'दादा जी, राजा शुंतुनू ने पूछा क्यों नहीं पुत्रो को फेंकने का कारण'
दादा जी राजा शुंतुनू ने पूछा क्यों नहीं? जब वह पुत्रों को नदी में फेंक रहीं थीं।.. महाभारत धारावाहिक का एपिसोड देखकर 13 साल के आर्यव के जेहन में यह सवाल कौंधा। एपिसोड समाप्त होने के बाद उन्होंने अपने दादा जेके आर्या से सवाल किया। दादा की आंखें नम थीं।
मेरठ, जेएनएन। 'दादा जी, राजा शुंतुनू ने पूछा क्यों नहीं? जब वह पुत्रों को नदी में फेंक रहीं थीं।'.. महाभारत धारावाहिक का एपिसोड देखकर 13 साल के आर्यव के जेहन में यह सवाल कौंधा। एपिसोड समाप्त होने के बाद उन्होंने अपने दादा जेके आर्या से सवाल किया। दादा की आंखें नम थीं। पुरानी यादों में खोते हुए जवाब दिया 'बेटा हम बता देंगे तो आपका अगले एपिसोड में सस्पेंस देखने की दिलचस्पी कम हो जाएगी।' वैसे तो राजा का नाम शांतनु था पर आर्यव को शुंतुनू याद रहा। आज बच्चों की रामायण व महाभारत के प्रति यह दिलचस्पी लगभग हर घरो में दिखाई दी। यही भारतीय संस्कृति की परंपराओ का हासिल है और संस्कारो का वसीयतनामा।
उनकी आंखे नम, इनकी यादें ताजा, इसके लिए अचंभा
रामायण और महाभारत लॉकडाउन के समय महज समय बिताने वाला धारावाहिक नहीं है। इन धारावाहिकों ने परिवार जोड़ दिया है और संवाद की कड़ियां भी। एक सुखद इत्तेफाक है कि तीनों पीढि़यां ये धारावाहिक एक साथ देख रही हैं बिलकुल उसी तरह जैसे 30-32 साल पहले देखा करते थे। जिनकी जवानी के दिनों में ये धारावाहिक आए वे अब बुजुर्ग होकर फिर से देख पा रहे हैं। उनकी आंखे नम हो रही हैं। जो किशोर थे उनकी यादें ताजा हो रही हैं कि वे कैसे टूट पड़ते थे और धारावाहिक देखने के लिए ट्यूशन तक छोड़ दिया करते थे। अब तीसरी पीढ़ी भी इससे रूबरू हो रही है। दादा और पिता के साथ। उसके लिए अचंभा है। जो पीढ़ी अब हॉलीवुड के साइंस फिक्शन और एक्शन फिल्मों तक देखकर समझ लेती है वह खुश है कि दादा के समय में भी जमाना एडवांस था।
सब काम रोक दो, धारावाहिक देखने दो
दिल्ली रोड श्रीराम पैलेस निवासी अमित अग्रवाल 45 के पिता आलोक कुमार 72 व मां अपर्णा 65 ने बताया कि उनके लिए तो ये धारावाहिक देखना खाना खाने या अन्य किसी काम से बढ़कर था। आलोक बताते हैं कि वह लोगों को चिल्लाकर कहते थे। सभी लोग काम रोक दो, जितने भी लोग हैं सब को धारावाहिक देखने दो। जैसे पता चलता लोगों को कि धारावाहिक का समय हो गया है सब धड़ाधड़ काम रोक कर टीवी के सामने बैठ जाते थे। अमित का 10 साल का बेटा शुभ्रांश ने बताया कि उसे अच्छा लगा। गेम खेलकर बोर रहा था, इसमें तो मन लगेगा। जानकारी बढ़ेगी।
पापा हम ये देखेंगे, मम्मी वाले सीरियल मत लगा देना
आर्या के परिवार की तरह ही गढ़रोड निवासी अमित पुंडीर की मां 65 वर्षीय मुन्नी देवी की आंखें नम थीं। बेटी रिया (15) व बेटा मृत्युंजय (13) ने पूछा 'पापा ये धारावाहिक इतने फेमस क्यों थे? क्यों इतनी चर्चा हो रही है अब? हमें सारे एपिसोड देखने हैं। मम्मी वाले सीरियल मत लगा देना।' बच्चों की दिलचस्पी देख दादी ने बताया कि उनके समय में जब टीवी पर रामायण सीरियल आता था तब अगरबत्ती जला देते थे। धारावाहिक क्या होता है यह बाद में समझ में आया। अभी भी राम के रूप में वही चित्र आंखों में ताजा है।
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