Pitri Paksha: विशेष महत्व रखता है पितृ पक्ष में गायत्री मंत्र का जप और गीता का दान
शास्त्रों में कहीं कोई ऐसा वर्णन नहीं है कि खरीदारी निषेध हो। जनमानस में यह केवल एक भ्रम है। पितृ पक्ष में केवल शुभ कार्य जैसे विवाह मुंडन व कुआं पूजन आदि ही निषेध होते हैं।
मेरठ, जेएनएन। Pitri Paksha पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए पितृ पक्ष विशेष समय है। हमें अपने पूवजों से क्षमा मांगकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। इस पक्ष में नया सामान खरीदना निषेध है, जनमानस की यह अवधारणा बिल्कुल गलत है। पितृ पक्ष में श्रीमद्भागवत गीता का दान विशेष महत्व रखता है। इस समय गायत्री मंत्र का जाप वंश वृद्धि करने वाला होता है। पितृ पक्ष के संबंध में विद्वानों की राय इस प्रकार है।
शुभ कार्य ही निषेध है
शास्त्रों में कहीं कोई ऐसा वर्णन नहीं है कि खरीदारी निषेध हो। जनमानस में यह केवल एक भ्रम है। पितृ पक्ष में केवल शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन व कुआं पूजन आदि ही निषेध होते हैं। इसके पीछे कारण है कि चातुर्मास होने के कारण शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, देव शयन करते हैं। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, इन चार माह में स्वाभाविक तौर पर शुभ कार्य नहीं होते हैं। केवल यही कारण है कि श्राद्ध में शुभ कार्य को निषेध माना गया है। जनमानस में यह भी अवधारणा है कि इस पक्ष में पूजन कार्य भी नहीं करने चाहिए, लेकिन यह भी भ्रम है, बल्कि इस समय किए गए पूजन और दान व मंत्र कहीं अधिक फल देने वाले होते हैं। जब हम इस तरह के शुभ कार्य करते हैं, एक मान्यता के अनुसार पितृ धरती पर आए हुए होते हैं, वो हमें पूजन, दान व मंत्र आदि कार्य करते हुए देखकर अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद स्वरूप सुख-शांति व संपत्ति प्रदान करते हैं। पितृ पक्ष में अनाज, चावल, दाल, नमक, गुड़, काले तिल के अलावा जरूरतमंदों की किसी भी प्रकार से सहायता करना लाभदायी सिद्ध होता है। श्रीमद्भागवत गीता का दान विशेष महत्व रखता है। इस समय गायत्री मंत्र का जाप वंश वृद्धि करने वाला होता है।
- राहुल अग्रवाल, ज्योतिषाचार्य
गाय और भूखे को भोजन कराना उत्तम
पितृ पक्ष में गाय व भूखे को भोजन कराना बेहद पुण्य कार्य माना जाता है। शास्त्रों में पितरों का श्राद्ध करने की महिमा का वर्णन किया गया है। जल में काला तिल डालकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। कच्चा दूध जल में मिलाकर दक्षिण दिशा में 'पितृ देवताभ्यो नम: मंत्र का जाप करते हुए सच्चे मन से पितरों के लिए जल अर्पित करें। कौआ, श्वान के लिए भोजन निकालें और उन्हें भोजन जरूर कराएं। कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में मंदिरों के पुजारी व पंडितों की सहायता भी की जा सकती है। शास्त्रों में खरीदारी निषेध नहीं है। ऐसा कोई वर्णन किसी भी शास्त्र में नहीं आता है। जिस दिन घर में श्राद्ध करना हो, उस दिन वृद्धों को सम्मानपूर्वक भोजन कराएं। पितृ पक्ष में देव शयन के कारण विवाह, मुंडन व गृह प्रवेश व कुआं पूजन आदि निषेध माना जाता है। इसके अलावा कोई भी कार्य करना, किसी भी वस्तु की खरीदारी करना गलत नहीं है। अपनी संतान को खरीदते हुए या संपत्ति बढ़ते देख पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
- पं. मनोज शर्मा, पुजारी, श्रीगंगा शिव मंदिर
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