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    Sahil-Annu Marriage: नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियन साहिल संग शादी के बंधन में बंधेंगी इंटरनेशनल जैवलिन थ्रोअर अन्नू रानी...18 को शादी व रिसेप्शन 19 को

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Sat, 15 Nov 2025 12:58 PM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी, जो सरूरपुर ब्लॉक के बहादरपुर गांव से हैं, 18 नवंबर को नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियन साहिल के साथ शादी कर रही हैं। गांव के ही एक बैंक्वेट हाल में शादी व रोहतक में रिसेप्शन होगा, जिसमें खेल जगत के कई दिग्गज शामिल होंगे। आर्थिक तंगी के चलते अन्नू ने गन्ने को भाले की तरह फेंककर खेल का अभ्यास किया और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। उनके भाई उपेंद्र ने भी उनका साथ दिया। शादी में देशभर के कई खिलाड़ियों व खेल अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है। बहादरपुर गांव और सरूरपुर क्षेत्र में भी अन्नू की शादी को लेकर उत्साह का माहौल है। 

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    नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियन साहिल व इंटरनेशनल जैवलिन थ्रोअर अन्नू रानी। (फाइल फोटो)

    संवाद सूत्र, जागरण. सरधना (मेरठ)। सरूरपुर ब्लाक के गांव बहादरपुर की अंतरराष्ट्रीय भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी 18 नवंबर को रोहतक निवासी नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियन साहिल के साथ शादी के बंधन में बंधेंगी। 19 नवंबर को रोहतक के ही एक बैंक्वेट हॉल में रिसेप्शन आयोजित किया जाएगा। रिसेप्शन के लिए केंद्रीय मंत्रियों, ओलंपिक खिलाड़ियों और कई बड़े खेल दिग्गजों को निमंत्रण भेजा गया है। शादी समारोह अन्नू रानी के पैतृक गांव बहादरपुर में ही आयोजित होगा।

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    गांव बहादरपुर की बेटी अन्नू रानी आज विश्वस्तरीय एथलीट हैं। उनका संघर्ष बेहद प्रेरणादायक रहा है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्होंने शुरुआत में भाला खरीदने की क्षमता न थी। पिता के साथ खेत में जाकर वे गन्ने की लंबी-सीधी छड़ें तोड़कर जैवलिन की तरह फेंकने का अभ्यास करती थीं। इसी मेहनत, जज्बे और गांव की मिट्टी की खुशबू ने उन्हें एशियन गेम्स की स्वर्ण विजेता बना दिया।

    बाद में उनके भाई उपेंद्र ने उनके खेल को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई। दूसरी ओर, दूल्हे साहिल का भी खेलों में मजबूत बैकग्राउंड रहा है। रोहतक के सांपला क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले साहिल चार बार के नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियन रह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने छत्तीसगढ़ में हुई नेशनल चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में साहिल ने अपने प्रदर्शन से पहचान बनाई है। अन्नू और साहिल की शादी खेल जगत के लिए भी चर्चा का विषय बनी है।

    दोनों ही अपने-अपने खेल में स्थापित नाम हैं और यही वजह है कि उनकी शादी में देशभर के कई खिलाड़ियों व खेल अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है। बहादरपुर गांव और सरूरपुर क्षेत्र में भी अन्नू की शादी को लेकर उत्साह का माहौल है। स्थानीय लोग इसे बहादरपुर की बेटी की एक और बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहे हैं।

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    स्वर्ण पदक हासिल कर चुकीं अन्नू, भाला फेंक में भारत की टॉप एथलीट में भी हुई थीं शामिल
    युवा मामले और खेल मंत्रालय ने गत दिनों राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 की घोषणा की थी। लिस्ट के अनुसार 34 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड मिला, जिसमें दो लाइफ टाइम कैटिगरी में शामिल थे। अन्नू रानी ने पेरिस ओलंपिक में महिला जैवलिन थ्रो के मुकाबले में भाग लिया था।

    गन्ने को भाला बनाकर करती थीं प्रैक्टिस
    सरधना के बहादरपुर गांव की रहने वाली अन्नू के पास भाला खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने गन्ने को ही भाला बनाकर प्रैक्टिस शुरू की। जूते खरीदने के लिए भी उन्हें चंदा इकट्ठा करना पड़ा। कोच की कमी में उनके भाई उपेंद्र ने ही उन्हें प्रशिक्षण दिया। गांव के स्कूल में ही सुबह-शाम अभ्यास करते हुए अन्नू ने अपने सपनों को उड़ान दी।

    अन्नू के जीवन में उनके भाई का बड़ा योगदान
    अन्नू रानी के जीवन में उनके भाई उपेंद्र का काफी योगदान है। जब अन्नू ने जैवलिन थ्रो में रुचि दिखाई, तो उपेंद्र ने उन्हें गुरुकुल प्रभात आश्रम जाने का सुझाव दिया। घर से 20 किमी दूर होने के बावजूद, अन्नू सप्ताह में तीन दिन वहां प्रैक्टिस करने जाती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और दो खिलाड़ियों का खर्च उठाना मुश्किल था। इस स्थिति को देखते हुए, उपेंद्र ने अपने खेल के सपने को त्याग दिया ताकि अन्नू आगे बढ़ सकें।

    पिता से छिपकर करती थी प्रैक्टिस
    अन्नू रानी, पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके सबसे बड़े भाई उपेंद्र कुमार भी 5,000 मीटर के धावक रहे थे। अन्नू अपने बड़े भाई उपेंद्र कुमार को देखकर खेल की दुनिया में आई। उपेंद्र ने अन्नू में खेल के प्रति जुनून जगाया। अन्नू सुबह चार बजे उठकर गांव की सड़कों पर दौड़ने लगीं। हालांकि, उनके पिता ने कई बार उन्हें प्रैक्टिस से रोका, लेकिन अन्नू ने हार नहीं मानीं। वे चुपके से अभ्यास करती रहीं, अपने सपनों को जीवित रखते हुए।

    अन्नू की उपलब्धियां
    2021 - टोक्यो ओलंपिक में प्रतिभाग।
    2019 - वर्ल्ड चैंपियनशिप में फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला का रिकॉर्ड।
    2019 - एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक।

    2017 - एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक।
    2016 - साउथ एशियन गेम्स में रजत पदक।
    2014 - एशियन गेम्स में कांस्य पदक।
    2023 - एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अन्नू रानी को अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया

    पिता ने बताई खिलाड़ी बनने की कहानी
    बिटिया का भाले से नाता कब जुड़ा, यह पूछने पर अमरपाल सिंह बताते हैं- ‘बड़े भाई उपेंद्र और अपने चचेरे भाइयों को देखकर अनु का इस तरफ झुकाव हुआ उस समय वह नौंवी कक्षा में पढ़ती थी। बड़ा भाई उपेन्द्र उस समय यूनिवर्सिटी स्तर पर दौड़ और भाला फेंक में हिस्सा लेता था। उन्हें अपनी बहन के थ्रो में कुछ खास लगा। उन्हें लगा कि अनु भी भाला फेंक सकती हैं।

    उन्होंने बताया कि बेटे ने घर आकर मुझे इसके बारे में बताया तो ‘मैंने इन्कार कर दिया। कहा- बेटी है, अकेली कहां जाएगी? इसके खेल और खुराक का खर्चा कैसे उठाएंगे? क्योंकि हम बहुत छोटे किसान हैं। गांव में हमारे पास थोड़ी बहुत ही जमीन है। उस समय उपेंद्र 1500, 800, 400, पांच हज़ार मीटर की दौड़ और भाला फेंक का खिलाड़ी था।’