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    आखिर सहारनपुर में आंगनबाड़ी केंद्रों से घर क्यों नहीं जाना चाह रहे बच्चे, ऐसा क्या है यहां पर खास

    By Himanshu DwivediEdited By:
    Updated: Fri, 17 Sep 2021 11:33 AM (IST)

    सहारनपुर जनपद की डीपीओ यानी जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी बड़े उत्साह के साथ बताती हैं पहले जहां आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे आने को तैयार नहीं होते थे आते थे तो रोते रहते थे घर जाने की जिद करते थे। वहीं अब हालात बिल्कुल बदल चुके हैं।

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    सहारनपुर में आंगनबाड़ी केंद्रों से घर क्यों नहीं जाना चाह रहे बच्चे

    जागरण संवाददाता, सहारनपुर। यूपी में आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल की तरह विकसित करने किया जा रहा है, प्रत्येक जिले के कुछ सेंटर्स को पायलट प्राजेक्ट के तौर पर चुना गया है, यह जानकारी तो अब आम है। इसमें यह जानना अहम है? कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल में बदलने के बाद बदलाव क्या आया है? इस पर सहारनपुर जनपद की डीपीओ यानी जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी बड़े उत्साह के साथ बताती हैं, पहले जहां आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे आने को तैयार नहीं होते थे, आते थे तो रोते रहते थे, घर जाने की जिद करते थे, आंगनबाड़ी कार्यकत्री के लिए बच्चों को संभाल पाना मुश्किल होता था, वहीं अब हालात बिल्कुल बदल चुके हैं।

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    आंगनबाड़ी सेंटर्स के प्ले स्कूल में बदलने के बाद सेंटर्स की शक्ल ओ सूरत बदल चुकी है। सेंटर्स पूरी तरह प्रोफेशनल प्ले स्कूल बन चुके हैं, आलम यह कि अब बच्चे सुबह सेंटर्स का दरवाजा खुलते ही नियत समय पर आ जाते हैं और अवकाश होने के बाद भी घर जाने को तैयार नहीं होते घर भेजने पर वह रोने लगते हैं। बच्चों को प्ले स्कूल में आनंद आ रहा है। वह झूले झूल रहे हैं, तो रंग बिरंगी कुर्सी और टेबल तथा सजावटी दीवारों को देखकर प्रफुल्लित हो रहे हैं, वह खेलने के साथ ही पढाई में भी ध्यान लगा रहे हैं।

    क्या है योजना

    आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को प्ले स्कूल की तरह खेल- खेल में पढ़ाने की व्यवस्था उप्र सरकार ने की है। यहां बच्चों के बैठने की व्यवस्था अच्छी तरह से की गई है, सभी केंद्रों पर पानी के अलावा बिजली का कनेक्शन कराया गया है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल में परिवर्तित करने की मुहिम में सहारनपुर के पांच आंगनबाड़ी केंद्रों को चुना गया है। इसकी संख्या बढाने पर काम चल रहा है। इन केंद्रों पर सुंदर फर्नीचर, पुस्तकें, खिलौने और दीवार पर पेंटिंग कराई गई है। खासकर बेटियों की शिक्षा पर आंगनबाड़ी केंद्रों में जोर दिया जा रहा है। बच्चों के बैठने से लेकर खेल-खेल में पढ़ने की व्यवस्था के कारण बच्चों में पढ़ने की रुच‍ि बढी है।

    एक केंद्र बनाने पर एक लाख का खर्च

    डीपीओ आशा त्रिपाठी बताती हैं कि एक केंद्र को प्ले स्कूल बनाने पर एक लाख का खर्च आ रहा है। इसे जिला प्रशासन के सहयोग तथा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बनवाया जा रहा है। मंडलायुक्त तथा डीएम सहारनपुर के स्तर पर इसे विशेष तौर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है।