स्ट्रेप्टोसाइक्लिन से करें बीज शोधन, डालें फेरिक सल्फेट
जागरण संवाददाता, मऊ : खरीफ की मुख्य फसल धान की नर्सरी की तैयारियों में किसान जुट गए हैं
जागरण संवाददाता, मऊ : खरीफ की मुख्य फसल धान की नर्सरी की तैयारियों में किसान जुट गए हैं। लोगों ने नर्सरी डालना प्रारंभ कर दिया है। इन दिनों तेज धूप का कहर है। ऐसे में नर्सरी प्रबंधन पर किसानों को विशेष ध्यान रखना होगा। बीज भींगाने से लेकर छिड़काव करने, सुरक्षा के प्रबंध सहित रोग व कीट नियंत्रण का ध्यान रखना होगा। इस दौरान गोबर की खाद के साथ ¨जक के प्रयोग काफी फायदेमंद साबित होगा।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. वीके ¨सह बताते हैं कि नर्सरी से पहले बीज शोधन किया जाना अति आवश्यक है। ऐसा करने से झुलसा रोग से बचाव होता है। इसके लिए छह ग्राम स्ट्रेप्टो साइक्लिन से 40 किग्रा बीज का शोधन करना चाहिए। नर्सरी तैयार करते समय ही प्रचुर मात्रा में गोबर के साथ जिप्सम का प्रयोग करें। जो किसान पहले नर्सरी डाल चुके हैं, वे ¨जक सल्फेट का प्रयोग अवश्य करें। इसके प्रयोग से खैरा रोग का बचाव होता है। अलग-अलग प्रजातियों का बीज डालते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक प्रजाति से दूसरे की दूरी कम से कम तीन फीट हो। इससे दूसरी प्रजाति के बीच आपस में मिल नहीं पाते हैं। लोहे की कमी से नर्सरी में पौधा सफेद होने लगता है। इससे बचाव के लिए फेरिक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए। नर्सरी की सुरक्षा को लेकर किसानों को बहुत सचेत रहना होगा। लापरवाही से व्यापक नुकसान होने के साथ खेती पिछड़ जाएगी। डालना चाहिए ज्यादा मात्रा में गोबर
डा. ¨सह ने बताया कि नर्सरी में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद डालना चाहिए। इससे पौधे को पोषण तो मिलता ही है। बीज तैयार होने बाद उखाड़ने में पौधा टूटता नहीं है। जिस नर्सरी में गोबर की मात्रा नहीं होती है, उसमें उखाड़ते समय जड़ टूट जाती है। ऐसे पौधे को फिर जड़ पकड़ने में विलंब होता है। जैविक खाद का प्रयोग उत्पादन और बढ़ा देता है।
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