सांप डंसे तो न घबराएं, सीधे पहुंचें सरकारी अस्पताल
जागरण संवाददाता, मऊ : एक जमाना था कि जब सांप के काटने की बातें सुनने से लोगों में सिहरन ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मऊ : एक जमाना था कि जब सांप के काटने की बातें सुनने से लोगों में सिहरन दौड़ जाती थी, ज्यादातर लोग बिना सही इलाज के ही मर जाते थे। लोगों को यह मालूम ही नहीं था कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। वर्तमान समय में ज्यादा लोगों को मालूम है कि सर्प दंश से जान बचाने की पहली व अनिवार्य शर्त है इसका सटीक इलाज। जिले के स्वास्थ्य महकमा का भी यही दावा है कि सांप के जहर का एक मात्र उपचार एंटी स्नेक वेनम है और उनके पास पर्याप्त मात्रा में यह इंजेक्शन उपलब्ध है।
सीएमओ डा. सतीश कुमार ¨सह के अनुसार जिले में अभी भी एंटी स्नेक वेनम के ढाई सौ वायल मौजूद हैं। बीते मई महीने में रानीपुर ब्लाक के बखरिया व सलेमपुर गांव की दो महिलाओं को सांप ने डंस लिया ¨कतु उनके परिजनों ने झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ने के बजाए उन्हें आजमगढ़ के सठियांव स्थित एक प्राइवेट अस्पताल ले गए और दोनों महिलाएं बच गईं। इसी प्रकार इंदारा, भेलाबांध में तीन लोगों व छोटी बकवल में एक युवक को मई महीने में सांप ने डंस लिया था। उन लोगों को बिना इंजेक्शन के ही बचा लिया गया, क्योंकि उनके शरीर में सांप का जहर नहीं पहुंच पाया था। शंका के आधार पर वे एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे थे। इनसेट ---
डर और नासमझी से होती हैं ज्यादातर मौत
यहां कई सालों से चिकित्साधिकारी व सीएमओ रहे डा. आरके मिश्रा का कहना है कि बहुत से सांप हैं जो जहरीले नहीं होते। पूर्वांचल में करैत व गेहुंअन ही ऐसा सांप है जिसके काटने से शरीर में जहर फैलने का खतरा रहता है। बाकी सांप ऐसे हैं जिनके काटने से कुछ नहीं होगा। कई बार देखा जाता है कि सांप के काटने से व्यक्ति के अंदर मौत का डर समा जाता है और बिना जहर के यानि काíडएक अरेस्ट से भी मर जाता है। इसलिए सांप काटे तो बिल्कुल ¨चता नहीं करनी चाहिए। देखा जाता है कि सांप के काटने का डर इतना अधिक हो जाता है कि व्यक्ति को हार्ट अटैक हो जाता है और मर जाता है। उन्होंने बताया कि जब भी सांप काटता है तो उसके शरीर में दो दांत के निशान मिलते हैं। उसका जहर सीधे मांस के अंदर घुस जाता है और खून में जहर फैलने लगता है। सबसे पहले यह जहर ऊपर की तरफ जाता है। अगर हाथ में सांप ने काट लिया है तो जहर दिल की तरफ जाएगा उसके बाद पूरे शरीर मे पहुंचेगा। अगर पैर में काट लिया है तो फिर ऊपर की ओर हार्ट तक जहर जाएगा और फिर पूरे शरीर में पहुंचेगा। पूरे शरीर में जहर पहुंचने में तीन घंटा का समय लगता है। मतलब साफ है रोगी तीन घंटे तक तो नहीं मरने वाला है। इसलिए रोगी को अस्पताल ले जाकर उसे आसानी से बचाया जा सकता है। इनसेट --
इमरजेंसी में हमेशा रहता है 30 एंटी स्नेक वेनम
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. बृज कुमार कहते हैं कि जिला अस्पताल के इमरजेंसी में हमेशा 30 एंटी वेनम रखा रहता है। यही नहीं पिछले साल जिला अस्पताल में एंटी वेनम के 100 के स्टाक रखे हुए थे। मरीज बहुत कम आए, फिर भी जो आए, सभी रोगियों का इलाज किया गया और ठीक हुए।
बोझी प्रतिनिधि के अनुसार बड़रांव स्थित सामुदायिक अस्पताल में एंटी वेनम के तीन फाइल पड़ी हुई थी। रानीपुर तथा कोपागंज के सीएचसी में एंटी वेनम के स्टाक पड़े हुए थे।

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