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    पिलर पर ठोकर लगते ही सेंट्रल मार्केट 661/6 पर बना काम्प्लेक्स हुआ धड़ाम...निर्माण ध्वस्त होते ही छाया धूल का गुबार

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Sun, 26 Oct 2025 12:26 PM (IST)

    Meerut News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 661/6 पर निर्मित काम्प्लेक्स रविवार को दूसरे दिन पूरी तरह ढहा दिया गया। सामने के पिलर जैसे ही पोकलेन मशीन ने ठोकर मारी, पूरा परिसर भरभरा कर गिर गया। बता दें कि शनिवार को 4:30 घंटे चली कार्रवाई के दौरान इमारत का बड़ा हिस्सा ध्वस्त नहीं किया जा सका था।

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    रविवार को प्रशासन की कार्रवाई के दूसरे दिन गिराया जाता 661/6 पर निर्मित काम्प्लेक्स। जागरण

    जागरण संवाददाता, मेरठ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 661/6 पर निर्मित काम्प्लेक्स रविवार को दूसरे दिन पूरी तरह ढहा दिया गया। सामने के पिलर जैसे ही पोकलेन मशीन ने ठोकर मारी, पूरा परिसर भरभरा कर गिर गया। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग दूर तक भागते नजर आए। चारों ओर धूल ही धूल का गुबार छा गया। बता दें कि शनिवार को 4:30 घंटे चली कार्रवाई के दौरान इमारत का बड़ा हिस्सा ध्वस्त नहीं किया जा सका था। टूर क्लीन मशीन खराब होने के कारण शाम 5:30 बजे कार्रवाई रोक दी गई थी। रविवार को सुबह स्थल के चारों ओर बेरिकेडिंग कर दी थी। पहले पानी का छिड़काव किया गया। दो पोकलेन मशीनों और एक जेसीबी की व्यवस्था की गई है।

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    शनिवार को ध्वस्तीकारण की कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में व्यापारी और आसपास के लोग जमा हो गए थे। लगभग 45 फुट ऊंची इमारत को ध्वस्त करने की कार्रवाई से पहले पुलिस प्रशासन ने आसपास के क्षेत्र को खाली कर लिया था। परिसर के अंदर भी घंटा से छानबीन की गई कि कहीं कोई मौजूद तो नहीं है। आवास विकास परिषद अधिशासी अभियंता आफताब अहमद ने परिसर में किसी भी व्यक्ति के न होने की बात क्यों जल्दी थाना पुलिस को लिखित में दी थी।
    दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को सेंट्रल मार्केट के इस आवासीय भूखंड पर बने व्यावसायिक कांप्लेक्स को तीन माह में खाली कराकर दो सप्ताह में ध्वस्त कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के 10 माह बाद इसको गिराने की कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। इस कांप्लेक्स के 22 दुकानदारों से शुक्रवार की रात ही दुकानों को खाली करा लिया गया था। यह भूखंड 1986 में आवासीय उपयोग के लिए आवंटित हुआ था, जहां व्यावसायिक कांप्लेक्स के रूप में अवैध निर्माण बढ़ता गया।

    आवास विकास परिषद ने 1990 में नोटिस देकर इसे गिराने को कहा था, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद आखिरकार कांप्लेक्स बचाने की व्यापारियों की दलील हार गई । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसी व्यापारी ने दुकान से सामान नहीं हटाया। याचिकाकर्ता लोकेश खुराना ने अवमानना का वाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। छह अक्टूबर को अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गृह सचिव, आवास आयुक्त, डीएम, एसएसपी, आवास विकास के अधिकारियों और उक्त काम्प्लेक्स के नौ व्यापारियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इसकी सुनवाई 27 अक्टूबर को होनी है।