पीओसीएसओ व एसजेपीयू का फुलफॉर्म भी नहीं पता
जागरण संवाददाता, मेरठ : पीओसीएसओ (प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड सेक्सुअल ऑफेंसेज), एसजेपीयू (स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट), एएचटीयू (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट) व सीएचएल (चाइल्ड हेल्प लाइन) आदि बाल अपराध से जुड़ी विंग हैं। इनका भी फुलफार्म पुलिसकर्मी नहीं बता सके। बाल अपराध कार्यशाला में मेरठ जोन के 50 दरोगा को एक प्रश्न पत्र दिया गया, जिसमें 16 प्रश्न थे। कोई भी दरोगा 50 प्रतिशत प्रश्नों का जवाब भी नहीं दे सका। इससे साफ हो गया कि जब पुलिस को जानकारी ही नहीं है, तो इस तरह के अपराधों से निपटेगी कैसे।
सोमवार को पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय में बाल अपराध कार्यशाला का उद्घाटन अभियोजन अधिकारी शिवशंकर सिंह ने किया। साथ ही वैधानिक संरचना के बारे में जानकारी दी। इससे पहले सभी पुलिसकर्मियों को बाल अपराध से संबधित विंग की कितनी जानकारी है, इसका टेस्ट लिया गया। इसमें कोई भी पुलिसकर्मी 50 प्रतिशत सवालों का भी सही जवाब नहीं दे पाया। उप निरीक्षक संजय सिरोही और महेश चौहान ने बाल मैत्रीपूर्ण वातावरण की जानकारी दी। बाल वेश्यावृति के बारे में एसआइ शीला देवी ने जानकारी दी। इसके साथ ही लैंगिक हिंसा के विरुद्ध कानून एवं लैंगिक हिंसा से बालकों का संरक्षण अधिनियम के बारे में अभियोजन अधिकारी शिव शंकर सिंह ने विस्तृत से जानकारी दी। कार्यशाला के संचालक पुलिस उपाधीक्षक धुरेंद्र कुमार ने कहा कि बढ़ते बाल अपराध को रोकने के लिए शासन के आदेश पर मेरठ जोन के नौ जनपदों से विशेष किशोर इकाई के प्रभारियों एवं बाल कल्याण अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लगातार छह दिनों तक बाल अपराध के अलग-अलग पहलुओं पर विस्तार से चर्चा कराई जाएगी।
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