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दारुल उलूम के नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक संभली का निधन, लंबे समय से थे बीमार

मौलाना अब्दुल खालिक संभली का गंभीर बीमारी के चलते दिल्ली समेत कई अस्पतालों में इलाज चला। फिलहाल वह मुजफ्फरनगर के एक अस्पताल में भर्ती थे। शुक्रवार शाम अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके आस्‍कमिक निधन पर दुख इजहार किया गया।

By Prem Dutt BhattEdited By: Updated: Fri, 30 Jul 2021 11:16 PM (IST)
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उलमा ने निधन को बताया इस्लामिक जगत की अपूर्णीय क्षति।

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। सहारनपुर के देवबंद में इस्लामी तालीम के विश्व विख्यात केंद्र दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम अब्दुल खालिक सम्भली का शुक्रवार को बीमारी के चलते निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। विभिन्न इस्लामिक संगठनों समेत उलमा ने उनके निधन को इस्लामी जगत का बड़ा नुकसान बताया है।

अस्‍पताल में थे भर्ती

मौलाना अब्दुल खालिक सम्भली का गंभीर बीमारी के चलते दिल्ली समेत कई अस्पतालों में इलाज चला। फिलहाल वह मुजफ्फरनगर के एक अस्पताल में भर्ती थे। शुक्रवार शाम अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। मौलाना सम्भली 39 साल से दारुल उलूम में अपनी सेवाएं दे रहे थे। बतौर उस्ताद छात्रों को हदीस की तालीम भी देते थे। मौलाना सम्भली के इंतकाल पर दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी, दारुल उलूम वक्फ के मोहतमिम मौलाना सुफियान कासमी, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और मौलाना महमूद मदनी ने दुख का इजहार किया है।

बेहद सादगी पसंद थे मौलाना सम्भली

मौलाना अब्दुल खालिक सम्भली का जन्म 5 जनवरी 1950 को सम्भल में हुआ था। उन्होंने दारुल उलूम देवबंद से शिक्षा हासिल की और संस्था में ही उस्ताद के रूप में अपनी सेवाएं देने लगे। उनकी कड़ी मेहनत, ईमानदारी की बदौलत उन्हें संस्था की वर्किंग कमेटी द्वारा उन्हें संस्था का नायब मोहतमिम नियुक्त किया गया। साथ ही उस्ताद के रूप में छात्रों को हदीस पढ़ाते थे। मौलाना सम्भली बेहद सादा मिजाज थे। दुनिया भर में मौलाना के हजारों शार्गिद हैं।