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    सर्वे : 3-6 लाख सालाना कमाई करने वालों के लिए मेरठ में चुनौती है किफायती मकान

    By Prem BhattEdited By:
    Updated: Mon, 07 Sep 2020 12:17 AM (IST)

    किफायती मकानों की उपलब्धता के मामले में एक सुकून का समाचार यह है कि दिल्ली-एनसीआर समेत देश भर के 49 शहरों की तुलना में मेरठ में किफायती मकान (Affordable House) मिलते है।

    सर्वे : 3-6 लाख सालाना कमाई करने वालों के लिए मेरठ में चुनौती है किफायती मकान

    प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। अपना घर सभी का सपना होता है पर यदि वह घर किफायती दर पर मिल जाए तो फिर क्‍या कहने। किफायती मकानों की उपलब्धता के मामले में एक सुकून का समाचार यह है कि दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) समेत देश भर के 49 शहरों की तुलना में मेरठ में किफायती मकान (Affordable House) मिलते हैं। ये किफायती मकान दुर्बल आय, व मध्यम आय वाले के लिए उपलब्ध हैं। हालांकि एक सच्चाई यह है कि मेरठ में जिनकी सालाना कमाई तीन से छह लाख रुपये है उनके लिए किफायती मकान सबसे ज्यादा चुनौती हैं। इस वर्ग के लोग सब्सिडी स्कीम का फायदा भी नहीं उठा पा रहे हैं। जबकि लाभ लेने के मामले में मध्यम वर्गीय यानी छह से 12 लाख रुपये कमाई वाले सबसे आगे हैं।

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    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2018 में प्रकाशित बुलेटिन में देश के 49 शहरों का सर्वे प्रकाशित है। इस सर्वे में मेरठ को भी शामिल किया गया था। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों को किफायती बनाने के लिए सरकारी की ओर से दी जाने सब्सिडी स्कीम को आधार बनाया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ईडब्ल्यूएस, एलआइजी, एमआइजी-एक व एमआइजी-दो के लिए सब्सिडी मिलती है जिस योजना का नाम है क्रेडिट लिंक्‍ड सब्सिडी स्कीम। बता दें कि 2018 के बाद 2019 में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी की कीमतें फ्रीज कर दी गई थीं और 2020 के शुरुआत से ही कोरोना की दस्तक ने कीमतों में कोई वृद्धि होने नहीं दी है।

    कमाई का 30 फीसद किस्त देते हैं तो मकान है किफायती

    रिजर्व बैंक ने जब इसका अध्ययन कराया तो इसके लिए यह तय किया कि आखिर यह कैसे तय किया जाए कि अफोर्डेबिलिटी क्या है? इसके लिए एएम यानी एफोर्डेबिलिटी मेजरमेंट बनाया गया। इसके अनुसार यदि महीने की कमाई व घरेलू खर्च मिलाकर यदि व्यक्ति मकान की किस्त पर 30 फीसद खर्च करता है तो उस मकान को किफायती यानी अफोर्डेबल माना जाएगा।

    आय श्रेणी     बिना सब्सिडी के किफायती मकान वाले शहर

    ईडब्लयूएस   : रायपुर, रांची, वडोदरा, अहमदाबाद, हैदराबाद

    एलआइजी   : रायपुर, रांची, वडोदरा, अहमदाबाद, हैदराबाद

    एमआइजी-एक  : रांची, गांधीनगर, मेरठ, भोपाल, भुवनेश्वर, वडोदरा, पटना, भिवाड़ी, इंदौर

    एमआइजी-दो : रांची, गांधीनगर, मेरठ, भोपाल, भुवनेश्वर, वडोदरा, पटना, भिवाड़ी, इंदौर, गुवाहाटी, विजाग, अहमदाबाद, देहरादून, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत, ग्रेटर नोएडा।

    आय श्रेणी       सब्सिडी के साथ किफायती मकान वाले शहर

    ईडब्लयूएस : रायपुर, रांची, वडोदरा, अहमदाबाद, हैदराबाद, इंदौर, लुधियाना, भिवाड़ी, नासिक, गाांधीनगर, मेरठ, भोपाल, भुवनेश्वर, जयपुर, पटना, सूरत, विजाग, गुवाहाटी, हावड़ा, बिधान नगर, लखनऊ

    एलआइजी : रायपुर, रांची, वडोदरा, अहमदाबाद, हैदराबाद, इंदौर, लुधियाना, भिवाड़ी, नासिक

    एमआइजी-एक : रांची, गांधीनगर, मेरठ, भोपाल, भुवनेश्वर, वडोदरा, पटना, भिवाड़ी, इंदौर,गुवाहाटी, रायपुर

    एमआइजी-दो : रांची, गांधीनगर, मेरठ, भोपाल, भुवनेश्वर, वडोदरा, पटना, भिवाड़ी, इंदौर, गुवाहाटी, विजाग, अहमदाबाद, देहरादून, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत, ग्रेटर नोएडा, नासिक, जयपुर

    पड़ोसी शहरों में नहीं मिलते अफोर्डेबल मकान

    गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम व फरीदाबाद में सभी आय वर्ग की श्रेणी में मकान महंगे। सरकार की ओर से निर्धारत मानक कमाई के 30 फीसद से किस्त से ऊपर ये शहर निकल गए हैं। वहीं दिल्ली पांच महंगे शहरों नवी मुंबई, थाणे व मुंबई साथ कदम ताल मिला रहा है।

    0-03 लाख : ईडब्ल्यूएस यानी दुर्बल आय वर्ग

    03-06 लाख : एलआइजी यानी अल्प आय वर्ग

    06-12 : एमआइजी-एक यानी मध्यम आय वर्ग

    12-18 लाख : एमआइजी-दो यानी उच्च मध्यम आय वर्ग

    किसको कितनी सब्सिडी

    -ईडब्ल्यूएस को 30 वर्ग मीटर मकान के कारपेट एरिया पर छह लाख तक का ऋण मिलता है जिस पर 6.5 फीसद सब्सिडी मिलती है।

    -एलआइजी को 60 वर्ग मीटर मकान के कारपेट एरिया पर छह लाख तक का ऋण मिलता है जिस पर 6.5 फीसद सब्सिडी मिलती है।

    -एमआइजी-एक को 120 वर्ग मीटर मकान के कारपेट एरिया पर नौ लाख तक का ऋण मिलता है जिस पर 4.0 फीसद सब्सिडी मिलती है।

    -एमआइजी-दो को 150 वर्ग मीटर मकान के कारपेट एरिया पर 12 लाख तक का ऋण मिलता है जिस पर 3.0 फीसद सब्सिडी मिलती है।