Serological Test: खून की जांच बता देगी...कोरोना की चपेट में कब और कितने आए, NCR के शहरों में प्रयोग जल्द
सरकार एंटीबॉडी टेस्ट यानी खून की जांच के जरिए ऐसे लोगों का पता करेगी जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ और वे ठीक भी हो गए। इस ही यह सुविधा एनसीआर के शहरों में शुरू होगी।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। कोरोना से बड़ी आबादी संक्रमित हुई, किंतु पता सिर्फ उसका चला, जिसका सैंपल चेक हुआ। ऐसे में सरकार एंटीबॉडी टेस्ट यानी खून की जांच के जरिए ऐसे लोगों का पता करेगी, जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ और वे ठीक भी हो गए। दिल्ली से प्रदेश के जिलों में सीरोलॉजिकल या एंटीबाडी जांच जल्द शुरू होगी। पहले स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिसकर्मियों और फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स की जांच की जाएगी। बाद में आबादी से रैंडम सैंपलिंग होगी। इस जांच से शरीर में संक्रमण से लडऩे की क्षमता का भी पता चल सकेगा। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की निगरानी में देश के 69 जिलों में इसके टेस्ट का ट्रायल हो चुका है।
एंटीजन के साथ ही चलेगी सीरोलॉजिकल जांच
मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान ने बताया कि संक्रमितों की जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है। पीसीआर के बाद अब ट्रू नाट और एंटीजन टेस्ट से भी कोरोना की जांच की जा रही है। इन सभी जांचों में नाक और गले का स्वैब लेकर उसमें वायरस की जांच होती है। किंतु सीरोलॉजिकल जांच में खून में बन चुकी एंटीबॉडी का पता लगाया जाएगा। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डा. अमित गर्ग का कहना है कि किसी भी वायरस का संक्रमण होने पर शरीर में उसके खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय होने से खास किस्म की प्रोटीन बनती है, जिसे एंटीबॉडी कहते हैं। यह एलिजा टेस्ट है, जिसके जरिए ब्लड में इम्युनोग्लोबलिंस की जांच होती है। एनआइवी पुणे ने 16 प्रकार के एंटीबाडी जांच को मान्यता दी है।
ये रहेगा जांच का फायदा
- अगर पहले कोरोना का संक्रमण हुआ और पता नहीं चला तो यह किट शरीर में बनी एंटीबॉडी का पता कर लेगी। ऐसे में यह पता चल जाएगा कि उक्त व्यक्ति में कोरोना से लडऩे की क्षमता पैदा हो चुकी है। स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी और पुलिसकर्मी मरीजों के सीधे संपर्क में आते हैं, जिनकी पहले जांच होगी।
- खून की जांच से व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता का भी आकलन होता है। यानी, पता चल जाता है कि व्यक्ति कोरोना संक्रमण से लडऩे में सक्षम है या नहीं। ऐसे में कमजोर क्षमता वालों को भीड़भाड़ में जाने से रोका जा सकता है।
इनका कहना है
आइसीएमआर ने देशभर में 26 हजार लोगों पर सीरो-सर्विलांस स्टडी यानी खून की जांच कराई। 0.73 फीसद संक्रमित मिले, जिसमें शहरी क्षेत्र में ज्यादा (1.09 फीसद में) एंटीबॉडी मिली। एनसीआर के शहरों को लेकर शासन ने एंटीबॉडी जांच की योजना बनाई है। सप्ताहभर में किट उपलब्ध हो सकती है। कोरोना वारियर्स की पहले जांच होगी।
- डा. अशोक तालियान, मंडलीय सर्विलांस अधिकारी
इम्यूनोग्लोबनिंस की जांच से प्लाज्मा की ताकत का पता चलता है। हर आदमी के एंटीबॉडी में टाइटर की मात्रा से पता चल जाएगा कि किस बीमारी के प्रति शरीर में कितनी ताकत है। एंटीबॉडी एस्से की जांच रिपोर्ट तीन घंटे में मिल जाएगी। बेहतर एंटीबॉडी वाला व्यक्ति काम पर जा सकता है।
- डा. वेदप्रकाश, विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग, केजीएमयू
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