गांधारी ताल परिसर स्थित प्राचीन पीपल का वृक्ष टूटा
परीक्षितगढ़ के गांधारी ताल परिसर स्थित प्राचीन पीपल का वृक्ष सोमवार शाम टूटकर ...और पढ़ें

मेरठ, जेएनएन। परीक्षितगढ़ के गांधारी ताल परिसर स्थित प्राचीन पीपल का वृक्ष सोमवार शाम टूटकर गिर गया। सामाजिक संस्था अखिल विद्या समिति ने क्षेत्र के सभी प्राचीन वृक्षों के रखरखाव के लिए टीम गठित करने की योजना बनाई है।
परीक्षितगढ़ क्षेत्र में धाíमक महत्व के कई प्राचीन वृक्ष हैं, जो प्रशासन की उपेक्षा व रखरखाव की कमी के कारण अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। नगर के गांधारी ताल परिसर में सैकड़ों साल पुराना पीपल का वृक्ष सोमवार शाम अचानक धराशायी हो गया। गांधारी ताल परिसर में लगे कदंब के पेड़ के समीप ही एक प्राचीन पीपल का वृक्ष था, जिसके नीचे बैठकर अनेकों साधु संयासियों ने तप किया है। अखिल विद्या समिति के अध्यक्ष विष्णु अवतार रुहेला ने बताया कि उक्त वृक्ष कंदब के पेड़ के एक दम पास होने के कारण लोगों की आस्था का केंद्र था। वृक्ष के टूट जाने से श्रद्धालु दुखी हैं।
ट्रंच फार्मिग विधि से सुधरेगा पर्यावरण और होगा जल संरक्षण: खरखौदा ब्लाक का भूजल-स्तर लगातार गिरता जा रहा है। नगर पंचायत ने जल संरक्षण के साथ साथ पर्यावरण को लेकर एक प्लान तैयार किया है। पौधारोपण को लेकर नगर पंचायत कस्बे में खाली जमीन पर 2460 पौधे लगाने का काम करेगी। जो बुधवार से आरंभ होगा। इसको लेकर वह ट्रंच फार्मिग विधि से पौधे लगाकर जल संरक्षण और पर्यावरण दोनों को सुधारने का प्रयास करेगी।
नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी शशि प्रभा चौधरी ने बताया कि उन्हें 2460 पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है। इसके लिए उन्होंने चेयरमैन रमेश चंद ठेकेदार के साथ मिलकर ट्रंच विधि से पौधे लगाने का प्लान तैयार किया है। उन्होंने बताया कि उससे जल संरक्षण के साथ साथ पर्यावरण में भी सुधार होगा। पौधों के विस्तार के लिए नमी मिलती रहेगी।
ये है ट्रंच फार्मिग विधि:
अधिशासी अधिकारी शशि प्रभा चौधरी ने बताया कि ट्रंच विधि द्वारा पौधे लगाने के लिए एक गड्ढा खोदा जाता है। फिर उसके चारों तरफ पौधों लगाये जाते हैं। गड्ढे में वर्षा का जल भर जाता है। जिस कारण संरक्षण हो जाता है। साथ ही पौधों को नमी और जल की पूर्ति होती रहती है।

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