लगातार हो रही है खुजली तो हो जाइए सावधान, किडनी पर पड़ सकता है असर
इस समय बारिश के मौसम में खुजली को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। लगातार खुजली से कई मरीजों की किडनी तक फेल हो गई है। इसे लेकर सावधानी बरतनी जरूरी है।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। बारिश के मौसम में खुजली को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। लगातार खुजली से कई मरीजों की किडनी तक फेल हो गई है। मेडिकल कॉलेज में चर्म रोगियों के पस का कल्चर कराने पर स्टेप्टोकोकस बैक्टीरिया मिला, जिसका किडनी पर घातक असर पड़ा। चिकित्सकों ने आगाह किया है कि इस संक्रमण से वयस्कों की किडनी हमेशा के लिए खराब हो सकती है।
गंदे नाखूनों से मत खुजलाना
मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभागाध्यक्ष डा. आरपी शर्मा ने बताया कि बारिश में फंगल, बैक्टीरियल और परजीवी घुनों की वजह से खुजली का रिस्क ज्यादा होता है। लगातार एक ही स्थान पर गंदे नाखूनों से खुजली करने पर पस पड़ने लगता है। मरीजों की ड्रग सेंसिटीविटी कल्चर कराने पर पता चला कि स्टेप्टोकोकस बैक्टीरिया शरीर में दाखिल हो चुका है। इस बैक्टीरिया को मारने के लिए शरीर में जो एंटीबॉडी बनती है, वो किडनी पर ही हमला कर देती है। ज्यादातर बच्चे उबर जाते हैं, लेकिन 30 साल से ज्यादा उम्र के युवकों में घातक असर देखा गया।
स्किन के मरीज थे..किडनी के बन गए
स्किन और गले में संक्रमण के मरीजों में किडनी रोग के लक्षण मिले हैं। सप्ताहभर बाद शरीर में सूजन, पेशाब में कमी, ब्लडप्रेशर में बढ़ोतरी मिली। यूरिन में प्रोटीन निकलने लगता है। उनके शरीर में यूरिया क्रिटनिन की मात्र बढ़ी मिली। कई मरीजों की किडनी खराब हो गई। आखिरकार उन्हें डायलसिस करानी पड़ी।
इनका कहना है
खुजलाते हुए कई मरीज किडनी के मरीज बन गए। स्किन में पस की जांच पर स्टेप्टोकोकस बैक्टीरिया मिला, जो किडनी के लिए बेहद घातक है। बारिश में खुजली को हल्के में न लें। गंदे नाखूनों से न खुजलाएं। - डा. आरपी शर्मा, चर्म रोग विभागाध्यक्ष, मेडिकल कालेज
अगर खुजली या गले में संक्रमण के सप्ताहभर बाद शरीर में सूजन, पेशाब में कमी, ब्लडप्रेशर बढ़ा मिले तो सावधान। संभव है कि इस बैक्टीरिया के प्रति शरीर में बन रही एंटीबाडी गुर्दे को खराब करने लगी है। सटीक इलाज से बच्चे जल्द ठीक होते हैं, लेकिन वयस्कों में रिस्क ज्यादा है। - डा. प्रशांत बेन्द्रे, गुर्दा रोग विशेषज्ञ
खुजली और खराश के दस दिन के अंदर पोस्ट स्ट्रेप्टोकोकल ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस-पीएसजीएन बीमारी हो सकती है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किडनी खराब करती है। मरीज का यूरिन भूरे रंग का हो सकता है। डायलिसिस भी करना पड़ता है। हर अंग की सफाई रखें। - डा. संदीप गर्ग, गुर्दा रोग विशेषज्ञ
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