फास्फोरस की कमी पशुओं के लिए है जानलेवा
जागरण संवाददाता मऊ फास्फोरस की कमी पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में प ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मऊ : फास्फोरस की कमी पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में पशु दीवार चाटने लगे या पेशाब पीने लगे तो समझिए वह इस बीमारी का शिकार है। इसमें तनिक भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। पशुओं के व्यवहार का अगर हम बारिकी से निरीक्षण करें तो उनकी बहुत सी बीमारियों का पता हम बिना किसी डाक्टरी जांच के कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र पिलखी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एलसी वर्मा का कहना है कि पशु चारा उगाने की जमीन में अगर फास्फोरस की कमी है तो उसमें उगी फसलों में भी फास्फोरस की कमी हो जाएगी। अगर यह चारा पशु खाता है तो उसमें भी इसकी कमी हो जाएगी। इसके बाद वह मिट्टी भी चाटते हैं। दूसरे पशुओं का पेशाब भी पीने की कोशिश करते हैं। उनके पास पड़ा कपड़ा, थैला, जूता, बैग कुछ भी चबाने लगते हैं। अगर पशुओं के रात मिश्रण में चोकर नहीं मिलाया गया है तो भी फास्फोरस की कमी हो सकती है। फास्फोरस चूंकि दूध में भी स्त्रावित होता है। इसलिए दुधारू पशुओं के चारे दाने में उचित मात्रा फास्फोरस मौजूद न होने पर भी उन पशुओं इसकी कमी हो जाती है। इससे पशुओं की भूख कम हो जाएगी। वृद्धिशील पशुओं की बढ़वार कम हो जाएगी। पशु की प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी। पशु हीट में नहीं आएंगे। पशुओं की हड्डियां कमजोर हो जाएगी।
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फास्फोरस की पूर्ति के लिए करें यह उपाय
पशुओं के लिए रात्रि मिश्रण बनाते समय उसमें 30 से 40 फीसदी चोकर जरूर रखना चाहिए। रात्रि मिश्रण बनाते समय उसमें दो प्रतिशत की दर से उत्तम गुणवत्ता का विटामिन मिनरल मिक्सचर जरूर मिलाइए। पशुओं को बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम देने पर भी फास्फोरस की कमी हो जाती है। इसलिए पशुओं को केवल कैल्शियम ही कैल्शियम नहीं खिलाते रहना है। पशुओं में अगर ऊपर बताये गये लक्षण दिखाई दें तो पशुओं को पशु चिकित्सक की देखरेख में कम से कम पांच दिन तक फॉस्फोरस के इंजेक्शन लगवाइए।

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