मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं, ऐसे में कौन खरीदेगा एमडीए के फ्लैट्स
नई योजना शुरू करना तो दूर वर्षो पहले बनाए गए फ्लैट्स को बेचना ही एमडीए के लिए मुश्किलभरा साबित हो रहा है।
मेरठ : नई योजना शुरू करना तो दूर वर्षो पहले बनाए गए फ्लैट्स को बेचना ही एमडीए के लिए मुश्किलभरा साबित हो रहा है। स्थिति ये है कि बड़ी संख्या में लोग फ्लैट की धनराशि वापस ले चुके हैं। वहीं जिनके प्लाट किसी विवाद में अटके हैं, वे बदले में फ्लैट लेने तक को तैयार नहीं हैं। मूलभूत सुविधाओं का अभाव और तय समय के बावजूद आवंटियों को कब्जा न मिलना इसकी मुख्य वजह है।
शनिवार को दैनिक जागरण ने दो आवासीय योजना एयरपोर्ट एन्क्लेव और श्रद्धापुरी फेज 1 की पड़ताल की।
शाताब्दी नगर स्थित एयरपोर्ट एन्क्लेव योजना की बात करें तो ये योजना 2015 में शुरू हुई थी। मार्च 2017 तक आवंटियों को कब्जा दिया जाना था, लेकिन आज भी आवंटी भटक रहे हैं। 558 फ्लैट्स वाली इस योजना में एक भी आवंटी को अब तक वहां कब्जा नहीं मिला है। हवाई पट्टी के नजदीक होने के चलते एयरपोर्ट एन्क्लेव में लोगों नेधड़ाधड़ फ्लैट्स बुक कराए थे। लेकिन फ्लैट्स अभी तक अधूरे पड़े हैं। ऐसे में आवंटियों को कब्जा मिलना फिलहाल दूर की कौड़ी लग रहा है।
दूसरी ओर दैनिक जागरण ने श्रद्धापुरी के फ्लैट्स का हाल वहां रह रहे लोगों से जाना। लोगों ने बताया कि उन्हें शुरुआत में ऐसा लगा था कि यहां प्राइवेट फ्लैट्स से बेहतर सुविधा मिलेगी, लेकिन इनका हाल बदतर है। तमाम सुविधाओं से लोग महरूम हैं। रियल स्टेट मंदी और फ्लैट कल्चर ही वजह नहीं
एमडीए अधिकारियों का मानना है कि फ्लैट्स न बिकने की दो बड़ी वजह है। पहली रियल स्टेट में मंदी है दूसरी मेरठ में फ्लैट कल्चर अधिक सफल नहीं है। इन दोनों वजह को ही मानना एक बहाना है। इन फ्लैटों को सुविधा देने में गंभीरता नहीं बरती गई। वहां पर मूलभूत सुविधाओं की कमी व फ्लैट का आकर्षण इसकी असल वजह है।
कहां हैं एमडीए के फ्लैट
पल्लवपुरम फेस-एक, पल्लवपुरम फेस-दो, श्रद्धापुरी फेस-एक व दो, रक्षाग्रीन-एक, लोहियानगर, सैनिक विहार, गंगानगर, डिफेंस एन्क्लेव, एयरपोर्ट एन्क्लेव आदि में एमडीए के फ्लैट हैं।
इन्होंने कहा--
जिन फ्लैटों की बिक्री की जानी है उसे दुरुस्त कराया जा रहा है। एयरपोर्ट एन्क्लेव में भी काम चल रहा है। जल्द कार्य पूरा हो जाएगा। जिस योजना के फ्लैटों में आवंटी रह रहे हैं, वहां भी सभी सुविधाएं देने का प्रयास है।
-साहब सिंह, वीसी एमडीए
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