अनेक रोगों की अचूक दवा है मदार
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत में पाया जाने अकवन या आक या मदार भ
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत में पाया जाने अकवन या आक या मदार भले ही विषैला पौधा है पर यह विभिन्न रूप में एक दर्जन से अधिक रोगों की अचूक दवा है। कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डा. डीपी ¨सह बताया कि मदार एलक्लेपैडेसिया कुल का पौधा हैं। इसका वैज्ञानिक नाम कैलोट्रोपिस प्रोसेरा है। इसके दूध में विष की मात्रा होने के चलते बिना जानकारी के इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
इसकी जड़, तना, पत्ती और दूध में अलग-अलग औषधीय गुण हैं। मदार की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। रक्तार्क, श्वेतार्क और राजार्क। राजार्क में चांदी के रंग के पुष्प होते हैं। यह दुर्लभ प्रजाति है।
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औषधीय गुण : दंत पीड़ा, मिरगी, कर्णशूल, श्वास रोग, खांसी, रक्त अतिसार, अपच, पीलिया, भगंदर, नाड़ी घाव, मूत्र रोग, उकवत, बांझपन, लकवा, गांठ एवं वात, दाद-खाज, पांव में छाले और अन्य तमाम रोगों में मदार का प्रयोग किया जाता है।
नुस्खा : दांत में दर्द होने पर मदार का दूध और घी बराबर मात्रा में मिला लें। इसमें रूई का फाहा डूबो लें। इस फाहे को दांत के पास रख लें। दर्द अवश्य दूर होगा। दाद से मुक्ति केलिए मदार के दूध और शहद की बराबर मात्रा मिलाकर दाद वाले स्थान पर लगा दें। कान में दर्द होने पर मदार की पीली पत्ती को घी में चुपड़कर आग पर सेंक लें। बाद में इसका रस निकाल कर कान में डालें। हर तरह का दर्द तुरंत खत्म होगा। मिरगी के उपचार के लिए सफेद आक का फूल एक भाग एवं पुराना गुड़ तीन भाग लें। फूल को पीस कर गुड़ में मिलाकर चने के दाने के आकार की गोली बना लें। एक-एक गोली सुबह-शाम लेने से मिरगी का समूल नाश होना तय है। डॉ. रामनिवास ने पग-पग पर पाए जाने वाले औषधीय पौधों के गुण से अनभिज्ञ होने एवं प्राकृतिक उपचार विधा को जीवंत रखने का संकल्प जताया है।
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