अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना: नए विचारों और आयामों के साथ आगे बढ़े इतिहासकार Meerut News
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के तत्वाधान में जंबूद्वीप के श्री शांतिसागर हाल में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक साधारण सभा के अंतिम दिन इतिहासकारों ने अपना अपना व्याखान दिया।
मेरठ, जेएनएन। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के तत्वाधान में जंबूद्वीप के श्री शांतिसागर हाल में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक साधारण सभा के अंतिम दिन इतिहासकारों ने अपना अपना व्याखान दिया। दूसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता व मां शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें दक्षिण व दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत के संबंध इतिहास व संस्कृति पर चर्चा की गई। इसी विषय पर नव नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाली अतंर्राष्ट्रीय संगोष्ठी पर भी चर्चा की गई। संगोष्ठी में देश भर के इतिहासकारों का समागम होगा और शोधार्थियों के शोध पत्र पर चर्चा होगी।
इन बातों पर दिया बल
बालमुकुंद पांडेय ने अग्रिम वर्ष के निर्धारित दस विषयों पर प्रांतों में अनुवर्ती कार्यक्रम के तहत कार्यक्रम कराने पर बल दिया। योजना ने यह भी निर्णय लिया गया कि दिवंगत पूर्व अध्यक्ष सतीश चंद मित्तल के अभिनंदन ग्रंथ को स्मृति ग्रंथ के रूप में तीन खंड़ों में प्रकाशित किया जाएगा। जिसके लिए तीन आधार होगे और लगभग 400 प्रकाशित शोधपत्रों का वर्णन होगा। इसके बाद मेरठ प्रांत की समिति के तत्वाधान में योजना प्रो. विघ्नेश त्यागी द्वारा लेखित आगामी पुस्तक पर भी चर्चा की गई। बालमुकुंद पांडेय ने सूत्र रूप में योजना के सभी पदाधिकारियों को कार्यकर्ता की तरह कार्य करने की सीख दी और प्रांतों की समितियों के सहयोग की बात कही। कार्यकर्ता पूर्वाग्रहों से इतिहास को मुक्त कराने में अपनी महती भूमिका निभाएं।
वित्तीय वर्ष के बारे में चर्चा
द्वितीय सत्र में विगत वित्तीय वर्ष के आय व्यय का ब्यौरे का विवरण प्रस्तुत किया गया और सभा का अनुमोदन प्राप्त हुआ। इसके पश्चात मौजूद कोषाध्यक्ष मुकेश शर्मा द्वारा वित्तीय वर्ष के संकल्प का वाचन किया गया किया। समितियों का परिचय दिया। तृतीय सत्र में प्रांतों की समितियों का वृत्त निवेदन किया गया। जिसमें प्रत्येक प्रांत से आए पदाधिकारियों ने अपनी अपनी समिति के बारे में व समितियों द्वारा किए गए कार्यो के बारे में विस्तार से बताया। जिसमें छत्तीसगढ़ से डा. क्षत्रपति, चित्तौड़ से डा. जगदीश, जोधपुर से डा. आनंद सिंह बिठठू, जयपुर से डा. जयंती लाल खंडेलवाल, महाराष्ट्र से शिल्पा, कर्नाटक से कोंकण दास, तमिलनाडू से सुब्रहमंडयम, जबलपुर से अंकेश चतुर्वेदी आदी ने अपनी समितियों का विस्तृत वर्णन किया और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के तत्वाधान में पदाधिकारियों के दिशानिर्देशन में नित नए लेखन कार्य करने का संकल्प लिया।
समिति के पदाधिकारियों व छात्र छात्राओं को किया सम्मानित
चतुर्थ सत्र में मेरठ प्रांत की समिति भारतीय इतिहास संकलन समिति के पदाधिकारियों व छात्र छात्राओं को सम्मानित किया गया। डा. ईश्वर चंद विश्वकर्मा ने कहा कि हस्तिनापुर में आयोजित यह कार्यक्रम उनके लिए अविस्मरणीय रहेगा। चूंकि यह एक ऐतिहासिक धरा है और इस धरा पर इतने इतिहासकारों का समागम एक अद्भुत क्षण है। उन्होंने कार्यक्रम की व्यवस्था देख रहे सभी कार्यकर्ताओं को बाबा साहब आप्टे जी का चित्र व पुस्तकें देकर सम्मानित किया।
नए विचारों और आयामों के साथ आगे बढ़े इतिहासकार
अंतिम सत्र में प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भारत के दक्षिण व दक्षिण पूर्वी देशों से जो संबंध रहे है या संस्कृति फलीभूत हुई है, से संबंधित विषय पर एक नेशनल कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है। यह कांफ्रेंस नव नालंदा विश्वविद्यालय बिहार में 22-23 फरवरी 2020 में आयोजित होगी। उन्होंने सभी इतिहासकारों को उक्त कांफ्रेंस में आने की बात कही। इसके बाद प्रो. विश्वकर्मा ने कहा कि इस कार्यक्रम में हमारी योजना के संविधान को नई मजबूती मिलेगी और इतिहासकार नए विचारों व आयामों के साथ आगे बढ़ेगे।