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    क्‍या जिंक की ओवरडोज से भी बढ़ा Black Fungus, जानें विशेषज्ञों ने क्‍या कहा?

    By Himanshu DwivediEdited By:
    Updated: Tue, 25 May 2021 08:56 AM (IST)

    ब्‍लैक फंगस की रफ्तार ने चिकित्सा विज्ञानियों को हैरत में डाल दिया है। डाक्टरों ने जिंक की ओवरडोज से भी ब्लैक फंगस बढ़ने की बात कही है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कोरोना मरीजों ने अंधाधुंध जिंक और मल्टी विटामिन का सेवन किया।

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    क्‍या जिंक की ओवरडोज से भी बढ़ा ब्‍लैक फंगस।

    [संतोष शुक्ल] मेरठ। ब्लैक फंगस की रफ्तार ने चिकित्सा विज्ञानियों को हैरत में डाल दिया है। डाक्टरों ने जिंक की ओवरडोज से भी ब्लैक फंगस बढ़ने की बात कही है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कोरोना मरीजों ने अंधाधुंध जिंक और मल्टी विटामिन का सेवन किया। चिकित्सा विज्ञानियों एवं बायो केमिकल विशेषज्ञों ने बताया है कि रक्त में जिंक, आयरन और अन्य मेटल बढ़ने से ब्लैक फंगस के लिए अनुकूल वातावरण मिला। अंतत: यह महामारी बनकर फैला।

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    ज्यादा जिंक ने शुगर भी बिगाड़ा

    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राजीव जयदेवन ने जिंक से ब्लैक फंगस बढ़ने के वैज्ञानिक कारणों को सामने रखा है। कोरोना प्रभावित मरीजों ने लंबे समय तक जिंक का सेवन किया। फंगस के लिए जिंक उत्प्रेरक का काम करता है। मेरठ मेडिकल कालेज के माइक्रो बायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग बताते हैं कि जिन मरीजों में फेरटिन यानी लोहा की मात्र बढ़ी, उनमें फंगस के लिए खतरा ज्यादा देखा गया। ब्लड में शुगर, सी रिएक्टिव प्रोटीन, डी-डाइमर भी बढ़ा। इससे प्रतिरोधक क्षमता गिरने से फंगल संक्रमण पकड़ने का खतरा बढ़ गया। उधर, होम आइसोलेशन से लेकर अस्पतालों में भर्ती मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जिंक समेत दर्जनों माइक्रोन्यूटिएंट दिए गए। इसका दुष्प्रभाव अब सामने आ रहा है। जिन मरीजों में शुगर अनियंत्रित थी, उनमें जिंक की अधिकता होने से शुगर और बिगड़ गई।

    फंगस हटाने के लिए शरीर से निकालना होगा जिंक

    मेडिकल कालेज के न्यूरोसर्जन डा. संजय शर्मा बताते हैं कि म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के इलाज को लेकर हुए शोध में जिंक की भूमिका सामने आ चुकी है। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एंफोटेरेसिन-बी और पोसाकोनोजोल नामक दवा दी जाती है। पोसाकोनोजोल के साथ जिंक चिलेटिंग यानी शरीर में जिंक कम करने वाली दवा देने से बेहतर फायदा हुआ। इससे फंगस के पैथोजन विकसित नहीं हो पाते हैं।

    ये हैं ब्लैक फंगस के मुख्य कारण

    अनियंत्रित शुगर, लंबे समय तक स्टेरायड का प्रयोग, आइसीयू में देर तक भर्ती, इंडस्टियल आक्सीजन और पाइप लाइन में गंदगी, खेत व गमले की मिट्टी के सपंर्क में आना।

    विशेषज्ञों की बात

    जिंक समेत कई प्रकार के मेटल फंगस की ताकत बढ़ाते हैं। कोरोना से बचने और उसके इलाज के क्रम में लोगों ने जिंक का अंधाधुंध सेवन किया। सन 2013 में एक शोध में सामने आया था कि फंगस की दवा पोसाकोनोजोल के साथ शरीर से जिंक निकालने वाली दवा देने से इलाज में बड़ा फायदा मिला था। बड़ी संख्या में ऐसे मरीज मिले हैं, जिन्हें न आक्सीजन दी गई और न ही उन्होंने स्टेरायड लिया। इसके बाद भी वो ब्लैक फंगस की चपेट में आए।

    डा. संजय शर्मा, न्यूरो सर्जन मेडिकल कालेज

    रूमेटाइड अर्थराइटिस में मरीज लगातार स्टेरायड खाते हैं। शुगर भी अनियंत्रित होती है लेकिन ब्लैक फंगस नहीं हुआ। फंगल संक्रमण के कई कारण हैं। कोविड मरीजों में फेरिटिन की मात्र ज्यादा मिली। यह ऐसी प्रोटीन है, जिसका सेवन कर ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ सकता है। जिंक भी ऐसा ही एक मेटल है।

    डा. संदीप ग्रोवर, इम्युनोलाजिस्ट 

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