खराब हवा और बदलते मौसम से बच्चों में बढ़ा दमा का अटैक, घर में छोटे बच्चे हैं तो इस बात का रखे ख्याल
मेरठ के मेडिकल कॉलेज में दमा के अटैक से पीड़ित 30 बच्चे भर्ती हुए हैं। चिकित्सकों के अनुसार, वायु प्रदूषण और बदलते मौसम के कारण बच्चों में यह समस्या बढ़ रही है। दीपावली पर पटाखे जलाने से प्रदूषण और बढ़ गया है। बच्चों को तेज सांस, खांसी और जुकाम जैसे लक्षण हैं। बचाव के लिए बच्चों को प्रदूषण से बचाना और प्रोटीन युक्त आहार देना जरूरी है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। बढ़े-बुजुर्गों में ही नहीं अब बच्चों में भी दमा का अटैक पड़ रहा है। इसकी वजह बदलते मौसम के साथ वायु प्रदूषण है। दीपावली पर पटाखे जलाने से जो वायु प्रदूषण बढ़ा है, उसने ट्रिगर का काम किया है। लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में तीन दिनों के भीतर लगभग 30 बच्चे दमा के चलते भर्ती किए गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि यह समस्या पांच साल से कम के बच्चों में अधिक है।
मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में नवजात शिशुओं से लेकर बड़े बच्चों तक को भर्ती करने के लिए कुल 110 बेड हैं। करीब 90 बेड पर भर चुके हैं। 30 बेड पर सांस संबंधी समस्या से पीड़ित बच्चे भर्ती हैं। बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. अनुपमा वर्मा ने बताया कि तेज सांस चलने, खांसीख् जुकाम, घरघराहट की आवाज, बुखार के लक्षणों के साथ बच्चे अस्पताल में उपचार को आ रहे हैं।
दो बच्चे आक्सीजन लेवल कम होने पर भर्ती किए गए। एकाएक अस्थमा बढ़ने की दो प्रमुख वजह हैं। एक तो मौसम में बदलाव चल रहा है और दूसरा पटाखों की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ गया है। छोटे बच्चों की सांस नली पतली होती है। प्रदूषित हवा में मौजूद धूल के कण, हानिकारक गैसें सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इससे सांस की नली सिकुड़ जाती है। जिससे घरघराहट की आवाज, तेज सांस चलने लगती है। गले में खराश और खांसी शुरू हो जाती है।
बचाव के लिए ये करें
-वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होने पर बच्चों को घर के बाहर निकलने न दें।
-फेफड़ों को प्रदूषण से बचाने के लिए मास्क लगाएं। घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं।
-बच्चों को फ्लू की वैक्सीन जरूर लगवाएं। इससे निमोनिया का खतरा कम होगा।
-खानपान में प्रोटीन डाइट बढ़ाएं। तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।
ये हानिकारक प्रभाव देखने को मिल रहे
-सांस नली में सूजन और जलन की समस्या ।
-खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ।
-फेफड़ों के संक्रमण की संभावना भी बढ़ी है।
-आक्सीजन लेवल गिरने से फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित।
चिकित्सकों ने कहा कि...
-दीपावली पर पटाखों से वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है। इससे अगले पांच से सात दिन तक सावधान रहने की जरूरत है। खासतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों का विशेष ध्यान रखें। करीब 25 प्रतिशत बच्चों में सांस संबंधी समस्या बढ़ी है। बच्चों में आक्सीजन लेवल गिरना, घरघराहट, तेज सांस चलना प्रमुख लक्षण हैं। बचाव के लिए बड़े बच्चों को मास्क लगाएं। छोटे बच्चों को घर में रखें। ऐसे मौसम में बच्चों को गुनगुना पानी पिलाएं। खानपान में प्राेटीन डाइट बढ़ाएं जैसे पनीर, सोयाबीन, दालें, चना, राजमा फायदेमंद हैं। एंटी आक्सीडेंट वाले खाद्य पदार्थ जैसे अनार, कीवी, ब्रोकली, केला, सेब, अखरोट का सेवन करें। इससे इम्युनिटी बढ़ेगी।तरल पदार्थ जैसे नीबू पानी, कोकोनेट वाटर बच्चों को पिलाएं। -डा. अमित उपाध्याय, बाल रोग विशेषज्ञ, न्यूटिमा अस्पताल।
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