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    कत्थक नृत्य की लय पर नाच उठा मन का मयूर

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    Updated: Fri, 24 Apr 2015 02:05 AM (IST)

    मेरठ: शास्त्रीयता की त्रिवेणी का एक रंग सरस्वती की कुटिया में छलका। जयपुर घराने के कत्थक नर्तक राजेन ...और पढ़ें

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    मेरठ: शास्त्रीयता की त्रिवेणी का एक रंग सरस्वती की कुटिया में छलका। जयपुर घराने के कत्थक नर्तक राजेन्द्र गंगानी की भावों के रंग में पकी हुई लयकारी ने मन मयूर को मगन कर दिया। भक्ति गंगा में शास्त्रीयता की नाव विहार करती रही। शिव से प्रेरणा लेकर शास्त्रों में समाई हुई नृत्य कला दर्शकों के पोर पोर में तैर गई। छात्रों ने भारतीय संगीत की छुअन, भावों की चमक और नृत्य की गहराई का भरपूर एहसास किया। गंगानी ने भी मेरठ की प्रस्तुति को दिल में स्थान दिया।

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    भारतीय कलाओं की विरासत को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से संस्था 'स्पिक मैके' ने एसडी सदर और गंगानगर स्थित ट्रांसलेम अकेडमी में कार्यक्रम आयोजित किया। लक्षू महराज, बिरजू महराज, सितारा देवी, दुर्गालाल सरीखे नृत्य महारथियों की संपन्न परंपरा के होनहार नर्तक राजेन्द्र गंगानी ने पहले छात्रों को कत्थक नृत्य के इतिहास एवं बारीकियों से परिचित कराया। उन्होंने पहली प्रस्तुति के तौर पर पंचाक्षर का मंचन किया। भगवान शिव को समर्पित पंचाक्षर में रागों का रंग घोला गया। राग यमन और राग भूपाली पर आधारित बंदिशों में राग शंकरा की रंगत ने दर्शकों को नृत्यशास्त्र की नई दुनिया की सैर कराई।

    नर्तक राजेन्द्र ने तालों पर अदभुत कौशल दिखाते हुए कला का चमत्कार पेश किया। उन्होंने चौताल, रूपक एवं तीन ताल में लयकारी की विभिन्नताओं को स्थापित कर दिखाया। इसके बाद तीन ताल पर आधारित एक पारंपरिक नृत्य एवं थाट प्रस्तुत किया। गणेशपरन की प्रस्तुति के बहाने गजानन के कई रूपों का हावभाव नजर आया। इसके बाद सूरदास की भजन 'मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो' को मिश्र मांड में पेश किया गया। आधा ताल की पेशगी का हुनर दर्शकों को हैरत में डाल गया। आधे ताल की खूबसूरती ये रही कि इसमें चौथा ताल पूरी तरह गायब रहा। राजेन्द्र गंगानी के नृत्य को विजय परिहार के गायन एवं हारमोनियम की मधुर संगत मिली। तबले पर रोहित परिहार ने खटकों का और सारंगी पर नफीस अहमद खान ने जादू दिखाया। इससे पहले प्रधानाचार्य आईपी दुबे व मुख्य अतिथि राजेन्द्र गंगानी ने मां शारदे समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की आयोजक सुनीता सहगल ने कहा कि विद्यार्थियों में सांस्कृतिक एवं शास्त्रगत कलाओं के प्रति अभिरुचि जगाने के लिए ऐसे कार्यक्रम जारी रहेंगे। अमन अग्रवाल, हिमा गौड़, रचना, सांची, दिव्यांश व समरीन आदि का भी योगदान रहा। राजेन्द्र गंगानी ने फिल्मों में वैजयंती माला और वहीदा रहमान के नृत्य की विशेष तारीफ की।

    ---इनसेट---

    बालिकाओं को बताईं कथक की बारीकियां

    मेरठ : सनातन धर्म कन्या इंटर कालेज सदर में शुक्रवार को सुबह के सत्र में पंडित गंगानी ने बच्चों को कथक का महत्व बताने के साथ ही 'मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो' गाने पर माता यशोदा व बाल गोपाल कृष्ण के बीच रूठने-मनाने के सिलसिले को अपने नृत्य में भाव अभिनय के जरिए खूबसूरती से प्रस्तुत किया। साथ ही कथक के 16 टुकड़ों के बारे में बताते हुए उन्होंने 'ओम नम: शिवाय' पर भी नृत्य पेश किया। पंडित गंगानी ने बालिकाओं को बताया कि आम तौर पर नई पीढ़ी के बच्चे भारतीय पारंपरिक संस्कृति को काफी बो¨रग समझती हैं जबकि उन्हें इसके बारे में कुछ जानकारी ही नहीं है। उनहोंने कहा कि जब तक वे इसे जानेंगे नहीं, इसे अपने जीवन में नहीं उतारेंगे, तब तक इसके प्रति आकर्षित कैसे होंगे। पंडित गंगानी ने कहा कि स्पिक मैके कार्यक्रमों के जरिए स्कूली युवाओं तक भारतीय संस्कृतियों को पहुंचाने की मुहिम इसीलिए चलाई जा रही है जिससे नई पीढ़ी को इससे जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति की अज्ञानता में बेहतरीन शिक्षा-दीक्षा भी बेमानी सी ही लगती है।