आमंत्रित किया गया।
संगीत में पिरोया गणित-विज्ञान के सूत्र
विज्ञान को बच्चों में लोकप्रिय बनाने के लिए दीपक शर्मा ने गणित-विज्ञान के सूत्रों को संगीतबद्ध किया। इसके अलावा तथाकथित चमत्कारों के वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित 74 एपिसोड के टीवी कार्यक्रम में चमत्कारों से उठाया पर्दा और विज्ञान दिखाया, खाद्य पदार्थो के मिलावट की जांच की व लोगों को सिखाया, 'विज्ञान आयो करके सीखें' पत्रिका व ऑनलाइन चैनल का प्रसारण किया, स्कूली बच्चों के लिए पहला विज्ञान रियलिटी शो 'विज्ञान घर' का आयोजन किया, देश भर में 200 से अधिक विज्ञान संचारक तैयार कर विज्ञान का प्रचार व प्रसार किया। इससे पहले भी वह वर्ष 2001 में 'राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षक' का पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।