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    बुलंदशहर: मंकीपाक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क, शुरूआती लक्षणों को पहचानें, बरतें सावधानी

    By Taruna TayalEdited By:
    Updated: Tue, 26 Jul 2022 02:24 PM (IST)

    बुलंदशहर में सीएमओ डा. विनय कुमार सिंह ने सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों की गहनता से निगराने करने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली में मरीज मिलने के बाद एडवाइजरी जारी। सीएमओ ने निजी अस्पतालों को भी दिए निर्देश

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    मंकीपाक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क ।

    बुलंदशहर, जागरण संवाददाता। केरल के बाद दिल्ली में मंकीपाक्स का मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया हैं। सीएमओ डा. विनय कुमार सिंह ने सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों की गहनता से निगराने करने के निर्देश दिए हैं। यदि किसी भी अस्पताल में आने वाले मरीज में मंकी पाक्स के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत विभाग को सूचना देंगे।

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    पहले मंकीपाक्स का केस केरल में मिला। केरल की एनसीआर और जिले से काफी दूरी है लेकिन अब दिल्ली में केस मिला है। दिल्ली जिले के नजदीक है और कितने ही लोग बुलंदशहर जिले से रोजाना दिल्ली जाते भी हैं। इसलिए जिले में सतर्कता बरतने को कहा गया है। निजी अस्पतालों को भी निर्देशित किया गया है कि यदि किसी मरीज में मंकी पाक्स के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत विभाग को बताएगा।

    जिले में नहीं कोई संद‍िग्‍ध मरीज

    सीएमओ ने बताया कि अभी तक जिले में कोई केस मंकीपाक्स का संदिग्ध भी नहीं मिला है। शासन स्तर से जांच या अन्य कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई। फिर भी दिल्ली से सटे होने के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। मंकीपाक्स एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली बीमारी है। संक्रमण दो-चार सप्ताह तक रहता है। बचाव के लिए जरूरी है कि उन जानवरों के संपर्क में आने से बचें जो वायरस को शरण दे सकते हैं। मंकीपाक्स पशु जनित बीमारी है। यह बीमारी दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाती है। बुखार आने पर पैरासिटामाल ले लें। संक्रमित के कपड़े से भी दूरी बनाएं। हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। मरीज अपने घावों को ढककर रखे।

    ये बरतें सावधानी

    सीएमओ ने बताया कि इंसानों में मंकीपाक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरुआत में सिरदर्द, बुखार, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है। यह वायरस शरीर में घाव, सांस व मुंह से शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी से इसका प्रसार होता है। शरीर पर दाने निकलने लगते हैं। चेहरे पर भी दाने पड़ने लगते हैं।