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    दिल की तरह पैरों को भी अटैक से बचाएं....'एम्प्यूटेशन-फ्री इंडिया' के साथ ये ट्रिक अपनाएं

    By AMIT KUMAR TIWARIEdited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Sun, 09 Nov 2025 02:16 PM (IST)

    मिलिट्री हॉस्पिटल में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के लिए वाकथान का आयोजन किया गया, जिसमें अस्पताल के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने भाग लिया। इस पहल का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना और समुदाय के स्वास्थ्य के प्रति अस्पताल की प्रतिबद्धता को दर्शाना था।

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    राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे 'एम्प्यूटेशन-फ्री इंडिया' अभियान में भाग लेते सैन्यकर्मी। जागरण

    जागरण संवाददाता, मेरठ। दिल पर अटैक यानी हृदय आघात के बारे तो अब काफी हद तक जागरूकता बढ़ी है, लेकिन एक अटैक पैरों पर भी होता है। उसके बारे में कम लोगों ने ही सुना है। इस बारे में जानकारी और जागरूकता की कमी है। पैरों पर होने वाले अटैक में नसों में रक्त का बहाव रुक जाता है, जिससे पैरों को काटने तक की नौबत आ जाती है इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे 'एम्प्यूटेशन-फ्री इंडिया' अभियान के अंतर्गत मिलिट्री हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग की ओर से रविवार को जागरूकता वाकथान का आयोजन किया गया। सब एरिया मेस से शुरू हुई इस वाकथान को पश्चिम यूपी सब एरिया के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल सुमित राणा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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    जीओसी ने सैन्य अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर विक्रम पात्रा के साथ वाकथान में हिस्सा भी लिया। इस अवसर पर लगभग 200 सैन्यकर्मियों ने भाग लिया और रक्तवाहिनी अवरोधक (वैस्कुलर ओक्लूसिव) रोगों के प्रति जन-जागरूकता का संदेश दिया।

    मिलिट्री हॉस्पिटल मेरठ के कमांडेंट और जाने माने वेस्कुलर सर्जन ब्रिगेडियर डा. विक्रम पात्रा ने मेरठ छावनी में पहली बार इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वाकथान का आयोजन कराया। इसका उद्देश्य सैनिकों एवं उनके स्वजन को उन रोगों के प्रति जागरूक करना था जो रक्तवाहिनियों के अवरोध से उत्पन्न होकर हाथ-पैर काटने (एम्प्यूटेशन) जैसी स्थिति तक पहुंचा सकते हैं।

    ब्रिगेडियर पात्रा ने बताया कि एम्प्यूटेशन-फ्री इंडिया का लक्ष्य केवल अंगच्छेदन रोकना नहीं है, बल्कि समय पर पहचान, उपचार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के प्रति लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि भारत में हृदय और मधुमेह जैसे रोगों के प्रति जागरूकता तो बढ़ रही है, परंतु रक्तवाहिनी अवरोधक बीमारियां अभी भी काफी हद तक अनदेखी हैं।
    मुख्य अतिथि मेजर जनरल सुमित राणा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि सेना की शक्ति केवल शारीरिक सामर्थ्य से नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली से भी आती है। मिलिट्री हास्पिटल का यह प्रयास सैन्य समुदाय के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने सैनिकों से संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान व मद्यपान से परहेज करने की अपील की।

    जागरूकता सत्र और व्याख्यान का आयोजन
    वाकथान के बाद कंसल्टेंट वेस्कुलर सर्जन और सैन्य अस्पताल के वरिष्ठ रजिस्ट्रार कर्नल (डा.) ऋषि ढ़िल्लन ने रक्तवाहिनी अवरोधक रोगों के कारण, लक्षण और उपचार पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि धूम्रपान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और असंतुलित आहार इन रोगों के प्रमुख कारण हैं। जनरल सर्जन लेफ्टिनेंट कर्नल (डा.) कुंदन प्रकाश शर्मा ने रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि ये बिमारियां लंबे समय तक बिना लक्षणों के बढ़ती हैं, इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच अत्यंत आवश्यक है।

    ये हैं देश में रोगों के सर्वेक्षण के आंकड़े
    - परिफेरल आर्टेरियल डिजीज (पीएडी) से 3% से 27% वयस्क प्रभावित हैं।
    - मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगियों में लगभग 18% में रक्तवाहिनी अवरोध पाया गया है।

    - डायबिटिक फुट अल्सर (पैरों में घाव) लगभग 6% मधुमेह रोगियों में होता है और यही 85% एम्प्यूटेशन के मामलों की प्रमुख वजह है।
    - अनुमानतः भारत में प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक अंगच्छेदन किए जाते हैं, जिनमें से अधिकांश टाले जा सकते हैं, यदि रोग की समय पर पहचान और उपचार हो।
    - थ्रोम्बोएंजाइटिस आब्लिटेरेंस (ब्यूर्जर रोग) युवा पुरुष धूम्रपान करने वालों में अधिक पाया जाता है और गैर-मधुमेही व्यक्तियों में 30–40% एम्प्यूटेशन का कारण बनता है।

    इसलिए चला रहे एम्प्यूटेशन-फ्री इंडिया अभियान
    इस राष्ट्रीय अभियान का उद्देश्य भारत को रोकथाम योग्य अंगच्छेदन से मुक्त बनाना है। इसके तीन प्रमुख स्तंभ हैं। इनमें जागरूकता अभियान के तहत जनता और सैनिकों को जोखिम कारक एवं शुरुआती लक्षणों के बारे में शिक्षित करना। प्रारंभिक जांच में सरल परीक्षणों (जैसे एंकल ब्रेकियल इंडेक्स) द्वारा जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान और समन्वित उपचार के तहत वेस्कुलर सर्जन, मधुमेह विशेषज्ञ, फिजियोथेरेपिस्ट और पुनर्वास टीम के सामूहिक प्रयास, शामिल है।

    मिलिट्री हास्पिटल ने इस अभियान को सैनिक स्वास्थ्य सेवा का हिस्सा बनाते हुए इसे सामुदायिक मिशन का रूप दिया है। ब्रिगेडियर विक्रम पात्रा ने कहा कि, हर सैनिक की सहनशक्ति उसकी रक्तवाहिनियों की सेहत पर निर्भर करती है। यदि हम समय पर जागरूक हों, तो हर कदम एक स्वस्थ और एम्प्यूटेशन-फ्री भारत की ओर होगा। कर्नल ऋषि ढिल्लन ने कहा कि, पैरों में दर्द, ठंडापन या न भरने वाले घाव को कभी नजरअंदाज न करें। समय पर उपचार से अंगच्छेदन रोका जा सकता है।

    आगे भी करते रहेंगे जागरूकता कार्यक्रम
    मिलिट्री हास्पिटल ने घोषणा की है कि इस तरह के वाकथान और जागरूकता कार्यक्रम को हर वर्ष आयोजित किया जाएगा। साथ ही, सैनिकों और उनके परिवारों के लिए नियमित स्क्रीनिंग शिविर, चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम और अनुसंधान परियोजनाएं भी शुरू की जाएंगी।