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    CCS University ने दिए देश को आठ कुलपति, प्रोफेसर नवीन चंद लोहनी बने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के VC

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 05:14 PM (IST)

    चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के शिक्षक देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति बनकर सेवाएं दे रहे हैं। प्रोफेसर नवीन चंद लोहनी सीसीएसयू से निकलने वाले आठवें कुलपति हैं जिन्हें उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया है। विश्वविद्यालय परिवार इस उपलब्धि से खुश है और भविष्य में और भी शिक्षकों के कुलपति बनने की संभावना है।

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    सीसीएसयू : सीसीएसयू से कुलपति बनकर निकले आठ कुलपति

    जागरण संवाददाता, मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से पढ़कर देश-दुनिया में नाम रोशन करने वाले बेहतरीन बिजनेसमैन, वैज्ञानिक, खिलाड़ी तो हैं ही, यहां के शिक्षकों ने भी देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति बनकर सेवाएं देने में भी अग्रणी रहे हैं।

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    उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्ति हुए हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद लोहनी सीसीएसयू से निकले आठवें कुलपति हैं। विश्वविद्यालय में शिक्षक के तौर पर सेवा देने वाले शिक्षकों में वर्ष 2004 से लेकर 2025 तक आठ शिक्षक कुलपति बने हैं।

    इस नई उपलब्धि से विश्वविद्यालय परिवार में खुशी है। यह सिलसिला यहीं नहीं रुकने वाला है। विश्वविद्यालय के कुछ एक वरिष्ठ आचार्य और भी हैं जो निकट भविष्य में देश के किसी विश्वविद्यालय के कुलपति बन सकते हैं।

    प्रोफेसर नवीन चंद लोहनी से पीछे के क्रम में चलें तो जनवरी 2025 में ही सीसीएसयू में प्रति कुलपति रहीं प्रोफेसर वाई विमला वर्तमान में सहारनपुर स्थित मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय की कुलपति हैं। उनसे पहले सीसीएसयू में प्रति कुलपति रहे प्रोफेसर एचएस सिंह वर्ष 2021 में मां शाकुंभरी देवी विश्वविद्यालय के पहले कुलपति बने थे।

    उसी वर्ष विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा आजमगढ़ स्थित सुहेलदेव विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे। वर्ष 2019 में सीसीएसयू के राजनीति विज्ञान विभाग के वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति पद पर नियुक्त हुए और वहां अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद वापस सीसीएसयू में लौटे।

    सीसीएसयू के अर्थशास्त्र विभाग में कार्यरत रहे शिक्षक प्रोफेसर एनके तनेजा वर्ष 2015 में अपने ही विश्वविद्यालय में कुलपति बने और उन्होंने कुलपति के दो टर्म पूरे किए। उनसे पहले वर्ष 2008-09 में प्रोफेसर सुरेश वीर सिंह राणा को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी का कुलपति बनने का अवसर मिला।

    वर्ष 2004 में सीसीएसयू में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष रहे प्रोफेसर अरुण कुमार को गोरखपुर विश्वविद्यालय का कुलपति बनने का अवसर मिला था। विश्वविद्यालय परिसर से निकले कुलपतियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।