Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छायावादी कविता जीवन का काव्य व जागरण का साहित्य

    जागरण संवाददाता मऊ चिन्मय भारत की अभिव्यक्ति हमें पूरे छायावादी काव्य में देखने को मिलती ह

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 06 Dec 2020 06:38 PM (IST)
    Hero Image
    छायावादी कविता जीवन का काव्य व जागरण का साहित्य

    जागरण संवाददाता, मऊ : चिन्मय भारत की अभिव्यक्ति हमें पूरे छायावादी काव्य में देखने को मिलती है। छायावादी काव्य जीवन का काव्य है। यह पलायन नहीं जीवन में कठिन परिश्रम, संघर्ष और आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाला राष्ट्रवादी साहित्य है। छायावाद जागरण का साहित्य है। इसमें हम पाते हैं कि चाहे महादेवी वर्मा हों, सुमित्रानंदन पंत या जयशंकर प्रसाद अथवा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सभी के साहित्य में शक्ति का संधान है। शक्ति का संधान कमजोर का नहीं, बल्कि बलवान का आधार है। यह बातें हिदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के अध्यक्ष डा.उदय प्रताप सिंह ने कहीं। डा.उदयप्रताप शहर के डीसीएसके पीजी कालेज में हिदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में छायावाद के शताब्दी वर्ष-2020 पर रविवार को आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। डा.सिंह ने कहा कि वास्तव में छायावाद भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति का साहित्य है। मुख्य वक्ता इलाहाबाद विवि के प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि छायावाद सिर्फ काव्य का आंदोलन नहीं है, बल्कि इस काल के प्रमुख रचनाकारों ने महत्वपूर्ण गद्य साहित्य भी रचा है। निराला, प्रसाद, महादेवी के गद्य साहित्य उच्च कोटि के साहित्य हैं। महादेवी ने जहां संस्मरण और रेखाचित्र में मानक स्थापित किया, वहीं निराला ने उपन्यास, कहानी, अनुवाद में महत्वपूर्ण काम किया। प्रसाद को तो नाटक का सम्राट ही कहा जाता है। प्रसाद के नाटकों में भारतीय राष्ट्रवाद की अनुगूंज जगह-जगह जगह दिखाई पड़ती है। इसमें चंद्रगुप्त नाटक को तो राष्ट्रवाद का शिखर कहा जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के डा.राकेश सिंह ने बताया कि छायावाद का काव्य ऊर्जा का काव्य है। शक्ति का काव्य है और आम जनता को जगाने वाला काव्य है। प्रयागराज से आए डा.रमेश सिंह ने छायावाद के विभिन्न आयामों की चर्चा की। राम की शक्ति पूजा का उल्लेख करते हुए डा.सिंह ने छायावादी साहित्य का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया। डीसीएसके पीजी कालेज के प्राचार्य डा.अरविद कुमार मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि कालेज प्रशासन साहित्यिक गोष्ठियों एवं हिदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के सौजन्य से होने वाले कार्यक्रमों के लिए हमेशा उत्साह के साथ तत्पर रहता है। धन्यवाद ज्ञापन हिदी विभाग की अध्यक्ष डा.कंचन राय एवं संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डा. सर्वेश पांडेय ने किया। प्रसिद्ध गीतकार दयाशंकर तिवारी और भोजपुरी के चर्चित गीतकार डा.कमलेश राय ने अपनी कविता के माध्यम से गोष्ठी को सरस बनाया। कार्यक्रम के दौरान गीतकार दयाशंकर तिवारी, डा.कमलेश राय एवं सामाजिक क्षेत्र में विशेष सक्रियता के लिए अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डा.सीपी राय, डा.शकील अहमद, डा.प्रदुम्न पासवान, डा.प्रशांत पांडेय, रवीश तिवारी, विशाला पांडेय, पंकज तिवारी, प्रियंका सिंह, संदीप पाल सहित अनेकों छात्र एवं शिक्षक उपस्थित थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें