अवध में जन्मे हो श्रीराम, बाजे बधइया..
जागरण संवाददाता मऊ भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी हरषित महतारी मुनि मन ह

जागरण संवाददाता, मऊ : 'भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी, हरषित महतारी मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी। लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आयुध भुज चारी, भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिधु खरारी..' इस मनोहारी भजन के साथ मंदिरों में घंटा-घड़ियाल बजने लगे, अपूर्व भक्ति का स्त्रोत फूट पड़ा। दिव्य आरती और भक्ति से सराबोर आस्था के प्रवाह में उपस्थित सभी नर-नारी बह उठे। आंखे बंद, हाथों से तालियों की हल्की थपकी और श्रद्धा के वशीभूत झूमते लोग।
महाआरती का यह प्रकरण समाप्त होते ही कमान महिलाओं ने संभाल ली। सोहर की स्वरलहरियां गूंजने लगीं, 'अवध में प्रकटे हो श्रीराम, चहुंओर बाजे बधइया..।' दरअसल इन मंदिरों में चैत्र शुक्ल नवमी यानि श्रीरामनवमी पर भगवान श्रीराम के प्राकट्योत्सव और उनके तीन अनुजों के जन्मोत्सव भव्य आयोजन किए गए। अनेक घरों में भी श्रीराम भक्तों ने प्रभु प्राकट्योत्सव पर अनुपम झांकियां सजाईं। वहीं श्रीरामनवमी के अवसर पर जगह-जगह मेले लगे।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के साथ ही श्रीरामनवमी के अवसर पर जनपद के मां वनदेवी धाम और करहां के गुरादरी मठ पर मेलों का आयोजन शुरू हुआ। इन मेलों में हजारों श्रद्धालु जुटे और अपने-अपने इष्ट का दर्शन-पूजन कर शीश नवाया। अनेक प्रकार के गृहोपयोगी सामानों की खरीदारी की। बच्चों ने मिठाइयों तथा अन्य व्यंजनों के साथ खेल-खिलौनों व झूलों का आनंद उठाया। मां वनदेवी धाम में तीन दिनों तक चलने वाला श्रीरामनवमी का मेला रविवार से आरंभ हुआ। यह मेला यहां बिकने वाले लकड़ी के सामानों के लिए प्रसिद्ध है। मेले में पहले दिन हजारों श्रद्धालु पहुंचे। सबने मां सीता के वनदेवी स्वरूप का दर्शन-पूजन कर मेले का आनंद उठाया। इस दौरान पूरा परिसर मां के जयकारों से गूंजता रहा। मेला परिसर में सजी दुकानें अद्भुत छटा बिखेर रही थीं।
मुहम्मदाबाद गोहना प्रतिनिधि के अनुसार बाजार से सटे पश्चिमी तरफ स्थित पवित्र गुरादरी मठ और बनियापार गांव में रामनवमी के पावन अवसर पर विशाल मेला लगा। गुरादरी मठ पर हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने बाबा घनश्याम दास की समाधि पर मत्था टेक नमन किया। यह मठ प्राचीन धरोहरों में से एक है। यहां बने प्राचीन मंदिरों के मध्य बाबा घनश्याम दास की समाधि पर मत्था टेक एवं यहां के पवित्र सरोवर में डुबकी लगाकर श्रद्धालु भक्त अपने को धन्य मानते हैं। इस दिन यहां के स्थित पोखरे में स्नान करना एवं चढ़ावा चढ़ाना श्रद्धालु भक्तों की आस्था का केंद्र बिदु है। लगभग 350 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुई यह प्रथा आज भी जारी है। इधर पुलिस प्रशासन ने भी शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए थे।
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