दिल्ली-NCR के बाद मेरठ की हवा भी हुई जहरीली, ग्रीन पटाखे छुड़ाने की छूट ने और बिगाड़ी स्थिति
दीपावली के बाद भी मेरठ की हवा जहरीली बनी हुई है, ग्रीन पटाखों से स्थिति और बिगड़ी। आतिशबाजी से सांस के रोगियों के लिए खतरा बढ़ गया है। शहर का एक्यूआई 318 तक पहुंचा, कुछ इलाकों में 360 तक दर्ज हुआ। प्रदूषण अधिकारी ने अगले कुछ दिनों में स्थिति और बिगड़ने की आशंका जताई है। लोगों को सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने और मास्क पहनने की सलाह दी गई है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। दीपावली के बाद भी शहर की हवा में सुधार नहीं हुआ है। इस बार ग्रीन पटाखे छुड़ाने के लिए मिली छूट ने स्थिति को और खराब कर दिया है। आतिशबाजी के कारण फैले प्रदूषण सांस के रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है। प्रदूषण की वजह दो दिन तक मनाई गई दीपावली को माना जा रहा है। जिस कारण सोमवार और मंगलवार दोनों दिन खूब पटाखे छोड़े गए। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी भुवन यादव का कहना है कि मेरठ का ओवरआल एक्यूआइ 318 तक पहुंच गया। अलग-अलग स्थानों पर एक्यूआइ अलग अलग रहा। उनका कहना है कि तीन से चार दिन तक प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है।
खतरनाक है पीएम 2.5 की बढ़ी मात्रा
दीपावली पर हुई आतिशबाजी के चलते इस समय प्रदूषण का लेवल खराब दौर में पहुंच गया है। मेरठ में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा 410 से ऊपर पहुंच गई है, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। इसका असर सीधे-सीधे मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है। धूल के कण सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं, जिससे समस्या हो जाती है।
शाम चार बजे तक शहर में एक्यूआइ की स्थिति
जयभीमनगर में 350, बेगमपुल 310, दिल्ली रोड, 295, थापरनगर 300, केसरगंज 305, कैंट क्षेत्र 280, पल्लवपुरम फेज-टू 330, गंगानगर 267 एक्यूआइ दर्ज किया गया है। कुछ क्षेत्रों में यह 360 तक पहुंच गया है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी का कहना है कि एक्यूआइ का स्तर 100 से अधिक जाता है तो वह नुकसानदायक होता है।
प्रदूषण से बचने को यह करें उपाए
- सुबह और शाम के समय लोग बाहर निकलने से बचे। सांस के रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
- अगर बाहर जाना जरूरी हो तो मास्क पहनकर ही निकलें, ताकि जहरीले कणों को सांस के जरिए शरीर में जाने से रोका जा सके।
- नगर निगम द्वारा सड़कों पर पानी का छिड़काव करना चाहिए, ताकि धूल के कणों को हवा में उड़ने से रोका जा सके।
- कूड़े को जलने से रोकना चाहिए। ताकि धुआं हवा में न घुले।
पराली जलाना, आतिशबाजी माना जा रहा प्रदूषण बढ़ने का कारण
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी भुवन यादव का कहना है कि मेरठ शहर के आसपास इस समय गन्ने की फसल काटी जा रही है। खेत में ही किसान पराली जला रहे हैं। जिस कारण धुआं हवा में मिलता है तो एक्यूआइ बढ़ता है। साथ ही दो दिन तक हुई आतिशबाजी से भी फर्क पड़ा है। वहीं, वाहनों से निकलने वाला धुआं भी एक कारण है।
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