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    मेरठ के विवेक की हुंकार पर अटारी बार्डर पर आता है देशभक्ति का सैलाब

    By Taruna TayalEdited By:
    Updated: Fri, 03 Jun 2022 02:25 PM (IST)

    अटारी बार्डर पर 80-90 हजार लोगों को एक जज्बें में जोड़ने वाले विवेक को बदले में प्यार और सम्मान का सैलाब भी मिलता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को जन्में द ...और पढ़ें

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    अटारी बार्डर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में नारा लगाते विवेक हूण।

    मेरठ, जागरण संवाददाता। अटारी बार्डर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में भारत माता के जयकारे की हुंकार भरते ही मौके पर उपस्थित देशवासियों के रगों में देशभक्ति की तरंग बज उठती है। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक के युवाओं की पसंद बन चुके विवेक हूण मेरठ के ही हैं। अटारी बार्डर पर 80-90 हजार लोगों को एक जज्बें में जोड़ने वाले विवेक को बदले में प्यार और सम्मान का सैलाब भी मिलता है। बीएसएफ यानी सीमा सुरक्षा बल में आरक्षक के तौर पर कार्यरत विवेक को राष्ट्र सेवा के लिए शुक्रवार को दिल्ली के द इंपीरियल होटल में आयोजित एक भव्य समारोह में भारत गौरव पुरस्कार से नवाजा जाएगा। देश के हीरोज को समर्पित यह पुरस्कार भारत गौरव अवार्ड फाउंडेशन की ओर से प्रदान किया जाएगा।

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    बड़े भाई से मिली प्रेरणा तो देश सेवा को बढ़े कदम

    मेरठ में गाजीपुर निवासी विवेक पुत्र योगेंद्र सिंह के बड़े भाई इंस्पेक्टर शिव कुमार हूण दिल्ली पुलिस के स्पेशल में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर जाने जाते हैं। उन्हीं से प्रेरणा लेते हुए विवेक ने भी पढ़ाई के बाद बीएसएफ की भर्ती में हिस्सा लिया और पहले ही प्रयास में सफल होकर वर्ष 2011 में भर्ती हो गए। स्कूल के दिनों से ही स्टेज पर प्रस्तुति देने की लगन को जब बीएसएफ में मौका मिला तो भीतर का एंकर निखर कर बाहर निकला। दिल्ली में चयन प्रक्रिया के बाद विवेक वर्ष 2015 से अटारी बार्डर पर एंकरिंग कर रहे हैं और सबके पसंदीदा एंकर भी बन चुके हैं। विवेक के सम्मान समारोह में पिता व बड़े भाई भी शामिल होंगे। विवेक की बहन काजल हूण भी एसएसबी की केंद्रीय हाकी टीम का हिस्सा हैं।

    मां भारती के आशीर्वाद हैं बेटे

    विवेक का बड़ा बेटा साक्षर 26 जनवरी 2015 और छोटा बेटा रुद्राक्ष 15 अगस्त 2018 को पैदा हुआ। वह इसे मां भारती का आशीर्वाद और अपने दादा के पुण्य कर्मों की छाप मानते हैं। विवेक के दादा ब्रम्हदास कुरुक्षेत्र में सम्मानित महंत थे। विवेक की स्कूली शिक्षा भी वहीं हुई। देशवासियों में देशभक्ति का जज्बा जगाने के अवसर और बदले में मिलने वाले प्यार और सम्मान को विवेक उसी संस्कार का परिणाम मानते हैं।