लीजिए हर्बल कश, छूट जाएगी धूमपान की लत
संतोष शुक्ल, मेरठ : धूमपान की लत से निजात के लिए आयुर्वेद ने नई उम्मीदें जगाई हैं। तमाम कंपनियां न
संतोष शुक्ल, मेरठ :
धूमपान की लत से निजात के लिए आयुर्वेद ने नई उम्मीदें जगाई हैं। तमाम कंपनियां निकोटीनमुक्त हर्बल बीड़ी व सिगरेट पेश कर रही हैं जो न सिर्फ फेफड़ों को सुरक्षित रखेंगी, बल्कि धूम्रपान की लत से भी निजात दिलाएगा। कैंसर एवं दमा के मरीजों पर हर्बल बीड़ी का फार्मूला कामयाब रहा है। हर्बल बीड़ी में लौंग, इलायची एवं ब्राह़मी जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक पादपों का अर्क मिला है। डाक्टरों का दावा है कि दो माह में मरीज धूम्रपान की लत छोड़ देता है।
देश में 70 फीसदी कैंसर की वजह धूमपान है। तंबाकू में निकोटीन, तार, कार्बनमोनोआक्साइड, कैडमियम एवं पोलोनियम समेत दर्जनों प्रकार के खतरनाक रसायन होते हैं। निकोटीन की मात्रा शरीर में पहुंचते ही दिमाग का सूचना मंत्र तेज हो जाता है और व्यक्ति धीरे-धीरे शरीर तंबाकू का आदी हो जाता है। तंबाकू सेवन की लत से निजात के लिए तमाम तरीकों पर शोध किया जा रहा है, किंतु पूरी सफलता नहीं मिल सकी है। हालांकि इस बीच ई-सिगरेट का कांसेप्ट शुरू किया गया, किंतु महंगा होने एवं उपलब्धता की कमी से कारगर नहीं रहा। अब तमाम कंपनियों ने आयुर्वेद के पन्नो को खंगालते हुए जड़ी बूटियों से नशाखोरी को दूर करने का फार्मूला पेश किया है। हर्बल बीड़ी और हर्बल सिगरेट में लौंग, इलायची, दालचीनी समेत दर्जनों जड़ी बूटियों के अर्क का प्रयोग किया गया है। धूमपान करने वालों को पूरी तरह तंबाकू का असर मिलेगा। धुआं फेफड़े तक न पहुंचे, इसके लिए माइक्रोफिल्टर का भी इस्तेमाल किया गया। अहमदाबाद की मान्स प्रोडक्ट लिमिटेड नामक कंपनी से निर्दोष बीड़ी पेश करते हुए दावा किया कि यह न सिर्फ दिमाग को तरोताजा करती है, बल्कि पाचन भी सहायक होगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कैंसर सर्जन के रूप में तीन दशक तक चिकित्सा कर मैंने पाया कि तंबाकू से निजात के बिना कैंसर पर विजय नहीं पाई जा सकती है। ब्राह़मी के साथ तमाम अर्क मिलाकर एक दवा बनाई गई है, जिसके सेवन से मरीज तंबाकू, सिगरेट एवं बीड़ी छोड़ रहे हैं।
-डा. प्रवीण तोगड़िया, वरिष्ठ कैंसर सर्जन एवं विहिप नेता
मैं लंबे समय से धूमपान के मरीजों को निर्दोष नामक हर्बल बीड़ी दे रहा हूं। इसका बेहद उत्साहजनक रिजल्ट है। यह सेहत के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। साथ ही गला भी साफ करती है, जबकि सिगरेट एवं बीड़ी के सेवन से 16 से ज्यादा प्रकार के कैंसर हो रहे हैं।
- डा. अमित जैन, कैंसर रोग विशेषज्ञ, वेलेंटिस अस्पताल।
धूम्रपान से कैडमियम, निकिल समेत दर्जनों घातक पदार्थ सांस की नलियों में जमकर इरीटेशन करते हैं। दमा, सीओपीडी से भी ज्यादा खतरा कैंसर का देखा जा रहा है। हर्बल बीड़ी या सिगरेट इनहेलर के रूप में ज्यादा प्रभावी होंगे।
- डा. महीप सालूजा, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ, केएमसी।

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