दुर्लभ पुस्तकों के पन्ने पलटिए
आज ई जर्नल ई बुक का दौर है। जहां कंप्यूटर और मोबाइल पर मनपसंद साहित्य जर्नल पढ़ने की सुविधा उपलब्ध है। पलक झपकते हुए एक क्लिक में जो चाहे पढ़ सकते हैं। ई बुक के दौर में पुस्तकों का महत्व कम नहीं हुआ है। कई पुस्तकें जैसे-जैसे पुरानी हो रही हैं वह दुर्लभ होकर और भी उपयोगी हो रही हैं।
मेरठ, जेएनएन। आज ई जर्नल, ई बुक का दौर है। जहां कंप्यूटर और मोबाइल पर मनपसंद साहित्य, जर्नल पढ़ने की सुविधा उपलब्ध है। पलक झपकते हुए एक क्लिक में जो चाहे पढ़ सकते हैं। ई बुक के दौर में पुस्तकों का महत्व कम नहीं हुआ है। कई पुस्तकें जैसे-जैसे पुरानी हो रही हैं, वह दुर्लभ होकर और भी उपयोगी हो रही हैं। 100 साल से भी अधिक समय पुरानी पुस्तकों के पन्ने को अगर संभालकर पलटिए तो ये पुस्तकें आज भी उत्सुकता पैदा करती हैं। शहर में एनएएस पीजी कॉलेज ने अपने केंद्रीय पुस्तकालय में छह सौ से अधिक दुर्लभ पुस्तकों को संग्रहित किया है। इसमें कुछ सौ साल पुरानी हैं तो कुछ 193 साल पहले छपी थी। इन पुस्तकों के पन्ने का रंग वक्त के साथ भले ही पीला पड़ गया हो। ये पुस्तकें शोधार्थियों से लेकर शिक्षकों को कई अनछुए विषयों को भी बताती हैं।
अभी कुछ दिन पहले पढ़े मेरठ बढ़े मेरठ अभियान चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय और कॉलेजों में चलाया गया था। इसमें छात्रों को अपने पसंद की किताबों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया। अब इसमें छात्रों की जिज्ञासा और उत्सुकता को किताबों में बढ़ाने के लिए एनएएस कॉलेज में एक अच्छी पहल हुई है। कालेज के केंद्रीय पुस्तकालय में विधि, वाणिज्य, गणित, सांख्यिकी, विज्ञान, समाजशास्त्र, धर्म, संस्कृत, इतिहास, अर्थशास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर 100 साल से अधिक पुरानी किताबों को संग्रहित किया है। ंिहंदी और अंग्रेजी में छपी इन किताबों की समय के साथ कीमत भी बढ़ गई है।
गांधी के हस्ताक्षर में बड़ा संदेश
लाइब्रेरी में महात्मा गांधी द थॉट आफ द डे बापू के आशीर्वाद नाम से किताब है। महात्मा गांधी की हैंडराइटिंग तो अच्छी नहीं थी, लेकिन उनकी हैंडराइटिंग में लिखी बातें युवाओं को एक नई दिशा दिखाने की ताकत रखती हैं। उनके कुछ लिखे विचार देखिए- जो जीवन में सुर में चलता है, उसे कभी थकान नहीं होगा। एक और संदेश इस पुस्तक में है कि अगर ध्यान से देखें तो पृथ्वी पर स्वर्ग छाया हुआ है, आकाश में नहीं। आगे लिखा है .. निराशा आदमी को खाती है।
शोध में सहायक हैं ये किताबें
डब्लूडब्लू हंटर की 1906 में लिखी पुस्तक रुलर आफ इंडिया है, इसमें अंग्रेज गर्वनर सर थामस मुनरो के साथ हैदरअली, टीपू सुल्लान के संघर्ष की कहानी लिखी है। वहीं 1926 में भारतीय लेखक आरके मुखर्जी ने रुलर आफ इंडिया बुक में हर्ष का उल्लेख किया है। भारत में रेलवे का आगमन और उससे हुए बदलाव को 1925 में डगलस कनूप ने आउट लाइंस आफ रेलवे इकोनामिक्स में लिखा है। शेक्सपीयर की कविताओं पर 1919 में मैथ्यू एनरॉड की लिखी पुस्तक भी है। 1908 में काशीनाथ पांडुरंग की संस्कृत में लिखी बाणभट्ट की कादम्बरी भी है।
ये कहती हैं ..
दुर्लभ किताबों को छात्रों को छात्र लाइब्रेरी में पढ़ सकते हैं। फोटोकापी करा सकते हैं। इन किताबों में कंटेंट शोधार्थियों के लिए उपयोगी हैं। दूसरी प्रति नहीं होने की वजह से इन्हें स्कैन कराया जाएगा।
डा. शुचि कौशिक, पुस्तकालयाध्यक्ष, एनएएस कॉलेज