National Education Policy: आधारशिला लैब के जरिए इसरो के विज्ञानियों से जुड़ेंगे परिषदीय स्कूलों के बच्चे, ये है पूरी योजना
Aadharshila Lab News मेरठ जिले में हर ब्लाक के एक उच्च प्राथमिक विद्यालय में बन रही है वैज्ञानिक उपकरणों के सुसज्जित आधारशिला लैब। मेरठ के दो स्कूलों उच्च प्राथमिक विद्यालय पठानपुरा और मोहिउद्दीनपुर में यह लैब बन चुकी है और तीसरी लैब इंचौली में बन रही है।
अमित तिवारी, मेरठ। Aadharshila Lab Meerut पांच नवंबर 2013 को मंगल ग्रह की ओर भारतीय जमीं से उड़ान भरने वाले मंगलयान ने जब 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया तो पूरे देश की निगाहें उसी को टकटकी लगाए देख रही थी। इससे देश में विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र को लेकर पनपे विश्वास की लहर चंद्रयान-दो तक भी देखने को मिली। चंद्रयान-दो भले अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सका पर देश की उम्मीदें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो से बंध गई। उसी रोमांच को जुनून बनाने और देश के विज्ञानियों से नई पीढ़ी को रूबरू होने का अवसर परिषदीय विद्यालयों में बनाए जा रहे आधारशिला लैब के जरिए मिलेगा।
सीखेंगे, जानेंगे, खुद करेंगे और जुड़ेंगे भी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को परिषदीय शिक्षा में लागू करने के लिए विद्यालयों में अंतरिक्ष, गणित, विज्ञान और तकनीक से सुसज्जित ‘आधारशिला’ नामक लैब बनाई जा रही है। मेरठ के दो स्कूलों, उच्च प्राथमिक विद्यालय पठानपुरा और मोहिउद्दीनपुर में यह लैब बन चुकी है और तीसरी लैब इंचौली में बन रही है। इनमें लर्निंग बाई डूइंग की तर्ज पर बच्चों को कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, ड्रोन तकनीक, न्यूटन के नियम, बुलेट ट्रेन की संकल्पना, ग्रहों का घूमना और टेलिस्कोप से ब्रम्हांड की सैर करने का मौका मिल रहा है।
सोलर सिस्टम यानी सौर प्रणाली, रात और दिन की प्रक्रिया, फिजिक्स में लाइट, लेंस और साउंड, केमिस्ट्री में तापमान मापने से लेकर बैट्री की संकल्पना, बायोलाजी में मानव शरीर व सेल, गणित में अबेकस, तकनीक में सेंसर और व्यक्तित्व व करियर विकास की दिशा में प्रशिक्षण के साथ ही देश के शीर्ष शोध संस्थानों और इसरो के विज्ञानियों से रूबरू होने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा।
बच्चे ही नहीं, समाज को जोड़ना है लक्ष्य
आधारशिला लैब के जरिए ग्रामीण बच्चों के साथ ही उनके अभिभावकों व गांव के लोगों को भी नवाचार तकनीक और विज्ञान से जोड़ने की मुहिम मेरठ में शुरू की गई है। कक्षा छह से 12वीं तक पढ़ाए जाने वाले विज्ञान का प्रैक्टिकल कराना और बड़ों को जीवन के हर कार्य में विज्ञान और गणित के महत्व को समझाया जाएगा। उच्च प्राथमिक विद्यालय पठानपुरा में कक्षा सातवीं की छात्रा खुशी व सिमरन तेजी से उपकरणों का प्रयोग खुद सीख कर अन्य छात्र-छात्राओं को भी सिखा रही हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार के अनुसार स्कूली बच्चों के साथ ही आस-पास के क्षेत्र से पब्लिक स्कूलों के बच्चे, शिक्षक, अभिभावक भी लैब देखने आ रहे हैं और बच्चों को वैज्ञानिक बनने को प्रेरित कर रहे हैं।
इनका कहना है
प्राथमिक तौर पर हर ब्लाक के एक स्कूल और भविष्य में जिले के सभी 92 न्याय पंचायतों के एक-एक स्कूल में आधारशिला लैब बनाने की योजना है।इसके साथ ही देश के तमाम शोध संस्थानों, इसरो के विज्ञानियों को लैब से जोड़कर गांव-गांव के बच्चों को रूबरू होने का मौका देने की योजना है।
- शशांक चौधरी, मुख्य विकास अधिकारी, मेरठ