वाहनों से कई गुना ज्यादा जहरीली हैं चिमनियां
संतोष शुक्ल, मेरठ : वाहन प्रदूषण के लिए बदनाम हैं,लेकिन एनसीआर में वाहनों से चिमनियों पर अंकुश लग
संतोष शुक्ल, मेरठ :
वाहन प्रदूषण के लिए बदनाम हैं,लेकिन एनसीआर में वाहनों से चिमनियों पर अंकुश लगाना जरूरी है, अन्यथा मेरठ समेत एनसीआर में अस्थमा, दमा, फेफड़ों के कैंसर एवं सीओपीडी की स्थिति अनियंत्रित हो सकती है। रिपोर्ट से जहां दिल्ली सरकार हरकत में आ गई है, वहीं, यूपी सरकार ने भी एक्शन प्लान जारी कर दिया। इसके तहत नौ बिंदुओं पर काम किया जाएगा। चिमनियों की ऊंचाई बढ़ाने के साथ ही उनमें इलेक्ट्रिकल स्टैटिक्स प्रसीप्टेटर भी लगाए जाएंगे।
ब्वायलर दे रहे घुटन
मेरठ में खेल इंडस्ट्री की सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों में 150 से लेकर 250 किलोग्राम के ब्वयालर लगाए गए हैं, जिससे पानी गर्म कर स्टीम बनाई जाती है। छोटे उद्योगों में चिमनियों की ऊंचाई नौ एचं 11 मीटर निर्धारित है। परतापुर, स्पोर्ट्स काम्पलेक्स मोहकमपुर, उद्योगपुरम, मवाना रोड एवं सूरजकुंड में लगी इन इकाइयों से रोजाना बड़ी मात्रा में खतरनाक गैसें हवा में घुल रही हैं। उद्योगपुरम से लेकर मवाना रोड तक इकाइयों के पास लगे पेड़ों पर भी इसका जहर असर करने लगा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का भी मानना है कि अस्सी फीसदी इकाइयों ने चिमनियों के मानक का पालन ही नहीं किया। छोटे इंडस्ट्री की चिमनी भी रोजाना सैंकड़ों वाहनों के बराबर जहर रोज उगल देती है। चिमनियों से निकले धुएं की बदबू आसपास कई किलोमीटर तक महसूस की जाती है। मेरठ, हापुड़, व गजरौला के आसपास के लोगों में दमा, सीओपीडी, एवं फेफड़ों के कैंसर का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। तमाम इकाइयों में ईधन के रूप में रसायन, कच्ची लकड़ी, भूसी, आयल, पेंट एवं प्लास्टिक का प्रयोग किया जा रहा है। गुड़ बनाने वाली इकाइयों में पॉलीथिन को ईधन के रूप में प्रयोग करने से फेफड़ों में छेद देखने को मिल रहा है। दो सौ ईट भट्टो, गन्ने की पत्ती व पुआल जलाने से प्रदूषण में कई गुना इजाफा हुआ है।
ये है खतरा
ईधन जलने पर पर कार्बन, सल्फर एवं नाइट्रोजन के आक्साइड के अलावा मोनोआक्साइड भी निकलती है, जो हीमोग्लोबिन के साथ आक्सीजन की तुलना में ढाई सौ गुना ज्यादा तेजी से बांड बनाती है। ये सभी गैसें सेहत के लिए खतरनाक होने के साथ ही ओजोन की परत को भी भारी नुकसान पहुंचाती हैं। चिमनियों से निकलने वाले ढाई एवं दस माइक्रान के गैस कण जानलेवा साबित हो रहे हैं।
इनका कहना है..
मेरठ के कई बड़ी इकाइयों में दो-दो चिमनियां हैं। इनमें तमाम एंटी रिसेप्टर लगे होने के बावजूद विषाक्त गैसें रिलीज होती हैं। कई आक्साइड और बेंजीन कैंसरकारक हैं। मुख्य सचिव ने हाल में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक्शन प्लान जारी किया है। मेरठ की तमाम इकाइयां बंद की जा सकती हैं।
-डा. बीबी अवस्थी, अध्यक्ष, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
प्रदूषण उत्सर्जन कड़वा सच है, जो नई पीढ़ी के लिए जहर बन चुका है। तमाम चिमनियों की ऊंचाई मानक के मुताबिक नहीं है जो बड़ा खतरा है। उद्योगों बंधुओं की बैठक में इस बिंदु को गंभीरता से उठाया जाएगा।
-पंकज गुप्ता, मंडलीय अध्यक्ष, आईआईए
औद्योगिक धुएं से चर्म एवं फेफड़ों के कैंसर का खतरा कई गुना ज्यादा हो चुका है। वाहनों में तो सिर्फ पेट्रो पदार्थ जलता है, जबकि चिमनियों में पॉलीथिन, गीली लकड़ी एवं पेंट समेत तमाम खतरनाक रसायन झोंका जा रहा।
-उमंग मित्थल, कैंसर रोग विशेषज्ञ
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