डिग्री नहीं, ज्ञान प्रधान होनी चाहिए हमारी शिक्षा : चिन्मयानंद बापू
मेरठ के सदर भैंसाली मैदान में विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में 'युवा संवाद' सत्र हुआ, जिसमें कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने छात्रों को शिक्षा और संस्कार का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि शिक्षा जीविका के लिए नहीं, जीवन के लिए होनी चाहिए और छात्रों को तनाव से दूर रहना चाहिए। उन्होंने माया से भ्रमित न होने और राष्ट्र के विकास में योगदान देने की बात कही।

सदर भैंसाली मैदान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में चिन्मयानंद बापू से भेंट करते बागपत सांसद डा. राजकुमार सांगवान : सौ. ट्रस्ट
जागरण संवाददाता, मेरठ। सदर भैंसाली मैदान में विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में सोमवार सुबह "युवा संवाद" के रूप में एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इसमें 14 से 18 वर्ष तक की आयु वाले कक्षा नौ से 12 तक के 10 विद्यालयों के लगभग दो हजार विद्यार्थियों को आमंत्रित किया गया। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने शिक्षा और संस्कार पर केंद्रित करते हुए विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया और उनके प्रश्नों का जवाब दिया। संचालन निकुंज गर्ग व सुधांशु सिंघल ने किया। मेरठ पब्लिक स्कूल ग्रुप के विद्यार्थियों ने स्वागत गान में श्री राधा-श्रीराधा तू ही तू, ऐ मुरली वाला तू ही तू भजन का सुंदर गायन किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष हर्ष गोयल ने सभी विद्यार्थियों का स्वागत किया।
डिग्री नहीं, ज्ञान प्रधान होनी चाहिए हमारी शिक्षा
चिन्मयानंद बापू ने कहा कि हमारी शिक्षा डिग्री नहीं, ज्ञान प्रधान होनी चाहिए। हमें जीविका के लिए नहीं, जीवन के लिए पढ़ना है। ज्ञान कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। संस्कृत दुनिया की सबसे समृद्धशाली भाषा है। बापू ने कहा कि हमारी शिक्षा में संस्कार होने चाहिए। भगवान राम, राजा कुल में जन्म लेने के बाद भी राजसी वैभव छोड़कर गुरुकुल में गए और शिक्षा ग्रहण की। भगवान कृष्ण ने भी गुरुकुल में शिक्षा ली। भगवान राम और कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें सीखना चाहिए। विद्यालय जाते हुए हमारे अंदर शिक्षक के प्रति आदर-सम्मान होना चाहिए। गुरु से ही ज्ञान मिलता है। विद्यालय में विद्या ग्रहण करना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। चिन्मयानंद बापू ने कहा कि वर्तमान शिक्षण पद्धति में बच्चे तनाव में चले जाते हैं, उन्होंने कहा कि हमें तनाव नहीं लेना है। हमें जीविका के लिए नहीं, जीवन के लिए शिक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञान वह प्रकाश रूपी सूर्य है, जो उदित होते ही अज्ञान रूपी अंधकार को निगल लेता है। प्रवचन के अंत में चिन्मयानंद बापू ने सभी विद्यार्थियों को दुर्व्यसन से दूर रहने का संकल्प दिलाया। रवि माहेश्वरी, मेरठ पब्लिक स्कूल की चेयरमैन कुसुम शास्त्री, विक्रमजीत शास्त्री, हर्ष गोयल, अमित गर्ग मूर्ति, अमन गुप्ता, अनिल मित्तल, संजीव गुप्ता, ओमपाल सिंह मौजूद रहे।
परमात्मा निराकार ही है, वह तो केवल प्रेम को देख अवतरित हो जाते हैं
जागरण संवाददाता, मेरठ : सदर भैंसाली मैदान में तृतीय दिवस की श्रीमद् भागवत कथा में अंतरराष्ट्रीय कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने सोमवार शाम भगवान कपिल ध्रुव प्रहलाद चरित्र का प्रसंग श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि जगत को चलाने वाले जगदीश हैं। वह सृष्टि का संचालन करते हैं। हम और आप तो केवल माध्यम हैं। करने और कराने वाले तो ईश्वर होते हैं। माया हमें भ्रमित करती रहती है। इसी माया के कारण पूरा जगत भ्रमित होता है। हमने इस शरीर को ही सत्य मान रखा है, जबकि यह शरीर सत्य नहीं है। कुछ लोग इतने भ्रमित हो जाते हैं कि उन्हें जगत पर नहीं, कभी-कभी जगदीश पर संदेह होने लगता है। बापू ने कहा कि माया की शक्ति परमात्मा द्वारा ही प्रेरित है। परमात्मा वास्तव में निराकार ही है, वह तो केवल प्रेम को देखकर अवतरित हो जाते हैं। परमात्मा ही सत्य है। किसी भी प्रकार से हमारे मन में श्रीकृष्ण भक्ति आ जाए, यह मनुष्य का परम धर्म है। भागवत जी का अधिकारी वही है, जिसके अंदर से ईर्ष्या चली गई हो। भागवत जी सुनने का सबसे बड़ा लाभ हमारे अंदर परमात्मा आकर बस जाते हैं। भागवत जी का संबंध वेदों से हैं। जय जय जय हे वीणादायिनी, सात सुरों की तू महारानी भजन से मां शारदे का गुणगान भी किया। बापू ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में हमारा देश चहुंओर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब कोई राष्ट्र औद्योगिक, आर्थिक के अलावा आध्यात्मिक रूप से भी विकास करने लग जाए तो समझ जाइए कि हमारा नेतृत्व श्रेष्ठ हाथों में पहुंच गया है। कथा के आयोजक विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट के अध्यक्ष हर्ष गोयल व मुख्य संयोजक विक्रमजीत शास्त्री ने बताया कि आज (मंगलवार) को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भव्यता से मनाया जाएगा। अतिथि सांसद डा. राजकुमार सांगवान का स्वागत किया गया। कुसुम शास्त्री, मुख्य यजमान दीपिका गुप्ता-अमित गर्ग मूर्ति, अमन गुप्ता, अनिल मित्तल, संजीव गुप्ता समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
विद्यार्थियों ने पूछे सवाल... चिन्मयानंद बापू ने सहज भाव से दिए जवाब
-विद्यार्थी जीवन में हमारा मन क्यों भटक जाता है, अपने आप को एकाग्र कैसे करें ?-अनन्या पंवार, कक्षा दस, तक्षशिला पब्लिक स्कूल
समय बड़ा महत्वपूर्ण है। इसे व्यर्थ न करें। योग, प्राणायाम व ध्यान की आदत डालें। मन को एकाग्र कर अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करें।
-भारत के विकसित बनने में विद्यार्थी अपना क्या योगदान दे सकते हैं ?- रूद्रांश, एसडी इंटर कालेज सदर
हमें अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठा से कार्य करना है। शिक्षा ग्रहण कर राष्ट्र के प्रति अपना मूल कर्तव्य निर्वहन करते रहें।
वर्तमान में योग विद्यार्थियों के लिए कैसे उपयोगी है ? - अमन मिश्रा, बिल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय
चित्त की शुद्धि के लिए योग, प्राणायाम व ध्यान बहुत जरूरी है। विद्यार्थी जीवन में इनकी गुरुकुल से रही परंपरा रही है।
जीवन में सफल होने के लिए क्या करना चाहिए ? शिवम, मेरठ पब्लिक स्कूल हमें अपने जीवन में लक्ष्य जरूर निर्धारित करना चाहिए। आदर्श विद्यार्थी वही है, जिसका लक्ष्य निर्धारित हो।
सनातन ज्ञान हमें क्या सिखाता है ? - सूर्य, राम सहाय इंटर कालेज
सनातन से हमें सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया... का बड़ा ही सुंदर संदेश मिलता है। इसका अनुपालन करना चाहिए।

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