संप्रदाय-पंथ नहीं, आंदोलन है आर्य समाज
महर्षि दयानंद के जन्म बोधोत्सव जगह-जगह आयोजित किया जा रहा है। ...और पढ़ें

मेरठ,जेएनएन। महर्षि दयानंद के जन्म बोधोत्सव जगह-जगह आयोजित किया जा रहा है। आर्य समाज थापर नगर में महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्म बोधोत्सव कार्यक्रम के दूसरे दिन आचार्य प्रणव प्रकाश शास्त्री ने कहा कि आर्य समाज के नियम सत्य और तर्क पर आधारित हैं। आर्यसमाज का त्रैतवाद का सिद्धांत ही वेद का सिद्धांत है। महर्षि दयानंद सरस्वती के संदेशों के प्रसार के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
संयोजक राजेश सेठी ने कहा कि महर्षि दयानंद मात्र धार्मिक नेता अथवा समाज सुधारक नहीं थे। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था। मानव जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें उन्होंने मार्गदर्शन न किया हो। सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ में उन्होंने शिक्षा पद्धति, राजधर्म, गृहस्थ जीवन, योग-साधना सभी विषयों में जीवनोपयोगी कुंजियां प्रदान कीं। केंद्रीय आर्य सभा मेरठ के तत्वावधान में आयोजित यजुर्वेद के 100 विशेष मंत्रों से यजमानों ने आहुतियां दीं। ऋतु, चंद्रकांत, पूनम, मुकुल गर्ग, सृष्टि, आर्य, शुभम, विदुला, राजीव, अनुपम अग्रवाल ने यज्ञ में भाग लिया। आचार्य सत्य प्रकाश शास्त्री, राजेंद्र शास्त्री, देव शर्मा ने मंत्रों का उच्चारण किया। आर्य भजनोपदेशक अजय आर्य ने प्रेरणास्पद भजन सुनाए। संसार का करो तुम उपकार यज्ञ द्वारा आदि भजन सुनाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरवीर सिंह तालियान ने की। सतपाल, धर्मवीर, सुशील बंसल, मनीष शर्मा, दिनेश कक्कड़, योगेश मुवार, गोस्वामी, रामसिंह, कैलाश सोनी, प्रीति सेठी आदि मौजूद रहे।
ग्रामीण क्षेत्रों में आर्यसमाज एवं महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पांचली खुर्द बागपत रोड पर धन सिंह कोतवाल लाइब्रेरी में कार्यक्रम हुआ। वक्ताओं ने कहा कि समाज से अज्ञान अंधकार को हटा कर वेद मार्ग पर चलने में ही सबका कल्याण है। आर्यसमाज कोई धर्म अथवा संप्रदाय नहीं है अपितु एक आंदोलन है जिसका उद्देश्य ही संसार का उपकार करना है। आर्य विद्वान आचार्य प्रणव प्रकाश शास्त्री ने कहा कि महर्षि का संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित था। राजेश सेठी, डा. आर पी सिंह चौधरी, मनीष, दिनेश,संजय आर्य, प्रधान धर्मेंद्र राणा, भोपाल प्रधान, मोहित शर्मा आदि मौजूद रहे।

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