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    शिव-शक्ति के मिलन से चलता है जगत

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 26 Mar 2022 05:21 PM (IST)

    - कथा - कोपागंज के प्राचीन गौरीशंकर मंदिर पर रामकथा का दूसरा दिन - नई पीढ़ी को धम

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    शिव-शक्ति के मिलन से चलता है जगत

    - कथा

    - कोपागंज के प्राचीन गौरीशंकर मंदिर पर रामकथा का दूसरा दिन

    - नई पीढ़ी को धर्म के बारे में कम है जानकारी : रमेश शुक्ल

    जागरण संवाददाता, पूराघाट (मऊ) : शिव-शक्ति के मिलन से ही जगत चलता है। शक्ति के बिना सृष्टि का सृजन संभव नही है। शिव व शक्ति के बिना कुछ भी संभव नही है वहीं परम् ब्रह्म है। यह बातें कोपागंज स्थित प्राचीन गौरीशंकर मंदिर के प्रांगण में चल रहे रामकथा के दूसरे दिन अयोध्या के रमेश शुक्ल ने कहा। कहा व्यक्ति जब तक अध्यात्म से नहीं जुड़ेगा तब तक उसे आत्मा की अनुभूति नहीं होगी और वह राम रूपी रस का पान करने से वंचित हो जाएगा।

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    संत श्री शुक्ल ने कहा कि नई पीढ़ी को अपने धर्म के बारे में जानकारी कम है। इसे जगाने की जरूरत है। कहा कि किस प्रकार जगाएंगे। इसका मूल मंत्र है। जब हम स्वयं जानेंगे तब बच्चे को ज्ञान दे सकते हैं। ईश्वर से सभी साक्षात्कार करना चाहते हैं लेकिन एकाग्रता नहीं है जब तक हम मन वचन और कर्म से कोई कार्य नहीं करेंगे। तब तक कुछ भी संभव नहीं है।सांसारिक भागमभाग की जिदगी में व्यक्ति पैसे के पीछे भाग रहा है। भागना ठीक है लेकिन अपने कुछ कर्म भी है। इसके लिए हम सभी का इस मानव रुप मे अवतरण हुआ है उसे सही मार्ग पर ले जाना है। आप पूजा पाठ एक घंटे करें या पांच मिनट फलित वही होता है। जिस ध्यान में प्रभु का दर्शन हो जाय, समझिए जीवन धन्य हो गया। शिव पार्वती के विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि इनके मिलन के बिना कुछ भी संभव नहीं था। महादेव ने शक्ति से विवाह से पहले अनेक समस्याओं को झेला लेकिन अंत महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ। इसका साक्षी बना पूरा ब्रह्मांड शिव और पार्वती के उद्घोष से धरती आकाश पाताल गुंजायमान हो गया। इसके बाद नए जगत का सृजन हुआ। कहा कि अध्यात्म से आत्मा और आत्मा से परमात्मा का मिलन होता है। इसके लिए व्यक्ति को परमात्मा से अपनी आत्मा की जोड़ना होगा। यह तभी संभव है। जब आप एकाग्रचित्त होकर उस परमात्मा को जो मानव रूप में लीला करने आएं राम से अपने को जोड़ेंगे।इसके बाद बस आनंद ही आनंद है कुछ जीवन मे शेष नही रहता है। इस अवसर पर जयप्रकाश राय, ओमप्रकाश राय, सत्यप्रकाश राय, धीरेंद्र राय, लालता राय, प्रमोद राय, आनंद आदि उपस्थित थे।

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