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    कैंसर का रास्ता रोकती है कृष्णा तुलसी की चाय

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    Updated: Sat, 31 Dec 2016 01:20 AM (IST)

    मेरठ : सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) के

    मेरठ : सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) के वैज्ञानिक डा. राकेश पांडेय ने बताया कि कृष्णा यानी श्यामा तुलसी के पत्ते प्रतिदिन चाय में डालकर पीने से कैंसर जैसी बीमारी से बचा जा सकता है। इससे चेहरे पर झुर्रियां भी नहीं पड़ेंगी।

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    सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) के वैज्ञानिक डा. राकेश पांडेय ने बताया कि हर मनुष्य के शरीर में कैंसर के जीन होते हैं। समय के साथ डीएनए म्युटेट हो जाने के कारण कैंसर का जीन उभरता है। यह आरओएस यानी रिएक्टिव आक्सीजन स्पेसीज के कारण होता है। चाय में पड़े कृष्णा तुलसी के पत्ते डीएनए को म्यूटेट होने से रोकते हैं।

    जल्द आएगा एंटी एजिंग टी

    डा. पांडे ने बताया कि निमिटोड (सूक्ष्म कृमि) पर सी-एलिगेंस के जरिए ट्रायल किया गया। ट्रायल में उनकी उम्र आमतौर पर दो से ढाई सप्ताह की बजाय चार सप्ताह तक बढ़ गई। इनमें उम्र के साथ आने वाली बीमारियां अलझाइमर, पार्किंसन, डिलेसिया भी नहीं मिली। निमेटोड का जिनोम मानव के जिनोम से काफी हद तक मिलता-जुलता हैं। ऐसे पौधों के इन मोलिक्यूल से एंटी एजिंग टी बनाई जा रही है, जिससे लोगों की उम्र बढ़ेगी लेकिन स्वस्थ व एक्टिव रहेंगे। ये बीमारियां शरीर में घर नहीं करेंगे।

    आधे घंटे में आएगा टेस्ट रिजल्ट

    चौधरी चरण सिंह विवि के जंतु विभाग विभाग में पहुंचे डा. पांडे ने बताया कि सीमैप द्वारा तैयार सी-एलिगेंस से टॉक्सिक जांच महज आधे घंटे में हो जाता है। एक रुपये का सी-एलिगेंस एक लाख जंतु उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में रिसर्च के लिए चूहों, बंदरों आदि जानवरों की जरूरत नहीं रह जाती और परिणाम तुरंत मिलते हैं।

    'सिमवृद्धि' से बढ़ेगी जमीन की उपज और किसानों की कमाई

    डा. राकेश पांडेय ने बताया कि सीमैप ने मेडिशनल एरोमेटिक प्लांट तैयार किए हैं, जिसका नाम 'सिमवृद्धि' रखा गया है। ये प्लांट पुदीना व खस के हैं। परफ्यूम में इस्तेमाल होने वाले खस के तेल निकालने के बाद इसका प्रयोग कूलर, पंखी, पर्स, झोपड़ी आदि बनाने में होता है। ये जहां दो साल में तैयार होते थे अब नौ महीने में बिना पानी व खाद के पैदावार होती है। उन्होंने बताया कि जो लोग गन्ना, धान, गेहूं आदि अनाज निकालकर जला देते हैं उनसे हम खाद तैयार कर रहे हैं। इसमें वर्मीकंपोज मिलाकर खेत में डालने से उपज 10 से 12 प्रतिशत बढ़ रही है। वहीं तीन महीने में पुदीना की खेती करने से किसानों को अधिक आर्थिक लाभ भी मिल रहा है। उन्होंने बताया कि सीमैप की ओर से किसानों को इसका प्रशिक्षण देने के साथ ही ओर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्हें घर में ही इसे तैयार करना सिखाया जा रहा है। साथ ही इसकी खेती के पहले ही खरीदार से कांट्रैक्ट भी कराया जाता है।