प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है यह...विषाक्त हो गई हवा, वातावरण में नमी भी बढ़ी
मेरठ शहर जहरीली धुंध से घिरा हुआ है, जहाँ प्रदूषण का स्तर बेहद बढ़ गया है। पल्लवपुरम में पीएम 2.5 की मात्रा 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुँच गई। मेरठ प्रदेश में सबसे प्रदूषित और देश में दूसरे स्थान पर है। प्रदूषण के मुख्य कारणों में स्थानीय कारक, कूड़ा जलाना और धूल शामिल हैं। रविवार को रात 10 बजे एक्यूआइ 395 दर्ज किया गया, जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

दिल्ली रोड पर दिल्ली चुंगी के पास छाई धुंध। जागरण
जागरण संवाददाता, मेरठ। शहर की हवा विषाक्त हो गई है। मेरठ प्रदूषित गैसों और अति सूक्ष्म कणों के चेंबर में बदल गया है। पल्लवपुरम में दिनभर पीएम 2.5 मात्रा उच्चतम मान सुबह पांच बजे से दोपहर एक बजे तक 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पहुंच गया। लगातार दूसरे दिन मेरठ प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित और देश में दारूहेड़ा के बाद दूसरा सबसे सबसे प्रदूषित शहर रहा। मेरठ के आसपास गाजियबाद, नोएडा, मुजफ्फरनगर, बागपत में हवा की गुणवत्ता बेहद बदतर बनी हुई है।
पर्यावरण विदों की मानें तो मेरठ में प्रदूषण गहराने के पीछे स्थानीय कारण जिम्मेदार माने जा रहे हैं। रात और सुबह के समय वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ी हुई है। शनिवार की रात यह 73 प्रतिशत थी। वहीं, न्यूनतम तापमान 18.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वातावरण में पीएम 2.5 और 10 की प्रचुरता इतनी अधिक है कि दिन निकलने के बाद भी प्रदूषण की धुंध छायी हुई है।
पीएम 2.5 के साथ पीएम 10 की मात्रा भी उच्चतम स्तर पर बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 500 से अधिक स्तर की माप नहीं की जाती है। जगह - जगह कूड़े के जलने और सड़कों पर उड़ रही धूल गुबार बन कर छायी हुई है। निर्माण सामग्री के ढेर भी टीपी नगर और मंगल पांडे नगर में खुले में सड़क के किनारे लगे देखे जा सकते हैं। बिजली बंबा बाइपास पर लगातार दूसरे दिन रजवाहे की सफाई के बाद निकली गई झाड़ियों और घास को जलाया गया।
हापुड रोड से चलने पर रेलवे क्रासिंग के आगे दिल्ली की ओर चलने पर लगभग दो किलोमीटर की दूरी तक झाड़ियों में आग लगी नजर आई। धुएं से राहगीर परेशान होते दिखे। लेकिन जिम्मेदार विभागों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। वातावरण में कार्बन मोनो आक्साइड गैस का स्तर खराब 105 से 110 के बीच बना हुआ है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एसवीएस राणा ने बताया कि यह विषैली गैस है। कहा ऐसे माहौल में जाम लगना भी प्रदूषण के स्तर को तेजी से बढ़ाता है। ऐसे में जहां ट्रैफिक जाम हो वहां उन मार्गों की जगह वैकल्पिक मार्गों से जाना चाहिए। रविवार को रात 10 बजे पल्लवपुरम में एक्यूआइ 395, गंगानगर में 360 और जयभीमनगर में 382 आंका गया। इतना प्रदूषित वायु की अत्यंत गभीर स्थिति को दर्शाता है।
शाम चार बजे अलग अलग शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक
दारूहेड़ा 434
मेरठ 381
भिवाड़ी 376
गुरुग्राम 357
गाजियाबाद 351
नोएडा, बुलंदशहर 348
हापुड़ 346
ग्रेटर नोएडा 340
बागपत 341
मुजफ्फरनगर 339

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