Amarnath Yatra: सोचा नहीं था कि ऐसा होगा नजारा, टी-शर्ट में ही पूरा हो गया सफर
मेरठ से अमरनाथ यात्रा पर गए श्रद्धालुओं ने इस बार यात्रा के दौरान ठंड का अनुभव नहीं किया। उन्होंने बताया कि पहलगाम से बाबा बर्फानी भवन तक तापमान 17-18 डिग्री सेल्सियस रहा जिससे गर्म कपड़ों की ज़रूरत नहीं पड़ी। श्रद्धालुओं ने पिछली यात्रा के मुकाबले इस बार बर्फ की कमी देखी जिससे वे आश्चर्यचकित थे।

विनय विश्वकर्मा, मेरठ। तीन जुलाई से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा अपने मध्य चरण में पहुंच गई है। बाबा बर्फानी के दर्शन कर शहर के श्रद्धालु वहां के मौसम में अप्रत्याशित बदलाव को लेकर आश्चर्यचकित हैं। शिवभक्तों का कहना है कि पहलगाम से लेकर बाबा बर्फानी के भवन तक उन्हें ठंड का कोई अनुभव नहीं हुआ।
अपने साथ बैग में जैकेट, कैप या अन्य गर्म कपड़ों रखे ही रह गए, टी-शर्ट पहने हुए ही ही पूरी तीर्थ यात्रा संपन्न हो गई। पिछले साल महागुन टाप पर जिस जगह स्लाइडिंग की थी, वहां बर्फ तक देखने को नहीं मिली। इसके अलावा पूरे मार्ग में कहीं भी ठंड का अनुभव नहीं हुआ। इस बार का तापमान लगभग 18 डिग्री सेल्सियस था।
गढ़ रोड स्थित पंचशील कालोनी गली संख्या एक निवासी डा. अपूर्व रस्तोगी ने बताया कि उनके जत्थे में दस लोग शामिल थे। इसमें प्रशांत तोमर, रजत गर्ग, धनंजय भारद्वाज, पुनीत शर्मा, मुकुल रस्तोगी, संजय देवरानी, पूनम देवरानी, सुशील व अजय रहे। दो जुलाई की शाम को शालीमार ट्रेन से जम्मू रवाना हुए।
बाबा अमरनाथ की तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले अपने साथ ट्रैकिंग बैग पैक किया। जिसमें जैकेट, बरसाती सूट, कैप, टार्च, ड्राई फ्रूट्स व गर्म कपड़े साथ लिए थे। डा. अपूर्व बताते हैं कि तीन जुलाई की शाम वह सभी पहलगाम पहुंचे।
पहलगाम में रात्रि विश्राम कर चार जुलाई की प्रात: पांच बजे शेषनाग के लिए पैदल यात्रा शुरू की। पांच जुलाई की सुबह शेषनाग से पंचतरनी के लिए और छह जुलाई की सुबह आठ बजे बाबा बर्फानी के भवन पहुंच गए।
उन्होंने सुबह नौ बजे दर्शन करने के बाद वापसी के लिए पैदल यात्रा शुरू कर दी। इस पूरी यात्रा में वहां का तापमान 17 से 18 डिग्री सेल्सियस ही रहा। पिछली बार जब वह गए थे तो वहां पर 6 से 7 डिग्री सेल्सियस तापमान था।
पिछली बार स्लाइडिंग की थी, इस बार बर्फ देखने तक को नहीं मिली
डा. अपूर्व रस्तोगी ने बताया कि उनका पूरा जत्था इस बार के मौसम में बदलाव को देखकर चकित रहा। पिछली बार महागुन एमजी टाप पर (शेषनाग से छह किमी) श्रद्धालु बर्फ में स्लाइडिंग कर रहे थे, लेकिन इस बार स्लाइडिंग तो दूर की बात, बर्फ तक देखने को नहीं मिली। यह जगह लगभग 14900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पूरी यात्रा में कहीं भी बरसाती कोट व गर्म कंपड़ों की जरूरत नहीं पड़ी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।