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मां शाकम्भरी मन्दिर पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, जानिए सिद्ध पीठ का पौराणिक महत्‍व

श्री शाकंभरी सिद्ध पीठ पर लगे शारदीय नवरात्र मेले का प्रथम मुख्य पर दुर्गाष्टमी जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे ही श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। श्रद्धालुओं के वाहन रात में भी सिद्धपीठ की ओर दौड़ रहे हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 09:26 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 09:26 AM (IST)
मां शाकम्भरी मन्दिर पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, जानिए सिद्ध पीठ का पौराणिक महत्‍व
मां शाकम्भरी मन्दिर पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब।

सहारनपुर, जेएनएन। श्री शाकंभरी सिद्ध पीठ पर लगे शारदीय नवरात्र मेले का प्रथम मुख्य पर दुर्गाष्टमी जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे ही श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। श्रद्धालुओं के वाहन रात में भी सिद्धपीठ की ओर दौड़ रहे हैं। यह श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में ही माता के दर्शन के लिए लाइन में लग जाते हैं। गुरुवार की तड़के भी माता के दर्शनों के लिए बैरिकेटिंग में श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग गई थी। बहुत से श्रद्धालु तो मनौती पूरी होने पर भूरा देव से एक किलोमीटर माता के दरबार तक लेट कर दर्शन करने पहुंच रहे हैं। इस यात्रा में विधान के अनुसार प्रथम पूजा के लिए श्रद्धालु पहले बाबा भूरादेव के भी दर्शन कर रहे हैं। यहां भी श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग रही है।

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सिद्ध पीठ का पौराणिक महत्व

महिषासुर दैत्य के अत्याचार से सभी देवता जब त्रस्त हो गए थे। पृथ्वी पर जल एवं वनस्पति का अकाल पड़ गया था। जिसके चलते व्याकुल देवताओं ने माता शक्ति की घोर तपस्या की थी। तब माता शक्ति प्रकट हुई तो देवताओं ने अपनी व्यथा उन्हें सुनाई। जिस पर माता शक्ति ने महिषासुर को ललकार कर इस स्थान पर घोर युद्ध किया था। जहां यह युद्ध हुआ था इस स्थान को वीर खेत के नाम से जाना जाता है और यह मुख्य मंदिर से कुछ ही दूरी पर है। युद्ध में यहां माता शक्ति ने महिषासुर का मर्दन किया था और इसके बाद उन्होंने पृथ्वी में एक तीर मारा था। जिससे जलधारा निकली थी और वर्षा भी हुई थी। जिसके परिणाम स्वरूप पहाड़ियों में वनस्पति उत्पन्न हुई थी। उनमें मुख्य कंदमूल सराल नाम से था। जिसका देवताओं ने माता को भोग लगाया और अपनी उदर पूर्ति की थी। इस शाक के उत्पन्न होने के कारण ही माता शक्ति का नाम शाकंभरी पड़ा था।


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