साढ़े सात करोड़ के घोटाले के आरोपी ने जमानत में भी कर डाला फर्जीवाड़ा, पुलिस ने गिरफ्तार कर फिर भेजा जेल
7.50 करोड़ के स्टांप घोटाले के एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। उस पर आरोप है कि उसने छह मुकदमों में जमानत पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल क ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता, मेरठ। फर्जी स्टांप पर किए गए 997 बैनामे व सरकार को 7.50 करोड़ राजस्व का नुकसान पहुंचाने के मास्टरमाइंड अधिवक्ता विशाल वर्मा के साथी स्टांप वेंडर अक्षय गुप्ता ने छह मुकदमों की जमानत में भी फर्जीवाड़ा कर दिया। लालकुर्ती और टीपीनगर थाने से जमानत के कागजात फर्जी तरीके से तस्दीक करा दिए, जिन दारोगा से कागजात तस्दीक होना दिखाया, वह उक्त थानों में तैनात ही नहीं है।
मामला उजागर होने पर अदालत ने अक्षय की जमानत निरस्त कर दी और सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया। अक्षय हाईकोर्ट चले गए, वहां से आदेश कराया कि छह मुकदमों में सिर्फ दो ही जमानती होने चाहिए। उसके बाद दो जमानती लगाकर जमानत ले ली। पुलिस ने अक्षय गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
रिजर्व पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह और सीओ अभिषेक तिवारी ने बताया कि स्टांप घाेटाले के आरोपित अक्षय गुप्ता पुत्र मित्रसैन गुप्ता निवासी सूरजकुंड थाना सिविल के खिलाफ दारोगा अंकित कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया था।
आरोप था कि अक्षय गुप्ता ने धोखाधड़ी के छह मुकदमों में जमानती दीपक पुत्र मुरारी, सोनू पुत्र मुरारी निवासी मुल्ताननगर टीपीनगर अजय पुत्र मुरारीलाल, रोशन पुत्र किशनलाल, पंकज पुत्र राकेश, भारत पुत्र राजेंद्र कुमार निवासीगण कसेरुखेडा थाना लालकुर्ती को जमानतदार बनाया। जमानत कराने के लिए अधिवक्ता नवी हसन जैदी को चुना गया।
उक्त लोगों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर टीपीनगर थाने के दारोगा चंद्रपाल और लालकुर्ती थाने के दारोगा हरपाल और रंजीत से तस्दीक दिखाए गए। जांच में सामने आया कि उक्त दारोगा इन थानों में तैनात नहीं है। अक्षय गुप्ता ने उनकी फर्जी मोहर बनाकर हस्ताक्षर कर दिए। सिविल लाइन पुलिस ने आरोपित अक्षय गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया।
उसने पूछताछ में बताया कि जमानत की फर्जी पटकथा नवी हसन जैदी के साथ मिलकर बनाई थी। पुलिस ने अक्षय गुप्ता को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। बता दें कि फर्जी दस्तावेज पर अदालत ने अक्षय की जमानत खारिज कर दी थी। उसके बाद हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। हाईकोर्ट ने सभी छह मुकदमों में दो जमानती पेश करने का आदेश जारी किया। तब दो जमानती लगाकर अक्षय जेल से जमानत पर छूट गया था।
ये था स्टांप घाेटाला
उपनिबंधन कार्यालय के कनिष्ठ सहायक निबंधक प्रदीप कुमार ने सिविल लाइंस थाने में बैनामा कराने वालों के खिलाफ 22 मई 2024 को मुकदमा कराया। साथ ही 997 लोगों को स्टांप में कमी बताकर नोटिस जारी किए गए। सभी ने बताया कि उन्होंने अधिवक्ता विशाल वर्मा को स्टांप के पूरे पैसे दिए थे।
जांच में साढ़े सात करोड़ के फर्जी स्टांप का मामला पकड़ में आया। तब विशाल वर्मा के खिलाफ मुकदमा हुआ। एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर विशाल और उसके दो सहयोगी राहुल वर्मा पुत्र राजू वर्मा व राहुल वर्मा पुत्र महेश वर्मा पर मुकदमा हुआ। फिर कनिष्ठ सहायक अनिल कुमार ने मुकदमे में बताया कि 997 बैनामों से प्रभावित लोगों की शिकायत की गई थी।
विशाल ने जो स्टांप दिए वह कोषागार से जारी नहीं हुए। उन पर कोषागार की मुहर भी फर्जी है। विशाल ने गिरफ्तारी के बाद बताया कि स्टांप उसने अक्षय गुप्ता से खरीदे थे। पुलिस ने 12 जनवरी को अक्षय गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

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