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    जैन धर्म में अष्टापद का विशेष महत्व : देव गुप्त

    By Edited By:
    Updated: Mon, 20 Apr 2015 02:08 AM (IST)

    मेरठ: श्री श्वेतांबर तीर्थ क्षेत्र में आयोजित वर्षीतप पारणा महोत्सव के तीसरे दिन रविवार को श्रद्धालु

    मेरठ: श्री श्वेतांबर तीर्थ क्षेत्र में आयोजित वर्षीतप पारणा महोत्सव के तीसरे दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने भगवान की प्रभावना कर पुण्य लाभ अíजत किया।

    भगवान शांतिनाथ के प्रक्षाल पूजन के पश्चात श्री आदिनाथ भगवान का प्रक्षाल पूजन व अष्टापद में आदीश्वर भगवान का प्रक्षाल पूजन किया गया। शांतिनाथ मंदिर में पंचकल्याणक पूजन, अष्टापद मंदिर में प्रभावना व पारणा मंदिर में मंगल आरती का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सार्धिमक वात्सल्य बनने का सौभाग्य स्मिता तथा जमना दास मुंबई, रूखमबेन बबलदास पोपट लाल परिवार गुजरात व पुखराज बेन महेंद्र राजेंद्र, सुनील, संजय, प्रकाश चंद अनोखी लाल को प्राप्त हुआ।

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    प्रवचन में पन्यास प्रवर श्री देव गुप्त महाराज ने कहा कि यह वह पवित्र भूमि है जहां अवर्सिपणी काल के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान ने संयम प्राप्त किया था और चार सौ दिन के उपवास का प्रथम पारणा श्री श्रेयांस कुमार के हाथों से इक्षु रस इसी स्थान पर ग्रहण किया था। मान्यता है कि यहां आकर पारणा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाराज ने कहा कि जैन धर्म में अष्टापद का विशेष महत्व है। हस्तिनापुर तीर्थ क्षेत्र में विराजमान अष्टापद के दर्शन मात्र से कल्याण संभव है। इसी क्रम में शाम के समय पारणा मंदिर में आरती मंगलदीप व भावना आरती का आयोजन किया गया।

    भव्य होगा महोत्सव

    मंदिर के महामंत्री निर्मल कुमार जैन, महाप्रबंधक तेजपाल ¨सह ने बताया कि सोमवार को वर्षीतप के सभी तपस्वी पारणा करने के लिए यहां पहुंच जाएंगे। मंगलवार को अक्षय तृतीया के दिन वर्षीतप के तपस्वी पारणा करेंगे और उनके साथ आए श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन कर धर्मलाभ अíजत करेंगे।

    फोटो परिचयमावा 9 : श्री श्वेतांबर मंदिर में पूजा अर्चना करते श्रद्धालु।

    मावा 10 : श्री श्वेतांबर मंदिर में आशीर्वाद प्रदान करती साध्वी।