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    पश्चिम यूपी में BJP के हाथ से खिसकती 'पावर', अब नया दांव चलना तय! केंद्रीय मंत्री की हार ने दिया बड़ा झटका

    चुनाव परिणाम में अपेक्षित सफलता न मिलने के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। जाट-गुर्जर राजनीति की चौधराहट बदलती नजर आ रही है। मुजफ्फरनगर सीट से जाट चेहरा व केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान की हार और बागपत सीट रालोद के कोटे में जाने के बाद भाजपा के हाथ से चौधराहट फिसल रही है।

    By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sun, 09 Jun 2024 09:45 AM (IST)
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    पश्चिम यूपी में BJP के हाथ से खिसकती 'पावर', अब नया दांव चलना तय!

    संतोष शुक्ल, मेरठ। चुनाव परिणाम में अपेक्षित सफलता न मिलने के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। जाट-गुर्जर राजनीति की चौधराहट बदलती नजर आ रही है। मुजफ्फरनगर सीट से जाट चेहरा व केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान की हार और बागपत सीट रालोद के कोटे में जाने के बाद भाजपा के हाथ से चौधराहट फिसल रही है।

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    बागपत के निवर्तमान सांसद सत्यपाल सिंह चुनाव के दौरान पार्टी से दूर-दूर रहे, जबकि प्रदेश में बड़ी हार के बाद भाजपा के अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी की भी राजनीतिक ताकत घटी है। पश्चिम उप्र की जाट राजनीति रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी के इर्द-गिर्द केंद्रित होगी, जिन्हें केंद्र में मंत्री पद भी मिलने जा रहा है। वहीं, भाजपा अपने कोटे से जाट नेताओं को बढ़ाने के लिए नए चेहरों पर दांव चलेगी।

    2014 में भाजपा बनी थी "चौधरी"

    पश्चिम उप्र की राजनीति जाट-गुर्जर समीकरण की धुरी पर घूमती रही है। पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की विरासत संभालने वाला राष्ट्रीय लोकदल लंबे समय तक जाटों की पहली पसंद बना, लेकिन बाद में सपा, बसपा और भाजपा ने सत्ता में आने के बाद जाटों एवं गुर्जरों को भरपूर तवज्जो दी।

    2009 में भाजपा और रालोद ने साथ चुनाव लड़ा, जिसमें चौ. अजित सिंह ने बागपत और जयन्त चौधरी ने मथुरा से जीत दर्ज की। भाजपा से कोई जाट चेहरा संसद नहीं पहुंचा। लेकिन 2014 में मोदी लहर के बीच पश्चिम यूपी में नई सोशल इंजीनियरिंग की गाड़ी पूरी गति से दौड़ी।

    भाजपा का पश्चिम में कोई जाट सांसद नहीं

    भाजपा के टिकट पर 2014 में तीन जाट नेता मुजफ्फरनगर से डा. संजीव बालियान, बागपत से डा. सत्यपाल सिंह एवं बिजनौर से कुंवर भारतेंदु जीतकर संसद पहुंचे और रालोद को कोई सीट नहीं मिली। 2017, 2019 एवं 2022 के चुनावों में भी भाजपा ने जाट नेताओं को सरकार से संगठन तक पूरी ताकत दी।

    2024 में भाजपा ने रालोद से हाथ मिला लिया, लेकिन पार्टी के जाट नेता डा. संजीव बालियान हार गए। बागपत सीट रालोद के कोटे में जाने से सत्यपाल सिंह प्रचार से भी दूर हो गए। प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के कार्यकाल में पार्टी 62 से 33 सीट पर आ गई, ऐसे में माना जा रहा है कि उनकी राजनीतिक चुनौतियां बढ़ेंगी।

    नए जाट चेहरों पर भाजपा की नजर

    पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल पढ़े लिखे और युवा जाट चेहरा माने जाते हैं जिन्हें पार्टी ने प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी बनाया है। उनके नेतृत्व में 2022 विस चुनाव में सपा और रालोद गठबंधन के बावजूद पश्चिम क्षेत्र में भाजपा बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही थी।

    दो बार प्रदेश उपाध्यक्ष रहे देवेंद्र चौधरी का संगठन में लंबा अनुभव रहा और इस बार प्रभारी रहते हुए बरेली लोकसभा सीट जिताया। पीलीभीत लोकसभा की बहेड़ी विस में भी जीत मिली। राज्य सरकार में मंत्री केपी मलिक, विधायक डा. मंजू सिवाच, सुचि चौधरी, पूर्व विधायक उमेश मलिक, योगेश धामा व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अंकुर राणा समेत चुनिंदा विकल्प हैं जिसमें से पार्टी को नेतृत्व तैयार करना होगा।